क्या आप जानते हो, भारत का राष्ट्रीय पक्षी कोनसा है?

क्या आप जानते हो, भारत का राष्ट्रीय पक्षी कोनसा है?
अंतिम अपडेट: 21-09-2024

मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है

  • मोर को 1963 में भारत

का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था, जो उसकी राजसी उपस्थिति, सांस्कृतिक महत्त्व

और भारतीय वन्यजीवन में उसकी व्यापक उपस्थिति के कारण है। मोर को हिंदी में "नीलकंठ"

भी कहा जाता है, जो इसके सुंदर नीले रंग की वजह से है। मोर मुख्य रूप से जंगलों, खेतों

और गाँवों के आसपास देखा जाता है, और इसे भारत के लगभग सभी हिस्सों में पाया जा सकता

है।

 

  • मोर का अद्वितीय नृत्य और व्यवहार:

नृत्य और मौसम का संबंध:

मोर के नृत्य को विशेष रूप से मानसून के आगमन का संकेत माना जाता है। जब बारिश होती

है, तो मोर अपने पंखों को पूरी तरह फैलाकर, गोल घूमते हुए नाचता है। यह दृश्य न केवल

खूबसूरत होता है, बल्कि भारतीय किसानों के लिए भी खुशखबरी लाता है, क्योंकि यह बारिश

के मौसम के आने का प्रतीक है।

प्रजनन के लिए नृत्य: मोर का यह नृत्य केवल बारिश से जुड़ा नहीं होता; यह उनके

प्रजनन का भी हिस्सा है। नर मोर अपने चमकदार पंख फैलाकर मादा को आकर्षित करता है। इस

दौरान उसकी पंखों की खूबसूरती और नृत्य की आकर्षक चाल मादा मोर को प्रभावित करती है।

 

  • मोर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व:

धार्मिक संदर्भ: हिंदू

धर्म में मोर को भगवान कार्तिकेय (शिव के पुत्र) का वाहन माना जाता है। इसके अलावा,

भगवान कृष्ण के मुकुट में हमेशा एक मोर का पंख लगाया जाता है, जो सुंदरता और दिव्यता

का प्रतीक है। भारतीय लोककथाओं और धार्मिक ग्रंथों में मोर का उल्लेख बार-बार मिलता

है।

कला और संस्कृति में स्थान: भारतीय चित्रकला, संगीत और नृत्य में मोर का विशेष स्थान

है। भरतनाट्यम और कथकली जैसे शास्त्रीय नृत्य रूपों में मोर के नृत्य की मुद्राएँ और

हाव-भाव दिखाए जाते हैं। इसके अलावा, भारतीय पारंपरिक चित्रों में मोर का उपयोग उसकी

सौंदर्य और अनुग्रह को दर्शाने के लिए किया जाता है।

मोर उड़ सकता है: मोर भारी और बड़ा पक्षी है, लेकिन वह उड़ भी सकता है। हालाँकि, उसकी उड़ान

लंबी दूरी तक नहीं होती, पर वह पेड़ों पर बैठ सकता है और छोटे झरकों में उड़ान भर सकता

है।

मोरनी अंडे देती है, मोर नहीं: नर मोर (Peacock) और मादा मोर (Peahen) के बीच मुख्य अंतर

उनके पंखों और शरीर के रंग में होता है। मादा मोर अंडे देती है और उनके पंख नर मोर

की तुलना में कम चमकीले होते हैं।

 

आवाज: मोर

की आवाज़ बहुत तेज और कर्कश होती है, और इसे कई किलोमीटर दूर से सुना जा सकता है। इस

आवाज़ का उपयोग मोर अपने क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए और अन्य मोरों से संवाद करने

के लिए करता है।

 

विषाक्त भोजन: मोर विषैले साँपों को भी मार सकता है और छोटे जीव-जंतुओं को अपना भोजन बनाता

है। यह उसे वन्यजीवन के खाद्य श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण स्थान देता है।

 

पंख गिराना: मोर के पंख प्राकृतिक रूप से गिरते हैं, और इन्हें इकट्ठा करके सजावट के लिए

उपयोग किया जाता है। मोर के पंखों का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों, घर की सजावट और हस्तशिल्प

में भी होता है।

 

  • संरक्षण की आवश्यकता:

हालांकि मोर को भारत

में व्यापक रूप से पाया जाता है, लेकिन मानव गतिविधियों के कारण इसके निवास स्थानों

पर खतरा मंडरा रहा है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत मोर को संरक्षित किया

गया है, और इसकी हत्या या इसके पंखों की तस्करी को दंडनीय अपराध माना गया है। इसका

उद्देश्य मोर की जनसंख्या और उसकी सुंदरता को सुरक्षित रखना है।

 

मोर, अपनी नृत्य शैली,

पंखों की चमक और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण भारत के वन्यजीवों में एक महत्वपूर्ण स्थान

रखता है। इसकी खूबसूरती और गरिमा इसे न केवल एक राष्ट्रीय पक्षी बनाती है, बल्कि भारतीय

सभ्यता और संस्कृति का एक प्रतीक भी बनाती है।

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