Manipur Founation day: मणिपुर स्थापना दिवस 21 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था। मणिपुर, जो पहले एक रियासत था, 21 जनवरी 1972 को भारतीय संघ में शामिल होकर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित हुआ। यह दिन मणिपुर की सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास और समृद्धि को सम्मानित करने का अवसर हैं।
मणिपुर की स्थापना से पहले, यह क्षेत्र ब्रिटिश साम्राज्य के तहत असम रियासत का हिस्सा था, और 1949 में यह भारतीय संघ में शामिल हुआ था। 1972 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया, और तब से यह दिन मणिपुर के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया हैं।
यह दिन मणिपुर को भारतीय संघ में पूर्ण राज्य के रूप में स्वीकार किए जाने की 53वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। 21 जनवरी 1972 को मणिपुर ने भारतीय संघ में एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा प्राप्त किया था, जब इसे असम से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी गई। इस दिन को मणिपुर की ऐतिहासिक यात्रा, सांस्कृतिक धरोहर, और समाज के संघर्षपूर्ण विकास को सम्मानित करने के रूप में मनाया जाता हैं।
मणिपुर स्थापना दिवस का ऐतिहासिक महत्व
मणिपुर की स्थापना ने राज्य के लोगों को एक मजबूत और स्वतंत्र पहचान दी, जो पहले असम के एक हिस्से के रूप में था। मणिपुर का इतिहास ब्रिटिश साम्राज्य और भारत के स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ा है। 1949 में मणिपुर को भारतीय संघ में विलय कर दिया गया था, और 1972 में उसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। यह दिन मणिपुर के नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो राज्य के समृद्ध इतिहास, संघर्ष, और सांस्कृतिक विविधता को गर्व से मनाते हैं।
मणिपुर स्थापना दिवस 2025 के उत्सव की विशेषताएँ
2025 में मणिपुर स्थापना दिवस को और भी भव्य तरीके से मनाया जाएगा। इस वर्ष राज्यभर में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत प्रदर्शन, और ऐतिहासिक प्रदर्शनी आयोजित किए जाएंगे, जो मणिपुर की समृद्ध संस्कृति और विविधता को दर्शाएंगे। राजधानी इंफाल में भव्य परेड का आयोजन किया जाएगा, जिसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से लोग अपने पारंपरिक परिधानों में शामिल होंगे। इसके साथ ही मणिपुरी नृत्य और लोक कला के प्रदर्शन होंगे, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं।
राज्यत्व की यात्रा
मणिपुर, 21 जनवरी 1972 को भारतीय राज्य का हिस्सा बन गया, जब इसे असम से अलग कर एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। इससे पहले मणिपुर एक रियासत थी और यह 1949 में भारत में विलय हो गया था। 1971 में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम के तहत, मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद, मणिपुर के लोग एक नए उत्साह और विश्वास के साथ अपने भविष्य की ओर बढ़े। यह यात्रा मणिपुर के लोगों की कड़ी मेहनत, संघर्ष और समर्पण का परिणाम थी।
मणिपुर की सांस्कृतिक धरोहर और विविधता
मणिपुर न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह अपनी सांस्कृतिक विविधता और कला के लिए भी प्रसिद्ध है। मणिपुरी नृत्य, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य के प्रमुख रूपों में से एक है, राज्य की सबसे बड़ी सांस्कृतिक धरोहर मानी जाती है। इसके अलावा, मणिपुर की लोक कला, संगीत, काव्य, और चित्रकला भी राज्य की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।
मणिपुर की जलवायु, पर्वतीय इलाके और उष्णकटिबंधीय वन राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को और भी आकर्षक बनाते हैं। मणिपुर के लोग अपनी संस्कृति, परंपरा और इतिहास के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं, और यही कारण है कि स्थापना दिवस के दिन इन सभी चीजों को प्रदर्शित किया जाता है।
मणिपुर स्थापना दिवस 2025 का उत्सव
मणिपुर स्थापना दिवस केवल राज्य के ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य मणिपुर के लोगों को उनके राज्य के इतिहास, संस्कृति, और योगदान की याद दिलाना है। यह अवसर विशेष रूप से युवा पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें राज्य की समृद्धि और संघर्षपूर्ण यात्रा के बारे में जागरूक करता हैं।
स्थापना दिवस के अवसर पर मणिपुर के स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां छात्रों को राज्य की धरोहर और संस्कृति के बारे में शिक्षा दी जाती है।
मणिपुर गर्व, समर्पण और एकता का प्रतीक
मणिपुर स्थापना दिवस 2025 एक ऐसा अवसर है जो मणिपुर के लोगों के लिए गर्व, समर्पण और एकता का प्रतीक बनकर सामने आता है। यह दिन मणिपुर की ऐतिहासिक यात्रा, संघर्ष और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण मौका है। राज्य के लोग इस दिन को खुशी और उल्लास के साथ मनाते हैं, और साथ ही यह अवसर मणिपुर के विकास की दिशा में नई उम्मीदों को प्रेरित करता हैं।
21 जनवरी 2025 को मणिपुर के लोग एकजुट होकर इस ऐतिहासिक दिन का उत्सव मनाएंगे, जो मणिपुर की समृद्ध विरासत, संघर्षपूर्ण यात्रा और उज्जवल भविष्य का प्रतीक बनकर उभरेगा।