प्रत्येक वर्ष 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो टीकाकरण के महत्व और सार्वजनिक स्वास्थ्य में इसकी भूमिका को उजागर करता है। यह दिन खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 1995 में इसी दिन भारत में पहली बार मौखिक पोलियो वैक्सीन (Oral Polio Vaccine) की खुराक दी गई थी।
टीकाकरण संक्रामक रोगों की रोकथाम का सबसे प्रभावी और कारगर उपाय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, “संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने और उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ने के लिए टीकाकरण एक सिद्ध तकनीक है।” यह न केवल स्वास्थ्य मानकों में सुधार करता है बल्कि समाज और राष्ट्र की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को भी मजबूत करता है।
टीकाकरण का ऐतिहासिक सफर: कैसे शुरू हुई यह क्रांति?
टीकाकरण की परंपरासैकड़ों वर्ष पुरानी है। इतिहास में प्रमाण मिलते हैं कि 1000 ईस्वी में चीन में सबसे पहले चेचक (Smallpox) का टीका लगाया गया था। धीरे-धीरे यह तकनीक अफ्रीका और तुर्की होते हुए यूरोप और अमेरिका तक पहुंची।
• एडवर्ड जेनर को वैक्सीनोलॉजी का जनक माना जाता है। 1796 में उन्होंने एक 13 वर्षीय लड़के को काउपॉक्स वायरस का टीका लगाया, जिससे उसे चेचक के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता मिली।
• 1798 में दुनिया का पहला चेचक का टीका विकसित हुआ और 1979 तक इस बीमारी का पूरी तरह उन्मूलन कर दिया गया।
• लुई पाश्चर ने हैजा और एंथ्रेक्स के टीकों पर काम किया, जिससे 19वीं शताब्दी के अंत तक प्लेग का टीका भी विकसित किया गया।
• 1950 से 1985 तक पोलियो वैक्सीन विकसित करने की दिशा में बड़ी प्रगति हुई और बड़े पैमाने पर टीकाकरण के कारण कई देशों में पोलियो पूरी तरह समाप्त हो गया।
• हाल के वर्षों में हेपेटाइटिस बी, मलेरिया, कोविड-19 और अन्य वायरल बीमारियों के टीकों ने चिकित्सा जगत में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं।
टीकाकरण के ऐतिहासिक पड़ाव
• 1940 के दशक: बड़े पैमाने पर टीका उत्पादन शुरू हुआ।
• 1960: खसरा, कण्ठमाला और रूबेला का संयुक्त (MMR) वैक्सीन तैयार किया गया।
• 1972: चेचक के सफल उन्मूलन के बाद इसका टीका बंद कर दिया गया।
• 2020: कोविड-19 महामारी के खिलाफ टीके को मंजूरी मिली, जिसने दुनिया को एक नई राह दिखाई।
कैसे मनाएं राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस?
• अपने टीकाकरण रिकॉर्ड की जांच करें – यह सुनिश्चित करें कि आपने सभी आवश्यक टीके लगवाए हैं।
• बचपन से लेकर वयस्कता तक के टीकों की जानकारी लें – यदि कोई टीका छूट गया हो, तो इसे लगवाने की योजना बनाएं।
• टीकाकरण से जुड़ी गलत धारणाओं को दूर करें – सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से लोगों को टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूक करें।
• हेल्थ वर्कर्स को धन्यवाद दें – जो दिन-रात मेहनत करके टीकों को हम तक पहुंचाते हैं।
टीकों से जुड़े 5 रोचक तथ्य
• टीके हर साल 2.5 मिलियन से ज्यादा लोगों की जान बचाते हैं।
• टीकों के अलग-अलग रूप होते हैं – कुछ इंजेक्शन के रूप में, तो कुछ मौखिक रूप से दिए जाते हैं।
• 1997 के बाद से चेचक का कोई मामला सामने नहीं आया है।
• टीकों में सक्रिय वायरस नहीं होते, बल्कि वे केवल प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करते हैं।
• शिशुओं को पहला टीका आमतौर पर 8 सप्ताह की उम्र में लगाया जाता है।
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस क्यों है महत्वपूर्ण?
• यह जीवन बचाता है – टीकाकरण के बिना कई संक्रामक बीमारियां महामारी का रूप ले सकती हैं।
• यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है – वैक्सीनोलॉजी विज्ञान की सबसे बड़ी जीतों में से एक है।
• यह वैज्ञानिकों और हेल्थ वर्कर्स के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है – जिन्होंने इन जीवनरक्षक टीकों को विकसित किया।
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस सिर्फ एक जागरूकता दिवस नहीं है, बल्कि यह सकारात्मक स्वास्थ्य परिवर्तन और रोग मुक्त समाज की ओर बढ़ने का प्रतीक भी है। आइए, इस अवसर पर टीकाकरण के प्रति जागरूकता फैलाएं और एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में आगे बढ़ें।