हर साल 1 जून को विश्व भर में ‘वर्ल्ड मिल्क डे’ यानी विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। यह दिवस दूध और दुग्ध उत्पादों के महत्व को समझाने और लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। दूध मानव जीवन का एक ऐसा पोषण है, जो बचपन से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए बेहद आवश्यक माना जाता है।
खासतौर पर भारत जैसे देश में जहां दूध का उपयोग घर-घर में होता है, वहां इस दिवस का महत्व और भी अधिक हो जाता है। आइए जानते हैं विश्व दुग्ध दिवस के इतिहास, उद्देश्य और दूध से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
वर्ल्ड मिल्क डे: कब और कैसे शुरू हुआ?
विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य दुनियाभर में दूध और उससे बनने वाले उत्पादों के स्वास्थ्यवर्धक गुणों को उजागर करना था। FAO ने यह दिन इसलिए चुना क्योंकि दूध एक अत्यंत पौष्टिक आहार है, जो प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन D और अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है।
दूध पीने के फायदों को दुनिया भर में फैलाने के साथ-साथ इस दिन पर डेयरी उद्योग के महत्व को भी रेखांकित किया जाता है। डेयरी व्यवसाय करोड़ों लोगों के रोजगार का साधन है और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती प्रदान करता है। विश्व के लगभग छह अरब लोग दुग्ध उत्पादों का नियमित उपयोग करते हैं, जो इसे सबसे लोकप्रिय और आवश्यक खाद्य पदार्थों में से एक बनाता है।
विश्व दुग्ध दिवस का उद्देश्य क्या है?
वर्ल्ड मिल्क डे का मुख्य उद्देश्य दूध के महत्व को उजागर करना और लोगों को इसके पोषण तत्वों के प्रति जागरूक करना है। इसके अलावा, यह दिन डेयरी किसानों और मजदूरों के योगदान को सम्मानित करने का भी अवसर प्रदान करता है। डेयरी उद्योग विश्व की लाखों किसानों की आजीविका का आधार है, जो न केवल दूध उत्पादन करते हैं बल्कि इससे जुड़े हजारों व्यवसायों को भी संचालित करते हैं।
दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, मांसपेशियों के विकास में मदद करते हैं और बच्चों के मानसिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए डॉक्टर भी कई मामलों में दूध पीने की सलाह देते हैं।
भारत में दूध का महत्व
भारत में दूध का महत्व अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक है। भारतीय संस्कृति में दूध को पवित्र माना जाता है और इसे कई धार्मिक अनुष्ठानों में आवश्यक माना जाता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। इसकी सबसे बड़ी वजह है श्वेत क्रांति, जिसने देश को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई।
नेशनल मिल्क डे और डॉक्टर वर्गीज कुरियन की भूमिका
भारत में दूध और डेयरी उद्योग के विकास में डॉक्टर वर्गीज कुरियन का योगदान अतुलनीय है। भारत में हर साल 26 नवंबर को नेशनल मिल्क डे के रूप में मनाया जाता है, जो डॉक्टर कुरियन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। डॉक्टर वर्गीज कुरियन को ‘मिल्क मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है।
वर्ष 1970 में उन्होंने श्वेत क्रांति की शुरुआत की, जिसने भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर और विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बनने में मदद की। उन्होंने 1965 से 1998 तक नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम किया और देश के हर कोने तक दूध उत्पादन को बढ़ावा दिया। उनकी मेहनत की बदौलत भारत ने डेयरी उत्पादों के मामले में विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
श्वेत क्रांति क्या है?
श्वेत क्रांति एक सामाजिक और आर्थिक आंदोलन था, जिसने भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया। यह क्रांति मुख्य रूप से डॉक्टर वर्गीज कुरियन और उनके सहयोगियों की मेहनत का परिणाम थी, जिन्होंने किसानों को संगठित किया और डेयरी उद्योग को आधुनिक तकनीकों से लैस किया। श्वेत क्रांति के कारण भारत ने 1970 के दशक में दूध उत्पादन में विश्व का शीर्ष स्थान हासिल किया, जो आज भी बरकरार है।
वर्ल्ड मिल्क डे की थीम
हर साल विश्व दुग्ध दिवस एक विशिष्ट थीम के तहत मनाया जाता है, जो दुनियाभर के लोगों को एक खास संदेश देता है। वर्ष 2023 की थीम थी 'पौष्टिक आहार और आजीविका के लिए दूध का योगदान तथा पर्यावरण पर इसका कम प्रभाव'। इस तरह की थीमों से दूध के स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ डेयरी उद्योग की स्थिरता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को भी समझाया जाता है।
दूध से जुड़ी अन्य खास बातें
- स्वास्थ्य लाभ: दूध में कैल्शियम, विटामिन बी12, प्रोटीन, और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, मांसपेशियों को बढ़ावा देते हैं और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं।
- सभी उम्र के लिए जरूरी: चाहे बच्चे हों, युवा हों या बुजुर्ग, दूध सभी के लिए लाभकारी होता है। यह खासकर बच्चों के विकास और बुजुर्गों की हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक है।
- पौष्टिक आहार का हिस्सा: दूध को अक्सर स्वस्थ आहार का अभिन्न हिस्सा माना जाता है और कई दवाइयों और चिकित्सा प्रक्रियाओं में इसका इस्तेमाल होता है।
वर्ल्ड मिल्क डे पर क्या करें?
- इस दिन दूध के पोषण तत्वों और इसके महत्व को अपने परिवार, मित्रों और समाज में साझा करें।
- स्थानीय डेयरी किसानों का सम्मान करें और उनकी उत्पादित सामग्री का समर्थन करें।
- बच्चों को दूध पीने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वे स्वस्थ और मजबूत बन सकें।
- दूध से बने स्वस्थ व्यंजन बनाएं और उन्हें परिवार में शामिल करें।
भविष्य में दूध और डेयरी उद्योग
जैसे-जैसे वैश्विक आबादी बढ़ रही है, दूध और डेयरी उत्पादों की मांग भी बढ़ेगी। इस क्षेत्र में नई तकनीकों और जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम हो रहा है। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से डेयरी उद्योग को टिकाऊ बनाना भी जरूरी हो गया है। भारत में दूध उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है और यह कृषि अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बन चुका है। भविष्य में भी यह उद्योग ग्रामीण रोजगार और खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।
विश्व दुग्ध दिवस हमें याद दिलाता है कि दूध केवल एक पेय पदार्थ नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, पोषण, रोजगार और आर्थिक स्थिरता का भी प्रतीक है। 1 जून को मनाए जाने वाला यह दिन दूध के महत्व को समाज में फैलाने और डेयरी किसानों के योगदान को मान्यता देने का अवसर है।