वर्ल्ड वेटलैंड डे (विश्व आर्द्रभूमि दिवस) हर साल 2 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य आर्द्रभूमि के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना और इनके संरक्षण की आवश्यकता को उजागर करना है। आर्द्रभूमि (wetlands) प्राकृतिक तंत्र हैं, जो न केवल जलवायु नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने, जलस्तर को बनाए रखने, और जैव विविधता के संरक्षण में भी मदद करती हैं।
वेटलैंड्स पानी को साफ करने का काम करती हैं, क्योंकि यह प्राकृतिक फ़िल्टर के रूप में काम करती हैं, जो प्रदूषण और अन्य हानिकारक तत्वों को दूर करती हैं। इसके अलावा, आर्द्रभूमि में कई वनस्पतियां और औषधीय पौधे उगते हैं, जिनका उपयोग विभिन्न चिकित्सा और अन्य घरेलू आवश्यकताओं में किया जाता हैं।
यह जीवों के लिए एक समृद्ध पर्यावास भी प्रदान करती हैं, जहाँ न केवल जलजीव, बल्कि पक्षी, कीड़े, और अन्य प्रजातियां भी पाई जाती हैं। वर्ल्ड वेटलैंड डे की स्थापना 1997 में हुई थी, और तब से यह दिन आर्द्रभूमि के संरक्षण के महत्व को मनाने का अवसर बन गया हैं।
क्या हैं वर्ल्ड वेटलैंड डे?
वेटलैंड (नमभूमि या आर्द्रभूमि) वह भूमि होती है, जहां पानी और भूमि एक साथ मिलते हैं, और यह ज़मीन अक्सर जलमग्न या अत्यधिक नम रहती है। यह ऐसे क्षेत्रों को शामिल करती है, जैसे झीलें, तालाब, दलदली क्षेत्र, नदियों के किनारे, और मैनग्रोव वनों जैसी जगहें। इन इलाकों की मिट्टी में पानी की अधिक मात्रा होती है, जिससे इनकी खासियत होती है कि ये जैव विविधता का बहुत समृद्ध स्रोत होते हैं।
आर्द्रभूमियाँ जलवायु नियंत्रण, जल स्तर बनाए रखने और जल को साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। साथ ही, ये विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों के लिए आवास प्रदान करती हैं। मसलन, कई जलजीव, पक्षी और कीड़े इन क्षेत्रों में रहते हैं।
वर्ल्ड वेटलैंड डे का उद्देश्य इन महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों के संरक्षण पर ध्यान आकर्षित करना है, खासकर उन आर्द्र क्षेत्रों के लिए जो विलुप्त होने के खतरे में हैं। यह दिन उन क्षेत्रों के महत्व को समझने और संरक्षण के उपायों पर विचार करने का एक अवसर हैं।
वर्ल्ड वेटलैंड डे का इतिहास
रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसे 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया था। इस संधि का उद्देश्य वेटलैंड (आर्द्रभूमि) के संरक्षण और उनके सतत उपयोग को बढ़ावा देना है। यह कन्वेंशन दुनिया भर में आर्द्रभूमियों के महत्व को पहचानने और उनकी रक्षा के लिए काम करता हैं।
2 फरवरी 1997 को पहली बार वर्ल्ड वेटलैंड डे मनाया गया था, ताकि लोगों को आर्द्रभूमि के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके। इसके तहत वेटलैंड के पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक लाभों के बारे में जानकारी दी जाती हैं।
भारत ने इस संधि पर 1 फरवरी 1982 को हस्ताक्षर किए थे, और तब से भारत ने भी आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत में रामसर साइट्स के रूप में कई महत्वपूर्ण वेटलैंड क्षेत्रों को इस संधि के तहत मान्यता प्राप्त है, जो उन क्षेत्रों की सुरक्षा और संरक्षण को सुनिश्चित करने का काम करते हैं।
वर्ल्ड वेटलैंड डे का महत्व
आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये भूमि और जल के बीच का अद्वितीय मेल हैं, जहां न केवल जलीय जीव और पक्षी रहते हैं, बल्कि कई प्रजातियां अपनी जीवन चक्र के लिए इन्हीं क्षेत्रों पर निर्भर करती हैं। आर्द्रभूमि कई तरीकों से पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद करती हैं:
* जलीय जीवन का संरक्षण: ये जीवों के लिए स्वच्छ पानी, भोजन और सुरक्षा का स्रोत प्रदान करती हैं।
* प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास: कई प्रवासी पक्षी आर्द्रभूमियों में अपने सफर के दौरान आराम करते हैं, खाना खाते हैं और अंडे देते हैं।
* जलवायु परिवर्तन से बचाव: आर्द्रभूमि जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद करती हैं, क्योंकि वे बड़ी मात्रा में कार्बन को अवशोषित करती हैं, जिससे * वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा कम होती है।
* पानी की सफाई: ये प्राकृतिक फ़िल्टर के रूप में कार्य करती हैं और नदियों, झीलों और तालाबों को साफ रखने में मदद करती हैं।
* बाढ़ नियंत्रण: आर्द्रभूमियाँ बारिश के पानी को अवशोषित करके बाढ़ के जोखिम को कम करती हैं।
वेटलैंड्स के प्रकार
1. तटीय वेटलैंड्स: मैंग्रोव्स, एस्टुरीज, खारे पानी की दलदली भूमि, लैगून आदि।
2. अंतर्देशीय आर्द्रभूमि: दलदली भूमि, झीलों, जलयुक्त दलदली वन भूमि, नदियों, बाढ़ और तालाब।
3. मानव निर्मित वेटलैंड्स: मछली के तालाब, नमक और चावल के धान।