3.2 अरब साल पहले माउंट एवरेस्ट से चार गुना बड़ा उल्कापिंड धरती से टकराया; महासागर उबल उठे, जीवन की शुरुआत पर दिलचस्प खुलासे

3.2 अरब साल पहले माउंट एवरेस्ट से चार गुना बड़ा उल्कापिंड धरती से टकराया; महासागर उबल उठे, जीवन की शुरुआत पर दिलचस्प खुलासे
Last Updated: 25 अक्टूबर 2024

वैज्ञानिकों के अनुसार, 3.2 अरब साल पहले पृथ्वी पर एक विशाल उल्कापिंड गिरा था, जिसका आकार माउंट एवरेस्ट से चार गुना बड़ा था। इस उल्कापिंड की टक्कर से महासागर उबलने लगे और पृथ्वी पर तबाही मच गई। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि इस घटना ने जीवन को पनपने में भी मदद की होगी।

S2: पृथ्वी से टकराने वाला सबसे बड़ा उल्कापिंड

वैज्ञानिकों ने इस उल्कापिंड का नाम S2 रखा है, और यह डायनासोरों का खात्मा करने वाले उल्कापिंड से 200 गुना बड़ा था। 2014 में खोजे गए इस उल्कापिंड की टक्कर ने धरती पर अब तक की सबसे बड़ी सुनामी पैदा की थी। S2 के टकराने से महासागर इतने गर्म हो गए थे कि उनकी सतह उबलने लगी थी।

यह विशाल उल्कापिंड साउथ अफ्रीका के पूर्वी बार्बरटन ग्रीनबेल्ट क्षेत्र में गिरा था। वैज्ञानिकों ने इस इम्पैक्ट साइट की गहन जांच की और चट्टानों के टुकड़ों से टकराव के प्रभाव का अध्ययन किया। उनकी रिसर्च से पता चला कि यह टकराव जीवन के विकास में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

जीवन को पनपने में मिली मदद

हार्वर्ड विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नादजा ड्रेबन, जो इस रिसर्च की प्रमुख लेखिका हैं, ने कहा कि यह टकराव पृथ्वी पर जीवन को पनपाने में मददगार साबित हुआ होगा। S2 के प्रभाव से चट्टानों से फॉस्फोरस और आयरन जैसे पोषक तत्व निकले, जो सरल जीवन के विकास के लिए जरूरी थे।

अंतरिक्ष से आई विशाल चट्टान

वैज्ञानिकों के अनुसार, S2 उल्कापिंड का आकार 40-60 किलोमीटर चौड़ा था और इसका द्रव्यमान डायनासोरों को खत्म करने वाले उल्कापिंड से 200 गुना ज्यादा था। जब यह पृथ्वी से टकराया, तो उसने 500 किलोमीटर का गड्ढा खोद दिया और चट्टानों को चूर-चूर कर दिया। इस टकराव से पिघली हुई चट्टानों का एक बादल बना, जिसने पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाया।

महासागरों में मची तबाही

प्रोफेसर ड्रेबन के अनुसार, S2 की टक्कर से उत्पन्न बादल से आकाश में पिघली हुई चट्टानों की बारिश होने लगी थी। विशाल सुनामी ने तटरेखाओं को तबाह कर दिया और महासागर की सतह वाष्पित होकर उबलने लगी थी। इससे हवा का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जिससे सरल जीवन मिट गया, लेकिन इससे जरूरी पोषक तत्व महासागरों में फैल गए, जिसने जीवन के पुनः पनपने में मदद की।

यह रिसर्च इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे इतनी विनाशकारी घटना ने जीवन के लिए परिस्थितियों को तैयार किया। जीवन केवल इस टकराव से उबर पाया, बल्कि बहुत तेजी से फलने-फूलने भी लगा।

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