इस साल आज,10 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 2025 (International Epilepsy Day 2025) मनाया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य मिर्गी के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को इसके लक्षणों की पहचान कर समय पर इलाज करवाने के लिए प्रोत्साहित करना है। मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो दिमाग में असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण होता है। इस स्थिति में व्यक्ति को बार-बार दौरे (सीजर्स) आ सकते हैं, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं।
एपिलेप्सी किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह समस्या अक्सर बचपन या वृद्धावस्था में देखी जाती है। इसके पीछे दिमागी चोट, संक्रमण, जन्म संबंधी विकार या आनुवांशिक कारण प्रमुख होते हैं। इस विकार के लक्षणों में अचानक बेहोश होना, झटके लगना, चेतना का अस्थायी रूप से खोना और असामान्य हरकतें शामिल हो सकते हैं।
एपिलेप्सी के प्रकार
* जनरलाइज्ड टॉनिक-क्लोनिक सीजर्स: इसमें व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है, शरीर अकड़ जाता है, और तेज झटके लगते हैं। यह सबसे आम और गंभीर प्रकार का दौरा होता है। दौरा समाप्त होने के बाद व्यक्ति थकान महसूस कर सकता है।
* एब्सेंस सीजर्स: इसमें व्यक्ति कुछ सेकंड के लिए चेतना खो देता है और एकटक देखने लगता है। यह अक्सर बच्चों में देखा जाता है और कई बार इसके लक्षण इतने हल्के होते हैं कि तुरंत पहचान नहीं हो पाते।
* फोकल सीजर्स: इसमें दौरे दिमाग के एक हिस्से से शुरू होते हैं। व्यक्ति को अजीब सनसनी, भ्रम, या शरीर के किसी एक हिस्से में झटके महसूस हो सकते हैं। फोकल सीजर्स दो प्रकार के होते हैं:
१. फोकल अवेयर सीजर्स: जहां व्यक्ति पूरी तरह से होश में रहता है।
२. फोकल इम्पेयर्ड अवेयरनेस सीजर्स: जहां व्यक्ति चेतना खो सकता है या भ्रमित हो सकता है।
* मायोक्लोनिक सीजर्स: इसमें अचानक और तेज झटके आते हैं, जो शरीर के खास हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं। यह झटके आमतौर पर ऊपरी शरीर, कंधे और बांहों में महसूस होते हैं।
* एटोनिक सीजर्स: इसमें व्यक्ति की मांसपेशियों पर अचानक से नियंत्रण खत्म हो जाता है, जिससे वह गिर सकता है। इस प्रकार के दौरे को "ड्रॉप अटैक" भी कहा जाता है।
एपिलेप्सी को मैनेज करने के तरीके
1. दवाएं
* डॉक्टर द्वारा निर्धारित एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं (AEDs) मिर्गी के दौरे की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती हैं।
* दवाएं नियमित रूप से और डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना अनिवार्य है।
2. लाइफस्टाइल में बदलाव
* तनाव प्रबंधन: ध्यान (Meditation) और योग करने से तनाव कम किया जा सकता है।
* नींद: पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लें, क्योंकि नींद की कमी से दौरे ट्रिगर हो सकते हैं।
* शराब और कैफीन का परहेज: शराब और कैफीन का सेवन कम करें, क्योंकि ये दौरे बढ़ा सकते हैं।
* व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
3. कीटोजेनिक डाइट
* हाई फैट और लो कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट कुछ मरीजों में मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने में सहायक होती है।
* यह डाइट बच्चों के मामलों में ज्यादा प्रभावी पाई गई है, लेकिन इसे केवल डॉक्टर की निगरानी में ही अपनाना चाहिए।
4. सर्जरी
* जब दवाएं असरदार न हों और दौरे दिमाग के किसी एक विशेष हिस्से से शुरू होते हों, तो सर्जरी एक विकल्प हो सकती है।
* इसमें उस हिस्से को हटाया या संशोधित किया जाता है जो दौरे का कारण बनता है।
5. शिक्षा और सहयोग
* मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति और उनके परिवार को इस स्थिति के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
* पहला सहायता कदम (First aid) जैसे दौरे के समय व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर ले जाना और सिर को चोट से बचाना सीखना जरूरी है।
6. नियमित जांच
* डॉक्टर से समय-समय पर जांच करवाना और दवाओं के असर का आकलन करना महत्वपूर्ण है।
* दवाओं की खुराक या प्रकार में बदलाव के लिए डॉक्टर की सलाह आवश्यक होती है।