जानिए 5 ऐसे जापानी खोज के बारे में जिन्होंने हमारी दुनिया को बदल कर रख दिया |

जानिए  5 ऐसे जापानी खोज के बारे में जिन्होंने हमारी दुनिया को बदल कर रख दिया |
Last Updated: 27 जुलाई 2024

जापान एशिया महाद्वीप के पूर्व में स्थित एक देश है, जो चार बड़े और कई छोटे द्वीपों के समूह से बना है। ये द्वीप उत्तर पश्चिम प्रशांत महासागर में, एशिया के पूर्वी समुद्रतट पर स्थित हैं। जापान सागर (Sea of Japan/East Sea) से पश्चिम में, ओखोटस्क सागर (Sea of Okhotsk) से उत्तर में, और पूर्वी चीन सागर (East China Sea) और ताइवान तक दक्षिण में फैला हुआ है। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया (उत्तर और दक्षिण कोरिया) और रूस हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु बमों के गिरने के बाद भी जापान ने जिस तरह से तरक्की कर खुद को अपने बलबूते पर खड़ा किया, वह दुनिया भर में एक मिसाल है। सूर्योदय का देश कहलाने वाला जापान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है। पूर्वी एशिया में स्थित जापान अपनी खास संस्कृति के लिए भी मशहूर है। यह जापान के लोगों की मेहनती कार्य संस्कृति का नतीजा है कि अर्थव्यवस्था में समस्याएं होने के बावजूद दुनिया मानती है कि जापानी लोग अपने प्रयासों से उन पर विजय पा लेंगे। आइए, इस लेख में जापान की नई तकनीकी खोजों के बारे में जानते हैं।

 

बुलेट ट्रेन (1964)

दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान पूरी तरह से बर्बाद हो गया था। कहा जाता है कि उस महायुद्ध के बाद टोक्यो में एक भी इमारत सही हालत में खड़ी नहीं थी, लेकिन केवल 20 साल के भीतर ही जापान ने पहली बुलेट ट्रेन चला दी। जापान में पहली बुलेट ट्रेन की शुरुआत टोक्यो और ओसाका के बीच 1 अक्टूबर 1964 को हुई थी, जिसकी अधिकतम स्पीड 200 किमी/घंटा से अधिक थी।

टोक्यो और ओसाका के बीच की 515 किलोमीटर की दूरी को तय करने में पहले 6 घंटे 30 मिनट का समय लगता था, लेकिन बुलेट ट्रेन के चलने के बाद यह समय सीधे ढाई घंटे कम हो गया। आज इसी रूट पर लोगों को सिर्फ 2 घंटे 25 मिनट ही लगते हैं। तुलना के लिए, भारत में मुंबई और अहमदाबाद के बीच की 534 किमी दूरी को तय करने में तेज़ ट्रेन से भी 6 घंटे 25 मिनट लग जाते हैं।

हैरान करने वाली बात यह है कि 1964 में टोक्यो और ओसाका के बीच रोज 60 ट्रेनें चलती थीं, जबकि आज उसी रूट पर रोज 333 ट्रेनें चलती हैं। जापान ने बुलेट ट्रेन के लिए 2,200 किमी लंबी लाइनें बिछाई हैं, जिन पर रोज़ 841 ट्रेनें चलती हैं। 1964 से अब तक इस ट्रेन का उपयोग पूरी दुनिया की आबादी से ज्यादा लोग कर चुके हैं।

पॉकेट कैलकुलेटर (1970)

पॉकेट कैलकुलेटर, जो संख्याओं की गणना में मदद करता है, जापान का एक महत्वपूर्ण आविष्कार है। शुरुआती दिनों में ये उपकरण भारी होते थे और इन्हें जेब में ले जाना संभव नहीं था। लेकिन समय के साथ तकनीक उन्नत हुई और आज हम उस स्मार्ट तकनीक का आनंद ले सकते हैं जिसे जापान ने विकसित किया था।

 

एंड्रॉइड रोबोट (2003)

रोबोट अब हमारी वास्तविकता बन चुके हैं, और जापानी आविष्कारकों की मदद से ये वास्तविक जीवन में उपयोग में आ गए हैं। ये तकनीकी जीव इंसानों की तरह काम कर सकते हैं और व्यवहार कर सकते हैं। 2003 में पहला जापानी मानव जैसा रोबोट पेश किया गया जो पलक झपकने, सांस लेने और वास्तविक मानव की तरह व्यवहार करने में सक्षम था। 2015 में, जापान ने एक और आविष्कार का दावा किया जब उन्होंने लगभग पूरी तरह से मानव जैसे रोबोट से लैस एक होटल खोला।

 

ब्लू एलईडी लाइट (1990)

ब्लू एलईडी लाइट जापान का एक और महत्वपूर्ण आविष्कार है। 2014 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों शुजी नाकामुरा और उनके सहयोगियों ने इसका आविष्कार किया था। एलईडी, एक प्रकाश उत्सर्जक डायोड, कम गर्मी पैदा करके और अधिक रोशनी प्रदान करके प्रक्रियाओं को अनुकूलित कर सकते हैं।

 

इलेक्ट्रिक राइस कुकर

रसोई के व्यावहारिक उपकरणों में इलेक्ट्रिक राइस कुकर भी शामिल है। इसमें एक कटोरा, ताप स्रोत और थर्मोस्टेट होता है। यह चावल को पूर्णता से पकाने में सक्षम है। यह चावल को गर्म और ताजा रखता है, जलने से बचाता है और आसानी से साफ किया जा सकता है।

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