संजय लीला भंसाली फिल्म इंडस्ट्री में अपनी भव्य फिल्मोग्राफी के लिए प्रसिद्ध हैं। भंसाली की फिल्मों के सेट जितने भव्य होते हैं, उनकी कहानियां भी उतनी ही अद्भुत होती हैं। आज, निर्देशक की फिल्म 'गुजारिश' को 14 वर्ष पूरे हो गए हैं। क्या आपको पता है कि इस फिल्म के निर्देशन से पहले वे गहरे डिप्रेशन में चले गए थे?
साल 2010 में प्रदर्शित हुई 'गुजारिश' ने दर्शकों के बीच मृत्यु के अर्थ को पूरी तरह से बदलकर रख दिया था। इस फिल्म में ऐश्वर्या राय और ऋतिक रोशन के अभिनय को दर्शकों ने बहुत सराहा। फिल्म में 'मर्सी किलिंग' के कॉन्सेप्ट को प्रस्तुत किया गया है। क्या आपने कभी यह सोचा है कि संजय लीला भंसाली ने इस फिल्म को बनाने का निर्णय किस परिस्थिति में लिया होगा? हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान डायरेक्टर ने खुलासा किया कि इस फिल्म को बनाने से पहले वे डिप्रेशन के दौर से गुजर रहे थे।
दिखाना चाहते थे मौत का नया कॉन्सेप्ट
जूम को दिए गए एक इंटरव्यू में, निर्देशक ने बताया कि जब उन्होंने मर्सी किलिंग पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया, तो वे एक डिप्रेशन के दौर से गुजर रहे थे। भंसाली ने कहा, "मैं डेथ पर कोई उदास फिल्म नहीं बनाना चाहता था। मैं चाहता था कि इसे एक सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण से दिखाया जाए।" हां, मैं यह मानता हूं कि यह एक फिल्म है जो मृत्यु के बारे में है, लेकिन यह मौत का सामना पूरी तरह से नहीं करती। गुजारिश के निर्देशक इस मूवी के माध्यम से दिखाना चाहते थे कि मौत को डिप्रेसिंग या निराशाजनक नहीं माना जाना चाहिए।
फिल्म की कहानी क्या थी?
फिल्म की कहानी ईथन नाम के एक जादूगर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक दुर्घटना के बाद अपाहिज हो जाता है और अपनी इच्छा से मृत्यु का निर्णय लेता है। इस मुश्किल समय में सोफिया (ऐश्वर्या) उसकी देखभाल करने वाली केयर टेकर होती है, जो उसे इस कदम को न उठाने के लिए प्रेरित करती है। ऋतिक रोशन ने ईथन के किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाया, जबकि ऐश्वर्या राय ने अपने रोल के जरिए दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना ली।
इन फिल्मों के लिए भी हैं प्रसिद्ध
संजय लीला भंसाली ने अपने अब तक के करियर में जो फिल्में बनाई हैं, उनमें से अधिकांश हिट साबित हुई हैं। निर्देशक ने 'खामोशी- द म्यूजिकल' से बॉलीवुड में कदम रखा था। इस फिल्म में सलमान खान, मनीषा कोइराला, नाना पाटेकर और सीमा बिस्वास जैसे कलाकारों ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं। उनकी बेहतरीन फिल्मों में देवदास (2002), हम दिल दे चुके सनम (1999), गोलियों की रासलीला राम-लीला (2013) और बाजीराव मस्तानी (2015) जैसी फिल्में शामिल हैं।