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RBI 2025 में ब्याज दरों में कटौती के संकेत, EMI हो सकती है सस्ती, जानें पूरी जानकारी

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RBI 2025-26 में रेपो रेट 5% तक घटा सकता है। महंगाई में गिरावट और तरलता बढ़ने से ब्याज दरों में राहत संभव है। जमा दरों पर असर दिखेगा।

RBI Update: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अगले वित्त वर्ष यानी 2025-26 में नीतिगत ब्याज दरों (Policy Rates) में बड़ी कटौती की तैयारी कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो रेट में कुल मिलाकर 1.25% से 1.5% (125-150 बेसिस प्वाइंट) तक की कटौती संभव है। इसका सीधा असर आम लोगों की जेब, होम लोन की EMI, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और बैंकों की ब्याज दरों पर देखने को मिलेगा।

रेपो रेट में तेज गिरावट संभव

RBI ने फरवरी और अप्रैल 2025 में दो बार में मिलाकर 0.5% की कटौती पहले ही कर दी है। अब संभावना है कि जून और अगस्त 2025 में और 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है। इसके अलावा, अक्टूबर 2025 से मार्च 2026 के बीच और 0.5% की कटौती के आसार हैं।

अगर ऐसा हुआ, तो मार्च 2026 तक रेपो रेट 5% से 5.25% तक पहुंच सकता है, जो RBI के अनुमानित न्यूट्रल रेट 5.65% से भी नीचे होगा। इसका मतलब है कि बैंकों को सस्ते में फंड मिलेगा और लोन भी सस्ते हो सकते हैं।

महंगाई दर में राहत से खुला रास्ता

मार्च 2025 में CPI आधारित महंगाई दर सिर्फ 3.34% रही — यह 67 महीनों का सबसे निचला स्तर है। उम्मीद है कि अप्रैल-जून 2025 में यह 3% से नीचे बनी रह सकती है।

अगर खाद्य पदार्थों की कीमतें स्थिर रहीं, तो FY26 में औसत महंगाई दर 3.7%–3.8% तक सीमित रह सकती है। कम महंगाई का मतलब है कि RBI को ब्याज दरें कम करने की पूरी छूट मिल जाती है।

जमा दरों पर असर, FD रिटर्न में गिरावट संभव

रेपो रेट कम होने का एक साइड इफेक्ट यह है कि बैंकों की जमा दरों (Deposit Rates) पर दबाव बढ़ेगा। कई बैंक पहले ही संकेत दे चुके हैं कि FD और सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज घट सकता है। अनुमान है कि जमा दरों में 1% तक की कटौती हो सकती है।

हालांकि, कम ब्याज दरों का फायदा यह होगा कि कर्ज सस्ते होंगे और बाजार में मांग बढ़ेगी। इससे बैंक लोन ज्यादा बांट सकेंगे, लेकिन उनकी Net Interest Margin (NIM) यानी मुनाफे पर दबाव रह सकता है।

ओपन मार्केट ऑपरेशन्स और सरकार को डिविडेंड

RBI ने अप्रैल-मई 2025 में करीब ₹2.45 लाख करोड़ के ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (OMO) की योजना बनाई है। इसका मकसद है सिस्टम में तरलता बढ़ाना ताकि ब्याज दरों में कटौती का प्रभाव ज़मीन पर दिखे।

इसके अलावा, RBI FY25 के लिए ₹2.18 लाख करोड़ का डिविडेंड केंद्र सरकार को दे सकता है। यह रकम सरकार के वित्तीय घाटे को कम करने और विकास योजनाओं में मददगार होगी।

डॉलर-रुपया रेट और ग्लोबल असर

SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में USD/INR रेट ₹85 से ₹87 के बीच रह सकता है। अमेरिका में महंगाई कम हो रही है और फेडरल रिजर्व भी नरम रुख अपना सकता है। इससे डॉलर कमजोर और रुपया मजबूत हो सकता है।

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