बिहार की राजनीति में उथल-पुथल का दौर जारी है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की ओर से दिए गए 'सियासी न्योते' ने सत्ता के गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया हैं।
पटना: बिहार की राजनीति में उथल-पुथल का दौर जारी है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की ओर से दिए गए 'सियासी न्योते' ने सत्ता के गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। दूसरी ओर, उनके बेटे और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का रुख अपने माता-पिता से जुदा नजर आ रहा है। इस बीच एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान जारी है और कांग्रेस भी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है। बिहार की राजनीति में यह उठापटक कई नए समीकरणों को जन्म दे सकतीहैं।
नीतीश को न्योता, लेकिन तेजस्वी का हमला
लालू यादव ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन में लौटने का न्योता दिया है। हालांकि, नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव को ठुकराया नहीं, बल्कि इसे हल्के-फुल्के अंदाज में टाल दिया। दिलचस्प बात यह है कि जहां लालू-राबड़ी महागठबंधन के दरवाजे नीतीश कुमार के लिए खुले बता रहे हैं, वहीं तेजस्वी यादव लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर हैं। तेजस्वी ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री को 'बूढ़ा' करार दिया और यह भी कहा कि अब सरकार नौकरशाह चला रहे हैं।
एनडीए में सीट शेयरिंग का घमासान
एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जेडीयू, बीजेपी, HAM, RLSP और LJP (R) के बीच तालमेल बैठाना मुश्किल साबित हो रहा है। नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा 120 से अधिक सीटें जीतने की है, जबकि बीजेपी इस गणित से सहमत नहीं दिख रही। इस खींचतान के बीच लालू यादव एनडीए की दरार का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या फिर बदलेगा नीतीश का फैसला?
नीतीश कुमार की राजनीति के इतिहास को देखते हुए यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वे एक बार फिर पाला बदल सकते हैं? इससे पहले भी वे कई बार बीजेपी और आरजेडी के बीच आते-जाते रहे हैं। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान कि "बिहार का अगला मुख्यमंत्री बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगा" ने जेडीयू को असहज कर दिया है। दूसरी ओर, बीजेपी नेता विजय सिन्हा ने कहा कि "अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि बिहार में बीजेपी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बने।" इन बयानों ने जेडीयू और बीजेपी के बीच दरार को और गहरा कर दिया हैं।
लालू की राजनीतिक चालें और भविष्य की रणनीति
बिहार में कांग्रेस की रणनीति भी महागठबंधन के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। कांग्रेस अब अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दे रही है, जिससे आरजेडी की स्थिति कमजोर हो सकती है। यदि कांग्रेस महागठबंधन से बाहर होती है, तो विपक्षी एकता को गहरा झटका लग सकता है। लालू यादव भले ही अस्वस्थ हों, लेकिन उनकी राजनीतिक सक्रियता बढ़ रही है। वे बिहार की जनता के बीच महागठबंधन को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करना चाहते हैं।
उन्होंने 'सांप्रदायिक ताकतों को भगाने' की बात कहकर यह संकेत दिया है कि वे बीजेपी के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, तेजस्वी यादव युवाओं और रोजगार जैसे मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं, ताकि वे अपने अलग राजनीतिक कद को स्थापित कर सकें।
क्या बिहार की राजनीति में फिर होगा बड़ा उलटफेर?
बिहार की राजनीति में गठबंधन और दल-बदल का खेल कोई नई बात नहीं है। लालू यादव की रणनीति, नीतीश कुमार की भविष्य की योजना और बीजेपी-जेडीयू के आपसी समीकरण तय करेंगे कि 2025 के विधानसभा चुनाव में कौन बाजी मारेगा। लेकिन एक बात साफ है कि बिहार की राजनीति में आने वाले महीनों में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।