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Bihar Politics: चुनाव चिह्न विवाद में फंसे मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव, कोर्ट ने भेजा नोटिस

Bihar Politics: चुनाव चिह्न विवाद में फंसे मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव, कोर्ट ने भेजा नोटिस
अंतिम अपडेट: 10-04-2025

बिहार की सियासत एक बार फिर कानूनी पेंच में उलझ गई है। इस बार मामला जुड़ा है चुनाव चिह्न के कथित दुरुपयोग से, और इसके चलते कई बड़े नेताओं को कोर्ट से नोटिस मिला है।

पटना: बिहार की राजनीति में एक बार फिर से कानूनी तूफान उठ खड़ा हुआ है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संरक्षक मुकेश सहनी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी, और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को चुनाव चिह्न के कथित दुरुपयोग के मामले में कोर्ट से नोटिस जारी हुआ है। तीनों को आगामी 6 मई तक कोर्ट में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया गया है।

नाव पर सवार विवाद

यह मामला भारतीय सार्थक पार्टी द्वारा उठाए गए आरोपों के बाद सामने आया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने आरोप लगाया था कि वीआईपी ने "नाव" चुनाव चिह्न का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी की है। उनका आरोप है कि यह चिह्न भारतीय सार्थक पार्टी का पंजीकृत चुनाव चिन्ह है, जिसे वीआईपी ने चुनावी लाभ के लिए अनधिकृत रूप से उपयोग किया।

पहले खारिज, अब पुनरावलोकन में केस

इस मामले को ओझा ने पहले मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) की अदालत में दाखिल किया था, जहां से मामला खारिज कर दिया गया था। लेकिन ओझा ने हार नहीं मानी और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में रिविजन वाद (Revision Petition) दायर किया। अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए मुकेश सहनी, संतोष सहनी और तेजस्वी यादव को नोटिस भेजकर 6 मई तक स्वयं या अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि वे निर्धारित तारीख तक उपस्थित नहीं हुए, तो एकपक्षीय सुनवाई कर आदेश पारित कर दिया जाएगा।

तेजस्वी यादव की भूमिका पर सवाल

तेजस्वी यादव का नाम इस मामले में आने से राजनीतिक हलकों में हलचल है। सूत्रों के अनुसार, आरोपों में कहा गया है कि उन्होंने कथित रूप से वीआईपी के साथ गठजोड़ करते हुए इस चिह्न के उपयोग में भूमिका निभाई थी। हालांकि अभी तक इस पर तेजस्वी या उनके दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

इस पूरे विवाद ने चुनाव आयोग की निगरानी और पंजीकरण प्रक्रियाओं पर भी सवाल खड़े किए हैं। भारतीय सार्थक पार्टी का दावा है कि चुनाव आयोग द्वारा स्पष्ट रूप से नाव का चुनाव चिन्ह उन्हें आवंटित किया गया था, ऐसे में वीआईपी को यह उपयोग करने की अनुमति कैसे मिली, यह जांच का विषय है।

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