सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोषी ठहराना और सजा सुनाना केवल अदालत का काम है, न कि सरकार का। जस्टिस गवई ने कहा कि बुलडोजर एक्शन जैसी कार्रवाई पूरे परिवार के लिए एक कठोर सजा बन जाती है।
Justice Bhushan Ramkrishna Gavai: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 नवंबर, 2024) को विभिन्न राज्यों में चल रहे बुलडोजर एक्शन पर फैसले में इसे गलत ठहराया। जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कवि प्रदीप की एक कविता का उल्लेख किया, जिसमें घर की अहमियत और उसके टूटने से परिवार पर पड़ने वाले प्रभाव को समझाया गया। उन्होंने कहा कि किसी आरोपी का घर गिरा देना सिर्फ उस व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए सजा बन जाता है।
कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन के मामले में अहम फैसला सुनाया, जिसमें जस्टिस गवई ने कवि प्रदीप की कविता का हवाला देते हुए कहा, "घर सपना है, जो कभी न टूटे।" जस्टिस गवई ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी आरोपी का घर गिराना, पूरे परिवार के लिए एक गंभीर सजा होती है और यह कार्यपालिका का काम नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि अगर किसी आरोपी या दोषी का घर गिरा दिया जाता है, तो यह न सिर्फ उस व्यक्ति के लिए, बल्कि उसके परिवार के लिए भी सजा बन जाता है। जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कही।
सुप्रीम कोर्ट की क्या थी टिपण्णी?
जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि कार्यपालिका को किसी आरोपी या दोषी का घर गिराने का अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बिना मुकदमा चलाए किसी की संपत्ति गिराई जाती है, तो यह कानून के शासन के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।
उन्होंने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता जताई कि उन अधिकारियों पर कार्रवाई हो, जो कानून को हाथ में लेकर अनियंत्रित तरीके से काम करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सजा सुनाने का अधिकार केवल न्यायपालिका का है, न कि सरकार का।
किसी की संपत्ति तोड़ने का अधिकार नहीं
फैसले में यह भी कहा गया कि अगर किसी विशेष संपत्ति को गिराने के लिए बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के चिन्हित किया जाता है, जबकि अन्य समान संपत्तियां बिना किसी कार्रवाई के बच जाती हैं, तो यह स्पष्ट रूप से एक गैरकानूनी कदम है, जो बिना मुकदमे के दंड देने के उद्देश्य से उठाया जाता है।