CM Atishi: दिल्ली सीएम के बंगलो में शिफ्ट हुई आतिशी, सिविल लाइंस आवास होगा नया एड्रेस

CM Atishi: दिल्ली सीएम के बंगलो में शिफ्ट हुई आतिशी, सिविल लाइंस आवास होगा नया एड्रेस
Last Updated: 10 घंटा पहले

दिल्ली की सीएम आतिशी को हाल ही में एक नया बंगला आवंटित किया गया है, जो पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का आवास था। केजरीवाल ने हाल ही में यह बंगला खाली कर दिया और अब वे फिरोजशाह रोड पर स्थित एक नए निवास में स्थानांतरित हो गए हैं। आतिशी अगले दिल्ली विधानसभा चुनाव तक इस बंगले में निवास करेंगी।

New Delhi: मुख्यमंत्री आतिशी अब 6-फ्लैगस्टाफ रोड स्थित अपने नए बंगले में निवास करेंगी। सोमवार को उनका सामान इस बंगले में पहुंचाया गया। इसके बाद, वह मुख्यमंत्री आवास गईं, जहां उन्होंने वहां के कर्मचारियों से मुलाकात की और उनका परिचय लिया। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पिछले शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास खाली कर दिया था। अब वह पंजाब से राज्यसभा सदस्य अशोक मित्तल को आवंटित आवास 5-फिरोजशाह रोड में रह रहे हैं।

मनीष सिसोदिया ने भी खली किया बंगलों

दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी में निवास कर रहीं आतिशी (Atishi) अपने माता-पिता के साथ रह रही थीं। उनके लिए आवंटित सरकारी आवास एबी-17 बंगले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) निवास कर रहे थे। पिछले सप्ताह मनीष सिसोदिया ने इस बंगलें को खाली करके राज्यसभा सदस्य हरभजन सिंह के आरपी रोड पर आवंटित आवास में स्थानांतरित हो गए।

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने एक प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि लोक निर्माण विभाग (PWD) ने छह सितंबर को मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव को एक पत्र लिखकर चाबी सौंपने का अनुरोध किया है। इस पत्र से यह स्पष्ट होता है कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री आवास को खाली नहीं किया था।

सरकार पर गुमराह करने का लगाया आरोप

इस स्थिति में दो दिन बाद ही सच्चाई सामने आ गई, जब यह खुलासा हुआ कि मुख्यमंत्री आवास खाली करने और चाबी सौंपने के बाद भी अधिकांश सामान आवास में ही रह गया था। इसका उद्देश्य लोगों को गुमराह करना था, और चाबी वापस लेने की घटना भी सामने आई। इसके अलावा, 10,000 मार्शलों से जुड़े मामले में भी सरकार पर गुमराह करने का इल्जाम लगाया गया है।

उपराज्यपाल को दिए गए कैबिनेट नोट को तैयार करने में नियमों का पालन नहीं किया गया था, और संबंधित परिवहन विभाग के सचिव के हस्ताक्षर भी उस पर नहीं थे।

 

 

 

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