Columbus

RCB की जीत पर क्यों छा गया मातम? बेंगलुरु में भगदड़ से 11 की मौत, क्या सरकार और प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार?

RCB की जीत पर क्यों छा गया मातम? बेंगलुरु में भगदड़ से 11 की मौत, क्या सरकार और प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार?

RCB की ऐतिहासिक जीत के जश्न में बेंगलुरु में बेकाबू भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। 11 लोगों की मौत हुई, कई घायल। सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे हैं।

Bangalore Chinnaswamy Stadium Stampede: RCB की 18 साल में पहली IPL ट्रॉफी जीतने की खुशी में बेंगलुरु में लाखों लोग सड़कों और स्टेडियम के बाहर उमड़ पड़े। लेकिन इस जश्न ने एक दिल दहला देने वाली भगदड़ का रूप ले लिया, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इस पूरे हादसे ने कर्नाटक सरकार, पुलिस प्रशासन और आयोजकों की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ये हादसा टल सकता था? क्या सुरक्षा इंतजाम नाकाफी थे? और क्या जीत के इस जश्न को संभालने के लिए कोई जिम्मेदार नहीं?

18 साल बाद मिली जीत, लेकिन मौत के साए में

RCB ने 2025 में अपनी पहली IPL ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया। यह खुशी बेंगलुरु में लाखों फैंस के लिए उत्सव जैसा बन गई। चिन्नास्वामी स्टेडियम और विधान सौधा के आसपास जश्न मनाने के लिए लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। भीड़ का जोश और जुनून इस कदर था कि कोई सीमाएं नजर नहीं आईं।

लेकिन यह जोश जल्द ही एक बड़े हादसे में बदल गया। भीड़ बेकाबू हो गई, अफरा-तफरी मच गई और कई लोग कुचलने से घायल हो गए। कुछ की मौत वहीं हो गई, कुछ ने अस्पताल में दम तोड़ा। इस हादसे ने RCB की ऐतिहासिक जीत के जश्न को मातम में बदल दिया।

स्टेडियम के बाहर मौत, अंदर जश्न

सबसे दर्दनाक पहलू यह था कि जिस वक्त स्टेडियम के बाहर लोग जान गंवा रहे थे, अंदर रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था। खिलाड़ी ट्रॉफी के साथ विजयी परेड में शामिल थे, नेता तालियां बजा रहे थे, भाषण दिए जा रहे थे।

लोगों को CPR की जरूरत थी, एंबुलेंस नहीं पहुंच पा रही थी, लेकिन स्टेडियम में रौनक कायम थी। क्या खिलाड़ियों और आयोजकों को हादसे की जानकारी नहीं थी? अगर थी, तो क्या इंसानियत का तकाजा नहीं था कि कार्यक्रम तुरंत रोक दिया जाता?

कौन जिम्मेदार है इस त्रासदी का?

भगदड़ में जान गंवाने वाले सभी लोग आम क्रिकेट प्रेमी थे। 13 साल की दिव्यांशी, 26 साल की दीया, 21 साल का श्रवण—ये सभी वो लोग थे जो बस अपने चहेते खिलाड़ियों को एक बार देखने आए थे।

सरकार का कहना है कि उन्हें इतने बड़े जनसमूह की जानकारी नहीं थी। आयोजक प्रशासन पर दोष डाल रहे हैं, और प्रशासन आयोजकों पर। लेकिन असली सवाल यह है कि अगर 3 लाख से ज्यादा लोगों के आने की संभावना थी, तो इतने बड़े आयोजन की पूर्व तैयारी क्यों नहीं की गई?

भीड़ क्यों बेकाबू हुई?

इस हादसे के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं:

  1. बिना योजना के आयोजन: Victory Parade की योजना थी, लेकिन भारी भीड़ के चलते इसे अचानक रद्द कर दिया गया। यह फैसला लोगों तक समय पर नहीं पहुंच पाया, जिससे भ्रम की स्थिति बनी।
  2. स्टेडियम की क्षमता से कई गुना ज्यादा भीड़: चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता 35,000 है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि 3 लाख से ज्यादा लोग आए थे। इतने लोगों को रोकने के लिए कोई पूर्व सूचना या व्यवस्था नहीं की गई थी।
  3. नाले का स्लैब गिरना: लोग एक नाले के स्लैब पर खड़े थे, जो अचानक टूट गया। इससे लोग घबरा गए और भगदड़ मच गई।
  4. बारिश और घबराहट: हल्की बारिश के चलते लोगों में और घबराहट फैली, जिससे भगदड़ और भी भयावह हो गई।
  5. सुरक्षा की कमी: सरकार का दावा है कि 5,000 पुलिसकर्मी तैनात थे, फिर भी भीड़ को संभालने में नाकामी सामने आई।

मौतों पर भी जश्न क्यों रुका नहीं?

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का बयान कि “जश्न बहुत कम समय चला,” सवाल खड़े करता है। जब सरकार खुद कप उठाने स्टेडियम पहुंच रही हो, तो क्या यह दर्शकों को और उत्तेजित नहीं करेगा? क्या यह जिम्मेदाराना व्यवहार था?

सरकार ने लोगों को खुलेआम न्योता दिया, कोई सीमाएं तय नहीं कीं और जब हादसा हो गया, तो सारी जिम्मेदारी दूसरों पर डाल दी।

आयोजन के पीछे राजनीतिक मंशा?

कई लोगों का मानना है कि सरकार ने RCB की जीत को राजनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश की। उपमुख्यमंत्री जैसे वरिष्ठ नेता स्टेडियम में मौजूद थे। क्या उनकी उपस्थिति ने भीड़ को और उत्तेजित किया?

RCB की जीत को जनता के साथ जोड़ने की यह कोशिश, अगर पूर्व योजना और तैयारी के बिना की गई, तो इसका नतीजा इसी तरह की त्रासदी ही होना था।

Leave a comment