राजस्थान के झालावाड़ जिले में एक दर्दनाक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। शुक्रवार सुबह मनोहरथाना ब्लॉक के पीपलोदी गांव में स्थित एक सरकारी स्कूल की छत अचानक गिर गई, जिससे सात बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई और 27 से ज्यादा बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
हादसे की दिल दहलाने वाली तस्वीर
घटना सुबह उस वक्त हुई जब बच्चे स्कूल की प्रार्थना सभा के लिए जमा हो रहे थे। इसी दौरान छठी और सातवीं कक्षा की छत भरभराकर गिर गई। हादसे में करीब 35 बच्चे मलबे में दब गए। मौके पर बचाव अभियान चलाया गया, लेकिन तब तक 6 वर्षीय कान्हा, 12 वर्षीय पायल, हरीश, प्रियंका, कुंदन, कार्तिक और मीना की जान जा चुकी थी। घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां कई की हालत अब भी नाजुक बताई जा रही है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, स्कूल की इमारत लंबे समय से जर्जर हालत में थी और इसकी मरम्मत के लिए कई बार प्रशासन से शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
राहुल गांधी का BJP सरकार पर निशाना
इस घटना के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर गहरा दुख जताया और भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा कि स्कूल की जर्जर हालत को लेकर पहले ही शिकायतें की गई थीं, लेकिन सरकार ने इन चेतावनियों को नजरअंदाज किया, जिसके कारण मासूम बच्चों की जान चली गई।
राहुल गांधी ने यह भी सवाल उठाया कि जिन बच्चों की जान गई, उनमें अधिकतर बहुजन समाज से थे। क्या भाजपा सरकार के लिए उनकी जान की कोई कीमत नहीं है? उन्होंने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की अपील की।
खरगे बोले– विकसित भारत का सपना खोखला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस हादसे को बेहद पीड़ादायक और शर्मनाक बताया। उन्होंने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि जो सरकार बच्चों के स्कूल की छत ठीक नहीं करवा सकती, वो देश को ‘विकसित भारत’ बनाने के सपने कैसे दिखा सकती है।
खरगे ने दिल्ली और जोधपुर के सरकारी स्कूलों की बदतर स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि देश के कई हिस्सों में स्कूल भवन इतने जर्जर हैं कि बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बार-बार चेतावनी के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया, तो इसका जिम्मेदार कौन है?