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गोरक्षनाथ घाट-राप्ती नदी तट पर स्थित गुरु गोरक्षनाथ घाट अध्यात्म और संस्कृति का संगम

गोरक्षनाथ घाट-राप्ती नदी तट पर स्थित गुरु गोरक्षनाथ घाट अध्यात्म और संस्कृति का संगम

गोरखपुर स्थित गुरु गोरक्षनाथ घाट राप्ती नदी के किनारे एक प्रमुख सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थल के रूप में उभरा है। राजस्थानी स्थापत्य कला से निर्मित यह घाट अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान शिव की विशाल प्रतिमा और छोटे-छोटे मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बने हुए हैं।

गुरु गोरक्षनाथ घाट नाथपंथ के संतों के लिए साधना और भक्ति का स्थल रहा है। यहां विशेष रूप से मकर संक्रांति, कार्तिक पूर्णिमा और छठ पर्व के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान और पूजा करने आते हैं। इन अवसरों पर भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो घाट की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को और बढ़ाते हैं।

समय के साथ, यह घाट गोरखपुर शहर का प्रमुख दर्शनीय स्थल बन चुका है, जहां पर्यटक शांति और सुंदरता का आनंद लेने आते हैं। घाट की सुबह और शाम का दृश्य लोगों को आकर्षित करता है, और यहां समय बिताने से मानसिक शांति का अहसास होता है।

कुल मिलाकर, गुरु गोरक्षनाथ घाट न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आध्यात्मिक आस्था, स्थापत्य कला और सांस्कृतिक आयोजनों का भी केंद्र है, जो गोरखपुर की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।

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