कोलकाता में जूनियर महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और फिर हत्या के मामले को लेकर दिल्ली में डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को भी जारी है। इसके चलते दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए एम्स ने डॉक्टरों से ड्यूटी पर लौटने की अपील की है।
New Delhi: एम्स (AIIMS) प्रशासन ने रेजिडेंट डॉक्टरों से हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने की अपील की है। एम्स के स्वास्थ्य कर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए डीन (अकादमी) की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के विरोध में, एम्स सहित दिल्ली के सभी अस्पतालों में पिछले 10 दिनों से रेजिडेंट डॉक्टर (Doctor) हड़ताल पर हैं।
बता दें कि, मंगलवार (20 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित करने के आदेश के बावजूद, रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल समाप्त नहीं की। ऑल इंडिया रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफएआइएमए) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाने की मांग के तहत हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है। उन्होंने इस संबंध में सरकार से अध्यादेश लाने की अपील की है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए सकारात्मक निर्देश
एम्स प्रशासन ने आज यानि बुधवार (21 अगस्त) को एक पत्र जारी करते हुए कहा, "एम्स परिवार देशभर के सभी स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील है और उनके साथ खड़ा है। डॉक्टरों का कर्तव्य है कि कोई भी मरीज बिना उपचार के वापस न लौटे। भारत सरकार भी स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में सकारात्मक निर्देश दिए हैं। इस परिप्रेक्ष्य में, सभी रेजिडेंट डॉक्टर्स को अपने कार्य में लौटकर मरीजों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।"
एम्स प्रशासन ने लिया सुरक्षा ऑडिट कराने का निर्णय
डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तत्कालीन चिंताओं के समाधान के लिए एक समिति का गठन किया गया है। इस समिति की अगुवाई डीन (अकादमी) कर रहे हैं, जिसमें डीन (अनुसंधान), डीन (परीक्षा), चिकित्सा अधीक्षक (एच) और मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी शामिल हैं। इससे पहले, एम्स प्रशासन ने आंतरिक सुरक्षा ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, मरीजों और उनके तीमारदारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बायोफिजिक्स की प्रोफेसर पुनीत कौर की अध्यक्षता में एक नई समिति बनाई गई है।
इसमें प्रोफेसर प्रताप शरण (मनोचिकित्सा विभाग), प्रोफेसर संजय राय (छात्रावास के अधीक्षक), प्रोफेसर सुषमा सागर (ट्रामा सर्जरी विभाग), प्रोफेसर गिरिराज रथ (रजिस्ट्रार), कर्नल दिग्विजय सिंह (मुख्य सुरक्षा अधिकारी) और दीपक भुटाले (अधीक्षण अभियंता) शामिल हैं। समिति में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन का प्रतिनिधि भी जोड़ा गया है।
डॉक्टर्स ने काम पर लौटने से किया इनकार
इस कारण बुधवार को भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FAIMA) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है, लेकिन ड्यूटी पर लौटने की अपील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। एसोसिएशन का कहना है कि उनकी मांग डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए एक अलग कानून बनाने और अध्यादेश लाने की है। वर्तमान में यह मांग पूरी नहीं हुई है।
एलएन और जीबी पंत अस्पताल में की जांच
कोलकाता में जूनियर महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद भी सरकारी अस्पतालों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। सोमवार रात, एलएन और जीबी पंत अस्पताल में जांच की गई, जहां पाया गया कि रात के समय महिला डॉक्टर इमरजेंसी में अपनी सेवाएं दे रही थीं। सुरक्षा में नियुक्त कर्मी केवल नाम के लिए वहां उपस्थित थे। लोग बिना किसी रोक-टोक और बिना जांच के अस्पताल में प्रवेश कर रहे थे।
रात के समय महिला चिकित्सकों और नर्सों की लगाई ड्यूटी
सोमवार को रात नौ बजे एलएन अस्पताल में तीन महिला चिकित्सक और एक नर्स सेवाएन दे रही थीं। इस दौरान मरीजों की भारी भीड़ इमरजेंसी में जुटी हुई थी। इमरजेंसी के गेट पर दो सुरक्षा गार्ड मौजूद थे, जो कुछ मरीजों और उनके परिजनों से पूछताछ के बाद ही अंदर जाने की अनुमति दे रहे थे।
देशभर में चल रहे हंगामे के बावजूद, अस्पताल में रात के समय महिला चिकित्सकों और नर्सों की ड्यूटी लगाई जा रही है। वहीं, जीबी पंत अस्पताल की इमरजेंसी में भी रात करीब साढ़े नौ बजे तीन महिला चिकित्सक अपनी सेवाएँ प्रदान कर रही थीं। यहां गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी अनजान लोगों को अंदर जाने से रोकते हुए नजर आए।
हॉस्टल के गेट पर कोई सुरक्षाकर्मी नहीं
एलएन अस्पताल के महिला हॉस्टल में सैकड़ों चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी और नर्स निवास करती हैं। सोमवार की देर शाम, इस हॉस्टल के गेट पर कोई सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था। जबकि इस स्थान पर सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही के कारण कोई बड़ा हादसा फिर से हो सकता है।