Happy Birthday Navy Chief Karambir Singh: एडमिरल करमबीर सिंह भारतीय नौसेना के प्रमुख और उनके उत्कृष्ट योगदान

Happy Birthday Navy Chief Karambir Singh: एडमिरल करमबीर सिंह भारतीय नौसेना के प्रमुख और उनके उत्कृष्ट योगदान
Last Updated: 2 दिन पहले

करमबीर सिंह का जन्मदिन 3 नवंबर को मनाया जाता है। करमबीर सिंह का जन्म 3 नवंबर 1959 को पंजाब के जालंधर में हुआ। भारतीय नौसेना के एक प्रमुख अधिकारी के रूप में, उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर अपने देश की सेवा की। वे भारतीय नौसेना के 24वें प्रमुख (सीएनएस) रहे और उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके जन्मदिन के अवसर पर, उनके जीवन और करियर की उपलब्धियों को याद किया जाता है। वे केवल एक कुशल रणनीतिकार हैं, बल्कि उनके नेतृत्व में भारतीय नौसेना ने कई चुनौतियों का सामना किया है। उनके अनुभव और सेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें एक प्रेरणास्त्रोत बना दिया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनता है। करमबीर सिंह का जन्मदिन उन सभी के लिए एक अवसर है, जो उनकी उपलब्धियों को सराहते हैं और उनके नेतृत्व के गुणों से प्रेरणा लेते हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

एडमिरल करमबीर सिंह का जन्म 3 नवंबर 1959 को जालंधर, पंजाब में हुआ। उनका परिवार भारतीय सेना की परंपरा से जुड़ा हुआ था, जिससे उन्हें देश सेवा की प्रेरणा मिली। बचपन से ही उन्होंने सैन्य जीवन के प्रति रुचि विकसित की, जो उनके भविष्य के करियर का मार्ग प्रशस्त करने में मददगार साबित हुई। बार्न्स स्कूल, देवलाली में अपनी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान, करमबीर ने केवल शैक्षणिक विषयों में बल्कि खेल और शारीरिक गतिविधियों में भी सक्रियता दिखाई। इस स्कूल में रहते हुए, उन्होंने नेतृत्व गुणों का विकास किया, जो बाद में उनकी सैन्य करियर में महत्वपूर्ण साबित हुए। एनडीए में दाखिला लेने के बाद, करमबीर ने अपने अध्ययन के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को तैयार किया। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में उन्होंने विभिन्न प्रकार के सैन्य अभ्यास किए और नेतृत्व का अनुभव प्राप्त किया। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें 56वें कोर्स में एक प्रमुख स्थान दिलाया। इसके बाद, करमबीर सिंह ने रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में अध्ययन किया, जहां उन्होंने रणनीतिक अध्ययन और सैन्य विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया। इसके साथ ही, कॉलेज ऑफ नेवल वारफेयर, मुंबई में उनकी पढ़ाई ने उन्हें नौसैनिक संचालन के तकनीकी और व्यावसायिक ज्ञान से लैस किया। इस प्रकार, उनके प्रारंभिक जीवन और शिक्षा ने उन्हें भारतीय नौसेना के एक प्रमुख अधिकारी बनने के लिए मजबूती से तैयार किया। करमबीर सिंह का समर्पण और उनके द्वारा अर्जित ज्ञान ने उन्हें बाद में कई महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक कार्य करने में सहायता की।

करियर और जीविका

एडमिरल करमबीर सिंह ने जुलाई 1980 में भारतीय नौसेना में कमीशन प्राप्त किया। अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में अपनी योग्यता अर्जित की और एचएएल चेतक, कामोव का-25 और का-28 जैसे विभिन्न हेलीकॉप्टरों में अनुभव प्राप्त किया। उनकी प्रारंभिक नियुक्तियों में भारतीय तटरक्षक बल के गश्ती पोत आईसीजीएस चांद बीबी और उसके वर्ग के कोरवेट आईएनएस विजयदुर्ग के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में कार्य किया। इसके बाद, उन्होंने राजपूत श्रेणी के निर्देशित मिसाइल विध्वंसक आईएनएस राणा की कमान संभाली, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों का संचालन किया। एडमिरल सिंह ने नौसेना स्टाफ के विभिन्न पदों पर कार्य किया, जिसमें पश्चिमी बेड़े के संचालन अधिकारी और संयुक्त निदेशक नौसेना वायु स्टाफ शामिल हैं। उनके अनुभव ने उन्हें नौसेना की उच्चतम कमान तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फ्लैग रैंक पर पदोन्नति के बाद, उन्हें पूर्वी नौसेना कमान का चीफ ऑफ स्टाफ नियुक्त किया गया। इस भूमिका में, उन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में त्रि-सर्विस यूनिफाइड कमांड का नेतृत्व किया। 31 अक्टूबर 2017 को, उन्हें फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पूर्वी नौसेना कमान के पद पर नियुक्त किया गया। इसके बाद, 23 मार्च 2019 को, उन्हें भारतीय नौसेना का 24वां प्रमुख (सीएनएस) नियुक्त किया गया। एडमिरल करमबीर सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान समुद्री सुरक्षा, संचालन और रणनीतिक रक्षा सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने भारतीय नौसेना को आधुनिक बनाने की दिशा में कई पहल कीं, जिससे यह क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बनकर उभरी।30 नवंबर 2021 को, वे सेवानिवृत्त हुए, और उनके स्थान पर वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार ने नौसेना प्रमुख का पदभार संभाला। उनके समर्पण और नेतृत्व ने भारतीय नौसेना में एक नई ऊंचाई को छूने में मदद की, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

ध्वज रैंक

एडमिरल करमबीर सिंह ने भारतीय नौसेना में कई महत्वपूर्ण ध्वज रैंक की भूमिकाएँ निभाई हैं, जो उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर रही हैं।

फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (Eastern Naval Command):

पदभार: 31 अक्टूबर 2017 से 23 मार्च 2019 तक।

इस भूमिका में, उन्होंने पूर्वी समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा और संचालन की जिम्मेदारी संभाली।

डायरेक्टर जनरल (Naval Operations):

उन्होंने नौसेना संचालन के रणनीतिक और संचालनात्मक पहलुओं को संभाला, जहाँ उन्होंने विभिन्न अभियानों की योजना बनाई और लागू किया।

Chief of Staff, Eastern Naval Command:

इस पद पर रहते हुए, उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यों का नेतृत्व किया, जिसमें त्रि-सर्विस यूनिफाइड कमांड के तहत संयुक्त ऑपरेशनों का संचालन शामिल था।

Chief of Naval Staff (CNS):

पदभार: 31 मई 2019 से 30 नवंबर 2021 तक।

एडमिरल करमबीर सिंह भारतीय नौसेना के 24वें प्रमुख बने, जहां उन्होंने नौसेना की रणनीतिक दिशा निर्धारित की और आधुनिककरण के प्रयासों का नेतृत्व किया।

Vice Admiral:

वे वाइस एडमिरल के पद पर कई वर्षों तक कार्यरत रहे, जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण नौसैनिक संचालन और नेतृत्व में योगदान दिया।

सीएनएस के रूप में द्विपक्षीय दौरे

एडमिरल करमबीर सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय दौरे किए, जो भारत की समुद्री रणनीति और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थे। निम्नलिखित कुछ प्रमुख दौरे हैं:

ऑस्ट्रेलिया (2–6 सितंबर 2019):

उद्देश्य: द्विपक्षीय चर्चा और प्रशांत रणनीतिक वार्ता।

इस दौरे ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाने में मदद की।

न्यूजीलैंड और बांग्लादेश (21–24 सितंबर 2019):

उद्देश्य: बंगाल की खाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय समुद्री संबंधों को सुदृढ़ करना।

दौरे के दौरान, उन्होंने सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, और आपसी सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की।

श्रीलंका (19–22 दिसंबर 2019):

उद्देश्य: हिंद महासागर क्षेत्र में द्विपक्षीय समुद्री संबंधों को बढ़ाना।

इस दौरे ने दोनों देशों के बीच सामरिक संबंधों को मजबूत किया और समुद्री सुरक्षा के मुद्दों पर सहयोग बढ़ाया।

पुरस्कार और सजावट

एडमिरल करमबीर सिंह ने अपने सैन्य करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण पुरस्कार और सजावट प्राप्त की हैं, जो उनके उत्कृष्ट सेवा और नेतृत्व का प्रमाण हैं। इनमें शामिल हैं:

परम विशिष्ट सेवा पदक (PVSM):

यह पुरस्कार उनके द्वारा की गई विशिष्ट सेवाओं के लिए दिया गया, जो उनकी उच्चतम सैन्य मानकों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अति विशिष्ट सेवा पदक (AVSM):

यह सम्मान उनकी अतिरिक्त सेवा और नेतृत्व क्षमताओं के लिए प्रदान किया गया।

सामान्य सेवा पदक:

यह पुरस्कार सामान्य सेवा के लिए दिया जाता है, जो उनके समर्पण और अनुभव को मान्यता प्रदान करता है।

ऑपरेशन विजय मेडल:

यह मेडल करगिल युद्ध के दौरान उनके योगदान के लिए दिया गया।

ऑपरेशन पराक्रम पदक:

यह पदक उनके द्वारा किए गए ऑपरेशनल कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

सैन्य सेवा पदक:

यह पुरस्कार उनकी दीर्घकालिक सेवाओं के लिए प्रदान किया गया।

स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पदक:

यह सम्मान स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के लिए दिया गया।

दीर्घ सेवा पदक:

यह विभिन्न वर्षों की सेवा के लिए दिया गया, जिसमें 30, 20 और 9 वर्षों की दीर्घ सेवा के लिए अलग-अलग पदक शामिल हैं।

जापान के ऑर्डर ऑफ़ राइजिंग सन, गोल्ड और सिल्वर स्टार:

29 अप्रैल 2023 को उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया, जो भारत और जापान के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को मान्यता देता है।

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