हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों के चलते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों के लिए बागी उम्मीदवारों ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। हिसार सीट पर भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती सावित्री जिंदल के रूप में सामने आई है, जो पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ मैदान में हैं। सावित्री जिंदल का प्रभाव हिसार क्षेत्र में काफी है, जिससे भाजपा के आधिकारिक प्रत्याशी की स्थिति कमजोर हो सकती हैं।
चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव इस बार और भी दिलचस्प हो गया है, क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए बागी उम्मीदवार एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। सत्ता की इस समरभूमि में बागियों की बगावत ने प्रमुख राजनीतिक दलों के चुनावी समीकरण बिगाड़ने शुरू कर दिए हैं। खासकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे ये बागी प्रत्याशी दो दर्जन से अधिक सीटों पर प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे दोनों दलों के अधिकृत उम्मीदवारों के लिए हार-जीत का समीकरण प्रभावित हो रहा हैं।
भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए यह स्थिति असहज है। हालाँकि इन दोनों दलों ने अपने कई बागियों को शांत करने में सफलता पाई है, लेकिन फिर भी जो बचे हुए बागी मैदान में डटे हैं, वे अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में मतदाताओं का ध्यान खींच रहे हैं। इन बागी उम्मीदवारों के अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत जनाधार और व्यक्तिगत समर्थन होने के कारण, वे प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। इस बगावत से संबंधित पार्टियों के लिए राजनीतिक रणनीति और जमीनी समर्थन पर दोबारा विचार करने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बागियों की उपस्थिति से दोनों दलों के वोट बैंक में विभाजन होने की संभावना बढ़ गई है, जिससे चुनावी परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं।
भाजपा को हिसार सीट पर मिल रही बड़ी चुनौती
हरियाणा में भाजपा की मुश्किलें बागी उम्मीदवारों की वजह से और बढ़ गई हैं, खासकर उन निवर्तमान विधायकों द्वारा जो टिकट से वंचित रह गए। भाजपा के कई असंतुष्ट नेता अब निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन दे रहे हैं, जिससे पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए चुनौती और भी गंभीर हो गई है। सबसे बड़ी बगावत हिसार विधानसभा सीट पर देखी जा रही है, जहां भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता के खिलाफ सावित्री जिंदल ने निर्दलीय के रूप में ताल ठोक दी हैं।
सावित्री जिंदल पूर्व मंत्री और कुरुक्षेत्र के भाजपा सांसद नवीन जिंदल की माता हैं, और उनके पास मजबूत राजनीतिक और सामाजिक आधार है। उनके निर्दलीय मैदान में उतरने से हिसार की लड़ाई भाजपा के लिए और कठिन हो गई है। यह बगावत भाजपा के भीतर असंतोष को भी उजागर करती है, क्योंकि पार्टी के कई पूर्व विधायकों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज हैं और बागियों को समर्थन दे रहे हैं। इससे भाजपा की चुनावी रणनीति प्रभावित हो रही है और पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशियों को अपने ही दल के भीतर विरोध का सामना करना पड़ रहा हैं।
रानियां सीट पर रणजीत चौटाला का दबदबा
हरियाणा विधानसभा चुनावों में भाजपा के सामने बागी उम्मीदवारों की चुनौती गंभीर होती जा रही है, खासकर तब जब पार्टी ने कई प्रमुख नेताओं को टिकट नहीं दिया। रानियां में पूर्व कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला, जिन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया, अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हैं। उनकी मौजूदगी भाजपा के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकती है। तोशाम में भी पूर्व विधायक शशि रंजन परमार भाजपा की श्रुति चौधरी के लिए चुनौती बन गए हैं, जबकि गन्नौर में देवेंद्र कादियान ने भाजपा के देवेंद्र कौशिक की राह कठिन कर दी है। देवेंद्र कौशिक सोनीपत के पूर्व सांसद रमेश कौशिक के भाई हैं, और अब उन्हें अपने ही नाम के एक निर्दलीय उम्मीदवार से कड़ी टक्कर मिल रही हैं।
पृथला में भी भाजपा के लिए परेशानी बढ़ी है, जहां पांच साल तक समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत को टिकट नहीं दिया गया। पार्टी ने वहां पूर्व विधायक टेक चंद शर्मा पर भरोसा जताया, लेकिन अब नयनपाल रावत निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं और कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। महम में राधा अहलावत, झज्जर में सतबीर सिंह, और पूंडरी में पूर्व विधायक दिनेश कौशिक जैसे बागी उम्मीदवारों ने भी भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ा दी है। ये बागी उम्मीदवार कई सीटों पर भाजपा के जीत-हार के समीकरण बिगाड़ सकते हैं।
भाजपा के सामने ये बागी उम्मीदवार
हरियाणा विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए बागी उम्मीदवारों की चुनौती और बढ़ती जा रही है। लाडवा में संदीप गर्ग, जो भाजपा के बागी उम्मीदवार हैं, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के सामने कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। भिवानी में प्रिया असीजा, रेवाड़ी में प्रशांत सन्नी, सफीदों में बच्चन सिंह और जसवीर देसवाल, और बेरी में खाप के उम्मीदवार अमित अहलावत डीघल भी भाजपा प्रत्याशियों के लिए कठिनाई खड़ी कर रहे हैं। कलायत में विनोद निर्मल और आनंद राणा, और इसराना में सत्यवान शेरा ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इन बागी उम्मीदवारों की मौजूदगी से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों को भारी चुनौती मिल रही है, जिससे चुनावी समीकरण भाजपा के लिए कठिन हो गए हैं। बागी उम्मीदवारों की इस उपस्थिति से भाजपा के जीतने की संभावनाओं पर भी असर पड़ सकता हैं।
कांग्रेस के सामने चुनौती पेश कर रहे ये बागी उम्मीदवार
हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस भी बागी उम्मीदवारों के कारण कठिन परिस्थितियों का सामना कर रही है। कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवारों के लिए कई सीटों पर बागी चुनौती पेश कर रहे हैं:
* कलायत में अनीता ढुल
* बाढ़डा में सोमवीर घसोला
* पृथला में नीटू मान
* कोसली में मनोज कुमार
* पटौदी में सुधीर चौधरी
* गोहाना में हर्ष छिक्कारा कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
इसके अलावा जींद में प्रदीप गिल, उचाना में बीरेंद्र गोगड़िया, बहादुरगढ़ में राजेश जून, बरवाला में संजना सातरोड और पानीपत शहरी में पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी भी कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए बड़ी चुनौतियाँ पेश कर रहे हैं। बल्लभगढ़ में शारदा राठौर को टिकट न मिलने के कारण वह और कपूर नरवाल, दोनों पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की जीत की राह में बाधा बन सकते हैं। इन बागी उम्मीदवारों से कांग्रेस के चुनावी समीकरण बिगड़ सकते हैं और पार्टी की जीत की संभावनाओं पर असर पड़ सकता हैं।