India Politics: भाजपा का सफर; दो सीटों से लेकर जादुई बहुमत तक की पूरी कहानी

India Politics: भाजपा का सफर;  दो सीटों से लेकर जादुई बहुमत तक की पूरी कहानी
Last Updated: 22 अगस्त 2024

India Politics: भाजपा का सफर; दो सीटों से लेकर जादुई बहुमत तक की पूरी कहानी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजनीतिक यात्रा भारतीय राजनीति के इतिहास में एक प्रेरणादायक कहानी के रूप में दर्ज है। 1984 में केवल दो सीटों के साथ संसद में प्रवेश करने वाली भाजपा ने समय के साथ खुद को भारत की सबसे मजबूत राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित किया है। इस लेख में हम भाजपा की इस अद्भुत यात्रा का विश्लेषण करेंगे, जिसमें पार्टी के प्रमुख नेताओं, उनके विचारों, योगदानों और संघर्षों का उल्लेख किया जाएगा। साथ ही, आने वाले लोकसभा चुनावों पर भी चर्चा की जाएगी।

शुरुआत: जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी तक का सफर

भारतीय जनता पार्टी की नींव 1980 में भारतीय जनसंघ के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में रखी गई थी। जनसंघ की स्थापना 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी, और इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का समर्थन प्राप्त था। जनसंघ का मुख्य उद्देश्य हिंदुत्व विचारधारा को आगे बढ़ाना और एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करना था।

1980 में, इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार के खिलाफ असंतोष और जनसंघ के कुछ नेताओं के इमरजेंसी के दौरान जेल जाने के बाद भाजपा का गठन किया गया। अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं ने इस नई पार्टी की बागडोर संभाली।

1984 का चुनाव: दो सीटों तक सीमित

1984 का लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए एक बड़ा झटका था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर में कांग्रेस ने भारी बहुमत हासिल किया, और भाजपा को केवल दो सीटें ही मिल पाईं। यह पार्टी के लिए सबसे कठिन समय था, लेकिन इसके नेताओं ने हिम्मत नहीं हारी।

* अटल बिहारी वाजपेयी:  वाजपेयी का दृष्टिकोण हमेशा से समावेशी और उदारवादी रहा। उन्होंने पार्टी को एक राष्ट्रवादी लेकिन उदार छवि दी। उनका कहना था, "हम दो सीटें जीते हैं, यह गर्व की बात है। हमारी विचारधारा जीवित है।"

* लालकृष्ण आडवाणी: आडवाणी ने पार्टी को एकजुट रखने और इसे पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा को एक नए तरीके से प्रस्तुत किया, जो पार्टी की लोकप्रियता में वृद्धि का कारण बना।

राम मंदिर आंदोलन: भाजपा के लिए टर्निंग पॉइंट

1990 के दशक की शुरुआत में, भाजपा ने राम मंदिर आंदोलन के जरिए अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया। लालकृष्ण आडवाणी की *रथ यात्रा* ने इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा मुद्दा बना दिया। इसके परिणामस्वरूप 1991 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की सीटें बढ़कर 120 हो गईं।

राम जन्मभूमि आंदोलन ने भाजपा को न केवल उत्तर भारत में बल्कि पूरे देश में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बना दिया। इस आंदोलन ने पार्टी को धार्मिक और सांस्कृतिक आधार पर समर्थन हासिल करने में मदद की।

1996: पहली बार सरकार बनाने की कोशिश

1996 में, भाजपा ने 161 सीटें जीतीं और संसद में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई, लेकिन बहुमत के अभाव में उनकी सरकार केवल 13 दिनों में गिर गई। यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने पार्टी को गठबंधन राजनीति की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

1998-2004: वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार

1998 के चुनाव में भाजपा ने 182 सीटें जीतीं और एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के सहयोग से सरकार बनाई। अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 से 2004 तक प्रधानमंत्री के रूप में सफलतापूर्वक देश का नेतृत्व किया।

* पोखरण परमाणु परीक्षण: वाजपेयी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक पोखरण में परमाणु परीक्षण था, जिसने भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना दिया।

* कारगिल युद्ध: 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान, वाजपेयी के नेतृत्व ने भारत को सफलतापूर्वक पाकिस्तान पर जीत दिलाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाई।

* आर्थिक सुधार: वाजपेयी सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना और स्वर्णिम चतुर्भुज योजना जैसी परियोजनाओं के जरिए बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया।

2004 का चुनाव और विपक्ष में वापसी

2004 के चुनावों में भाजपा को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार बनी। वाजपेयी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और आडवाणी ने पार्टी का नेतृत्व संभाला। 2004 से 2014 तक का समय भाजपा के लिए संघर्ष का दौर था, जिसमें उसे विपक्ष में रहकर अपनी नई रणनीति तैयार करनी पड़ी।

2014: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की वापसी

2014 के चुनावों में, नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया। उनके नेतृत्व में भाजपा ने 282 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। यह भाजपा के इतिहास में एक नया अध्याय था, जिसने पार्टी को देश की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बना दिया।

* नरेंद्र मोदी का योगदान: मोदी की लोकप्रियता, उनकी विकास की राजनीति, और भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ने उन्हें जनता के बीच एक लोकप्रिय नेता बना दिया। "सबका साथ, सबका विकास" का नारा मोदी की राजनीति का केंद्र बिंदु बना।

* सरकार की प्रमुख योजनाएं: मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं में स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, और जनधन योजना शामिल हैं, जिन्होंने भाजपा को जनसमर्थन दिलाने में मदद की।

2019: दूसरा कार्यकाल और और भी मजबूत भाजपा

2019 के चुनावों में भाजपा ने एक बार फिर से बहुमत हासिल किया, इस बार 303 सीटों के साथ। यह चुनाव इस बात का प्रमाण था कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की लोकप्रियता और भी बढ़ गई हैं।

* कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना था। इस कदम ने भाजपा को राष्ट्रीय एकता के प्रति दृढ़संकल्पित पार्टी के रूप में स्थापित किया।

* सीएए और एनआरसी: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) ने देश में बड़ी बहस छेड़ी। भाजपा का दावा था कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

आने वाले लोकसभा चुनाव का विश्लेषण

2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है, लेकिन उसे कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता हैं।

* मोदी की लोकप्रियता: नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनके विकास कार्य भाजपा की सबसे बड़ी ताकत हैं।

* विपक्ष का गठबंधन: यदि विपक्ष एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाता है, तो यह चुनाव संघर्षपूर्ण हो सकता हैं।

* आर्थिक मुद्दे: महंगाई, बेरोजगारी, और किसान असंतोष जैसे मुद्दे भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।

* मुस्लिम समुदाय की नाराजगी: सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों पर मुस्लिम समुदाय की नाराजगी भाजपा के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता हैं।

निष्कर्ष: भाजपा की अद्भुत यात्रा

भाजपा का दो सीटों से जादुई बहुमत तक का सफर भारतीय राजनीति की सबसे प्रेरणादायक कहानियों में से एक है। इस यात्रा में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, और नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं।

आज भाजपा भारत की सबसे मजबूत राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरी है, लेकिन आने वाले समय में उसे नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। 2024 के चुनाव भाजपा के लिए निर्णायक हो सकते हैं, जहां उसे अपनी नीतियों, रणनीतियों, और विकास कार्यों का समर्थन पाने के लिए जनता के सामने फिर से जाना होगा।

भाजपा की यह यात्रा संघर्षों, संघर्षशील नेताओं, और स्थिर नेतृत्व की कहानी है, जिसने भारत की राजनीतिक दिशा को नया मोड़ दिया हैं।

नोट:- यह लेख लेखक के शोध और उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण के रूप में लिखा गया है। इसे किसी आधिकारिक दस्तावेज़ या समाचार की तरह न समझा जाए।

Leave a comment