जब जम्मू-कश्मीर बना भारत का अभिन्न अंग, महाराजा हरि सिंह का ऐतिहासिक विलय पत्र पर हस्ताक्षर

जब जम्मू-कश्मीर बना भारत का अभिन्न अंग, महाराजा हरि सिंह का ऐतिहासिक विलय पत्र पर हस्ताक्षर
Last Updated: 1 दिन पहले

आज का दिन भारत के लिए  बेहद महत्वपूर्ण है भारत के इतिहास में एक सुनहरी याद दिलाता है। इस दिन, कश्मीर का भारत में विलय हुआ था, और महाराजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। यह दिन भारत की एकता और अखंडता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन को हम राष्ट्रीय गौरव के साथ मनाते हैं।

जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय

एक ऐतिहासिक दिन 26 अक्टूबर, 1947 - यह वो दिन था जिसने जम्मू-कश्मीर के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया। इस दिन, जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बना दिया। महाराजा हरि सिंह ने पाकिस्तान समर्थित सेनाओं से युद्ध करने के लिए भारतीय सेना से मदद मांगी थी। इससे पहले, कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित लड़ाकों ने घुसपैठ शुरू कर दी थी। 27 अक्टूबर, 1947 को, भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने इस विलय को स्वीकार कर लिया। यह विलय भारत के संविधान में भी शामिल किया गया, जिसने जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग घोषित किया। इस प्रकार, 26 अक्टूबर, 1947 को जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जिसने भारत और जम्मू-कश्मीर के बीच एक अटूट रिश्ता स्थापित किया।

पाकिस्तान समर्थित कबायली हमला

कश्मीर की दुर्दशा 24 अक्टूबर 1947 की सुबह, हजारों कबायली, पाकिस्तानी सैनिकों के वेश में, कश्मीर पर हमलावर हो गए। यह एक योजनाबद्ध आक्रमण था, जिसका उद्देश्य कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना था। महाराजा हरि सिंह, कश्मीर के शासक, इस अचानक हमले से भयभीत थे। उन्होंने भारत से मदद माँगी, लेकिन भारत तब तक कश्मीर के साथ अंग नहीं हुआ था, इसलिए भारतीय सेना सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकी। यह कश्मीर के लिए एक मुश्किल घड़ी थी, एक अकेला संघर्ष जो उस समय अनिश्चित भविष्य की ओर ले जा रहा था। यह हमला भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया। कश्मीर का भविष्य, जो उस समय अनिश्चित था, इस हमले के बाद और अधिक जटिल हो गया।

पाकिस्तान समर्थित कबायली हमला

कश्मीर की दुर्दशा 24 अक्टूबर 1947 की सुबह, हजारों कबायली, पाकिस्तानी सैनिकों के वेश में, कश्मीर पर हमलावर हो गए। यह एक योजनाबद्ध आक्रमण था, जिसका उद्देश्य कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना था। महाराजा हरि सिंह, कश्मीर के शासक, इस अचानक हमले से भयभीत थे। उन्होंने भारत से मदद माँगी, लेकिन भारत तब तक कश्मीर के साथ अंग नहीं हुआ था, इसलिए भारतीय सेना सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकी। यह कश्मीर के लिए एक मुश्किल घड़ी थी, एक अकेला संघर्ष जो उस समय अनिश्चित भविष्य की ओर ले जा रहा था। यह हमला भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया। कश्मीर का भविष्य, जो उस समय अनिश्चित था, इस हमले के बाद और अधिक जटिल हो गया।

विलय के पश्चात भारतीय सेना का कश्मीर पहुंचना 27 अक्टूबर को भारतीय सेना पहली बार कश्मीर की ओर अग्रसर हुई और उन्हें हवाई जहाज के माध्यम से श्रीनगर की हवाई पट्टी पर उतारा गया। इस विलय के साथ ही भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में मोर्चा संभाल लिया। इसी दिन, भारतीय सेना श्रीनगर पहुंच गई और उन्होंने कश्मीर को हमलावरों से मुक्त कराया।

26 अक्टूबर के ऐतिहासिक क्षण एक दृष्टि में

1774 फिलाडेल्फिया में अमेरिका की पहली महाद्वीपीय कांग्रेस का स्थगन।

1858 एच.. स्मिथ द्वारा वॉशिंग मशीन का पेटेंट प्राप्त।

1905 नॉर्वे ने स्वीडन से अपनी स्वतंत्रता का उद्घोष।

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