Mahakumbh Stampede: महाकुंभ में भीड़ बेकाबू! भगदड़ के 6 बड़े कारण, प्रशासन की भूमिका पर सवाल

Mahakumbh Stampede: महाकुंभ में भीड़ बेकाबू! भगदड़ के 6 बड़े कारण, प्रशासन की भूमिका पर सवाल
अंतिम अपडेट: 19 घंटा पहले

प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से 30 श्रद्धालुओं की मौत, 90 से ज्यादा घायल। सतर्कता के बावजूद तैयारियां नाकाम रहीं। हादसे के पीछे क्या थीं मुख्य वजहें? जानें पूरी जानकारी।

Mahakumbh Stampede: मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे थे। ब्रह्म मुहूर्त में संगम नोज पर भारी भीड़ जमा हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। इस हादसे में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 90 से ज्यादा घायल हो गए। प्रशासन की सतर्कता के बावजूद ऐसी स्थिति क्यों बनी? आइए जानते हैं हादसे के 6 बड़े कारण।

1- संगम नोज की ओर भेजे गए श्रद्धालु

महाकुंभ में भीड़ नियंत्रण के लिए प्रशासन ने होल्डिंग एरिया बनाए थे, लेकिन शायद इनका सही इस्तेमाल नहीं हुआ। रात में स्नान न होने के कारण श्रद्धालु अलग-अलग स्थानों पर बैठे थे, लेकिन रात 8 बजे के बाद उन्हें संगम की ओर भेजना शुरू कर दिया गया। इससे रात 9 बजे से ही भारी भीड़ उमड़ पड़ी और भगदड़ की स्थिति बन गई।

2- प्रशासन का वन-वे प्लान नहीं किया काम

प्रशासन ने वन-वे प्लान तैयार किया था, जिसमें श्रद्धालुओं को एक ही दिशा में जाने और दूसरी दिशा से बाहर निकलने की व्यवस्था थी। लेकिन संगम अपर मार्ग पर ही भीड़ बढ़ती रही और अक्षयवट रास्ते से श्रद्धालु नहीं निकले। इससे एक ही रास्ते पर ज्यादा दबाव पड़ा और भगदड़ मच गई।

3- पांटून पुलों का बंद रखना भी बनी बड़ी गलती

श्रद्धालुओं के लिए 30 पांटून पुल बनाए गए थे, लेकिन इनमें से 10 से ज्यादा पुलों को हमेशा बंद रखा गया। इससे झूंसी से आने वाले श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। थकान की वजह से वे संगम नोज पर बैठ गए, जिससे भीड़ अधिक हो गई और भगदड़ की स्थिति बनी।

4- प्रमुख रास्तों पर बैरिकेडिंग से बढ़ी मुश्किलें

प्रशासन ने कुंभ क्षेत्र में कई सड़कों को चौड़ा किया, लेकिन उनमें से कुछ को बंद रखा गया। इसके अलावा कई रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी गई, जिससे श्रद्धालुओं को लगातार चलते रहना पड़ा। थकान के कारण वे संगम किनारे बैठ गए और समय पर नहीं निकल सके, जिससे भीड़ बढ़ती चली गई।

5- सुरक्षाबलों का कैंप बहुत दूर था

सीआईएसएफ का कैंप सेक्टर-10 में था, लेकिन अन्य सेक्टरों में नहीं लगाया गया था। जब भगदड़ मची तो सीआईएसएफ को बुलाया गया, लेकिन भीड़ अधिक होने के कारण सुरक्षाबलों को सेक्टर-3 तक पहुंचने में काफी देर हो गई। अगर हर सेक्टर में सुरक्षाबलों का कैंप होता तो स्थिति को जल्द नियंत्रित किया जा सकता था।

6- श्रद्धालुओं को रात 8 बजे से भेजना बनी गलती

मौनी अमावस्या स्नान के लिए श्रद्धालु संगम तट के पास जल्दी पहुंच जाते हैं और वहीं रुक जाते हैं। प्रशासन को संगम के पास अधिक व्यवस्था करनी चाहिए थी। अगर श्रद्धालुओं को रात 8 बजे के बजाय 2 बजे के बाद संगम की ओर भेजा जाता, तो स्थिति नियंत्रित रहती।

मेला अधिकारी और डीआईजी ने क्या कहा?

मेला अधिकारी विजय किरन आनंद और डीआईजी वैभव कृष्ण के अनुसार, रात 1 से 2 बजे के बीच भीड़ तेजी से बढ़ी। अखाड़ों की बैरिकेडिंग टूट गई और श्रद्धालु अफरा-तफरी में एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए। इस कारण कई लोग कुचल गए। प्रशासन ने तुरंत ग्रीन कॉरिडोर बनाया और एंबुलेंस के माध्यम से घायलों को अस्पताल भेजा, लेकिन 30 श्रद्धालुओं की जान नहीं बचाई जा सकी।

प्रशासन ने किए अहम बदलाव

- इस हादसे के बाद प्रशासन ने कई बदलाव किए हैं:

- मेला क्षेत्र को पूरी तरह नो-व्हीकल जोन घोषित किया गया।

- वीवीआईपी पास कैंसिल कर दिए गए।

- वन-वे रूट का सख्ती से पालन कराया जा रहा है।

- पड़ोसी जिलों से आने वाले वाहनों को बॉर्डर पर ही रोका जा रहा है।

- कारों को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।

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