भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बात करें तो मंगल पांडे का नाम सबसे पहले याद आता हैं। ब्राह्मण परिवार में 19 जुलाई को जन्में मंगल पांडेय मात्र 22 साल की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए थे। 1857 में हुए सैनिक विद्रोह में मंगल पांडेय ने अहम भूमिका निभाई थी।
लाइफस्टाइल: गुलामी की बेड़ियों से निकालकर भारत को आजादी दिलाने के लिए हमारे देश के कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। स्वतंत्रा के लिए कई सालों तक अग्रेजो के साथ लड़ाई चली, जिसकी बदौलत 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों के चुंगल से आजादी मिली। भारत में स्वतंत्रा का पहला बिगुल बजाने वाले मंगल पांडेय ने साल 1857 में हुए सैनिक विद्रोहके दौरान अंग्रेजो को मुंह तोड़ जवाब दिया था।
बता दें इसके बाद ही पूरे देश में स्वतंत्रता के लिए लोगों में आक्रोश पैदा हुआ और भारत के स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत हुई। भारत में स्वतंत्रता की लड़ाई ने इस विद्रोह के बाद तेजी से रफ्तार पकड़ी और देश के कोने-कोने से कई वीर और वीरांगना स्वतंत्रता संग्राम में अपना संंयोग देने के लिए शामिल हो गई। 19 जुलाई 1827 को जन्मे मंगल पांडेय का जीवन बहुत छोटा था, लेकिन उनकी कीर्ति बहुत बड़ी साबित हुई, जिसकी बदौलत आज भी लोग स्वतंत्रता सेनानियों में मंगल पांडेय का नाम बड़ी श्रद्धा और आदर के साथ सबसे पहले लेते हैं।
स्वतंत्र सेनानी मंगल पांडेय
मंगल पांडेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिला में नगवा नाम के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम अभयरानी पांडेय और पिता का नाम दिवाकर पांडेय था। यह ब्राह्मण परिवार में संबंध रखते थे। बता दें मंगल पांडेय मात्र 22 साल की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए। जानकारी के मुताबिक बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34 बटालियन में शामिल होने के बाद मंगल पांडेय ने आक्रोश में आकर अपनी ही बटालियन के खिलाफ विद्रोह छेद दिया था, जिसके कारण उन्हें फांसी दी गई।
1857 के विद्रोह का क्या था कारण?
मंगल पांडेय के द्वारा 1857 के विद्रोह के पीछे की मुख्य वजह एंफील्ड पी-53 राइफल का इस्तेमाल करना था। क्योकि इस राइफल का निशाना अचूक था, लेकिन इस राइफल में गोली भरने के लिए कारतूस को केवल दांत से खोलना पड़ता था। लोगों में ऐसी बात की चर्चा हो रही थी कि इस कारतूस को बनाने के ऊपर लगी कवर में सुअर और गाय के मांस का प्रयोग किया गया है। जो लोगों के धर्म के खिलाफ थी। मंगल पांडेय ने ब्राह्मण होने के नाते इस बात का काफी विरोध किया। मंगल पांडेय यह भी समझ गए थे कि यहीं मौका है लोगों में स्वतंत्रता की जवाला पैदा करने का। इसके बाद मंगल पांडेय ने अपने साथियों को विद्रोह करने को कहां और उन्होंने ऐसा ही किया।
बता दें 29 मार्च 1857 को मंगल पांडेय ने अपने सीनियर सार्जेंट मेजर पर आक्रोश में आकर गोली चला दी। इसके बाद उन्हें गिरफतार करके 8 अप्रैल 1857 को बराकपुर में फांसी पर लटका दिया। इस घटना के बाद देश में कई जगहों पर सैन्य विरोध शुरू हुआ और भारत में स्वतंत्रता संग्राम का उदय हुआ. तेजी से रफ्तार पकड़ने वाले विद्रोह की मात्र 29 साल की उम्र में शहीद हुए मंगल पांडेय ने नीव रखी थी, जिसकी बदौलत भारत को अंग्रेजी सरकार से आजादी मिली थी।