वक्फ बिल में बदलाव, जेपीसी की रिपोर्ट 31 जनवरी तक हो सकती है पेश, जानें किन फैसलों पर मिली मंजूरी

वक्फ बिल में बदलाव, जेपीसी की रिपोर्ट 31 जनवरी तक हो सकती है पेश, जानें किन फैसलों पर मिली मंजूरी
अंतिम अपडेट: 27-01-2025

वक्फ बिल पर जेपीसी की बैठक खत्म हो गई, एनडीए के संशोधन स्वीकार किए गए। 29 जनवरी को मतदान की संभावना, रिपोर्ट 31 जनवरी तक पेश हो सकती है।

Waqf Board: वक्फ संशोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक आज समाप्त हो गई। इसमें सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी 14 संशोधनों को मंजूरी दी गई। विपक्षी सदस्यों द्वारा पेश किए गए हर संशोधन को अस्वीकार कर दिया गया।

वक्फ बिल का उद्देश्य और बदलाव

यह विधेयक पिछले वर्ष अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था और इसका उद्देश्य मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन में 44 विवादास्पद बदलाव करना है। जेपीसी की बैठक में इस बिल में कई महत्वपूर्ण बदलावों को मंजूरी मिली, जिनमें से कुछ प्रमुख बदलाव निम्नलिखित हैं:

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य

संशोधित बिल में पहले यह प्रावधान था कि राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्य अनिवार्य होंगे। अब यह बदलाव किया गया है, जिसके अनुसार वक्फ परिषदें, चाहे राज्य स्तर पर हों या अखिल भारतीय स्तर पर, अब कम से कम दो और संभवतः अधिक सदस्य होंगे, जो इस्लाम धर्म से नहीं होंगे।

वक्फ संपत्ति का निर्णय

संशोधन के तहत अब यह तय किया गया है कि वक्फ संपत्ति के मामले में निर्णय राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी करेंगे, जबकि पहले यह निर्णय जिला कलेक्टर पर छोड़ा गया था।

पूर्वव्यापी कानून का अभाव

एक अन्य संशोधन के अनुसार, यह बिल पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं होगा। इसका मतलब है कि केवल रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियां ही प्रभावित नहीं होंगी, जबकि जो पहले से रजिस्टर्ड नहीं हैं, उनके लिए भविष्य में नए मानक तय किए जाएंगे। हालांकि, कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने कहा कि 90 प्रतिशत वक्फ संपत्तियां रजिस्टर्ड नहीं हैं।

अन्य महत्वपूर्ण बदलाव

एनडीटीवी के सूत्रों के मुताबिक, जेपीसी में 11 अन्य संशोधनों को भी मंजूरी दी गई, जिनमें से एक तेजस्वी सूर्या द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जिसमें भूमि दान करने वालों से यह शर्त रखी गई कि उन्हें यह साबित करना होगा कि वे कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं और यह भी स्वीकार करना होगा कि उनकी संपत्ति समर्पण में कोई साजिश नहीं शामिल है।

रिपोर्ट पेश करने की तिथि

रिपोर्ट के अनुसार, इन संशोधनों को मंजूरी देने के लिए 29 जनवरी को मतदान होगा, और जेपीसी की अंतिम रिपोर्ट 31 जनवरी तक प्रस्तुत की जा सकती है। पहले इस रिपोर्ट को 29 नवंबर 2024 तक पेश करना था, लेकिन बाद में समय सीमा बढ़ाकर 13 फरवरी कर दी गई, जो बजट सत्र के आखिरी दिन भी है।

जेपीसी की बैठक में हंगामा

जेपीसी की बैठक में कई बार हंगामे की घटनाएं घटी। हाल ही में एक बैठक में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के प्रस्ताव पर 10 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। वहीं, पिछले वर्ष 22 अक्टूबर को हुई बैठक के दौरान कई नेताओं के बीच मारपीट हुई थी, जिसके कारण तनाव की स्थिति बन गई थी।

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