भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि भारत का दृष्टिकोण और उसकी नीति दोनों ही अंतरराष्ट्रीय कानून, नियम और मानदंडों के प्रति सम्मान पर आधारित रही है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले चार दशकों में भारत ने अपनी विदेश नीति में लगातार विस्तार और विकास किया है, जिससे इस क्षेत्र में उसकी स्थिति और भूमिका मजबूत हुई हैं।
सिंगापुर: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सिंगापुर में शुक्रवार को आयोजित आसियान-‘इंडिया नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक्स’ के आठवें गोलमेज सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत और आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन) के सदस्य देश जनसंख्या के हिसाब से बड़े हैं, और उनका सहयोग समसामयिक वैश्विक मुद्दों के समाधान में महत्वपूर्ण हो सकता है, जैसे खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा, और म्यांमार जैसी राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना।
इस गोलमेज सम्मेलन का विषय था, "परिवर्तनशील विश्व में मार्गदर्शन: आसियान-भारत सहयोग के लिए एजेंडा।" जयशंकर ने अपनी बातों में यह भी बताया कि भारत और आसियान की कुल जनसंख्या विश्व की एक-चौथाई जनसंख्या से अधिक है, जो इस क्षेत्र को एक शक्तिशाली और प्रभावी आर्थिक और राजनीतिक इकाई बनाती है। उन्होंने कहा, "हमारी उपभोक्ता मांग और जीवनशैली की पसंद, दोनों मिलकर न केवल हमारी अर्थव्यवस्था को प्रगति प्रदान कर सकती हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी उत्पादक शक्तियों के रूप में उभर सकती हैं।"
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि...
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सिंगापुर में आसियान-‘इंडिया नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक्स’ के आठवें गोलमेज सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कहा कि भारत और आसियान के बीच सहयोग का दायरा न केवल व्यापार और आर्थिक संबंधों तक सीमित है, बल्कि यह सेवाओं, कनेक्टिविटी, पर्यटन, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी विस्तारित हो रहा है। उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को आकार देकर दोनों पक्ष व्यापार और शिक्षा को बढ़ावा देंगे, जिससे दोनों देशों के बीच आवाजाही में भी सुगमता आएगी।
जयशंकर ने कहा कि समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण हो सकता है, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर। उन्होंने चेतावनी दी कि जलवायु परिवर्तन की चरम स्थितियों में खाद्य सुरक्षा एक बड़ी चिंता बन गई है, और वैश्विक महामारियों के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा की तैयारी पर भी ध्यान देना आवश्यक हैं।
म्यांमार के संदर्भ में, जयशंकर ने साझा क्षेत्र में राजनीतिक चुनौतियों को रेखांकित किया और कहा कि म्यांमार की स्थिति इसका एक प्रमुख उदाहरण है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और आसियान को मिलकर इन समस्याओं का समाधान करना होगा। उन्होंने कहा, "हमारे पास दूरी या समय की सुविधा नहीं है," और इस संदर्भ में मानवता सहायता, आपदा राहत (एचएडीआर), समुद्री सुरक्षा और संरक्षा जैसे मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर भी बल दिया।