Pakistan: जिन्ना का विश्वासघात या बलूचों की आजादी की जंग? BLA ने क्यों हाईजैक की ट्रेन? जानें सबकुछ

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लूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन कम आबादी वाला प्रांत है, जहां शांति दुर्लभ है। 11 मार्च को BLA आतंकियों ने ट्रेन हाईजैक कर 100 यात्रियों को बंधक बना लिया।

Pakistan: पाकिस्तान के चार प्रांतों में बलूचिस्तान सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन इसकी आबादी सबसे कम है। यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, फिर भी इसे उपेक्षित रखा गया है। यहां विकास का कार्य बेहद धीमा है और दशकों से यह अशांति और विद्रोह की आग में जल रहा है।

BLA का हमला: ट्रेन हाईजैक और बंधक संकट

11 मार्च 2025 को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के आतंकवादियों ने पाकिस्तान की क्वेटा-पेशावर जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया। उन्होंने करीब 100 यात्रियों को बंधक बना लिया। यह घटना पाकिस्तान के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती बन गई है।

बलूच विद्रोह: कब-कब उठी आवाज़?

1948 से ही बलूच राष्ट्रवादी पाकिस्तान के खिलाफ हथियार उठा रहे हैं।
1958-59, 1962-63 और 1973-77 में बड़े स्तर पर स्वतंत्रता आंदोलन चले।
2003 से अब तक लगातार विद्रोह जारी है।
2006 में पाकिस्तानी सेना ने बलूच नेता अकबर बुगती की हत्या कर दी, जिससे विद्रोह और भड़क गया।
हालिया हमला भी बलूच राष्ट्रवादियों के लंबे संघर्ष का हिस्सा है।

बलूचिस्तान के गुस्से की मुख्य वजहें

ग्वादर बंदरगाह: चीन की मदद से इस बंदरगाह को विकसित किया जा रहा है, जिससे बलूच लोगों में आक्रोश है।
आर्थिक शोषण: बलूचिस्तान की खनिज संपदा का दोहन कर पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था चला रहा है, लेकिन बलूच लोगों को इससे कोई लाभ नहीं मिलता।
सैन्य दमन: पाकिस्तानी सेना लगातार बलूच नागरिकों पर हमले करती रही है, जिससे वहां असंतोष बढ़ता जा रहा है।

1971 का बांग्लादेश कनेक्शन और बलूच विद्रोह

1971 में जब बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता हासिल की, तो बलूच नेताओं ने भी स्वायत्तता की मांग की।
तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने इन मांगों को खारिज कर दिया, जिससे विद्रोह भड़क गया।
1973 से 1977 तक बलूच संघर्ष अपने चरम पर रहा, जिसे चौथे बलूचिस्तान संघर्ष के रूप में जाना जाता है।
1977 में जनरल जिया-उल-हक ने सैन्य तख्तापलट कर भुट्टो को हटा दिया और बलूच विद्रोहियों को माफी देकर संघर्ष समाप्त किया।

बलूचिस्तान का जबरन पाकिस्तान में विलय

1947 में जब पाकिस्तान का गठन हुआ, तो बलूचिस्तान के पास तीन विकल्प थे – भारत में शामिल होना, पाकिस्तान में विलय करना या स्वतंत्र रहना। बलूचिस्तान के खान ने स्वतंत्रता को चुना, लेकिन जिन्ना के दबाव और पाकिस्तान की सैन्य शक्ति के कारण 26 मार्च 1948 को इसे पाकिस्तान में मिला दिया गया।

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