रूस ने घोषणा की है कि वह शनिवार से ऑस्ट्रिया को गैस की आपूर्ति बंद कर देगा। यह आपूर्ति यूक्रेन के माध्यम से जाने वाली पाइपलाइन के जरिए होती थी। रूस ने यह भी स्पष्ट किया है कि जनवरी 2024 से वह इस मार्ग से यूरोप के अन्य देशों को गैस की आपूर्ति पूरी तरह से रोक देगा।
मॉस्को: रूस द्वारा यूक्रेन के माध्यम से गैस आपूर्ति निलंबित करने और 2025 तक इसे पूरी तरह बंद करने की घोषणा से यूरोप में ऊर्जा संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। यह पाइपलाइन सोवियत काल से यूरोप के लिए गैस आपूर्ति का प्रमुख मार्ग रही है। ऑस्ट्रिया, हंगरी, स्लोवाकिया, और जर्मनी जैसे देश, जो रूसी गैस पर अत्यधिक निर्भर हैं, सबसे अधिक प्रभावित होंगे। हालांकि जर्मनी और इटली जैसे देशों ने अन्य स्रोतों, जैसे तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG), की ओर रुख किया है, लेकिन इस पाइपलाइन का बंद होना उनकी ऊर्जा लागत और आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव डाल सकता हैं।
यूक्रेन को भी पारगमन शुल्क से होने वाली राजस्व हानि का सामना करना पड़ेगा, जो उसके पहले से जर्जर आर्थिक हालात को और खराब कर सकता है। इस स्थिति में यूरोप को नॉर्वे, कतर और अमेरिका जैसे वैकल्पिक स्रोतों से गैस आपूर्ति बढ़ाने और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी लाने की आवश्यकता होगी। रूस और यूरोप के बीच यह ऊर्जा तनाव न केवल आर्थिक, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी दूरगामी प्रभाव डाल सकता हैं।
यूरोप में मच सकती है तबाही
यूक्रेन के माध्यम से यूरोप को रूसी गैस की आपूर्ति हाल के वर्षों में अपेक्षाकृत कम हो गई है। 2023 में रूस ने इस मार्ग से लगभग 15 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) गैस यूरोप भेजी, जो कि 2018-2019 में विभिन्न मार्गों के माध्यम से प्रवाहित कुल रूसी गैस का मात्र 8% है। यह कमी इस तथ्य को दर्शाती है कि रूस ने यूरोपीय गैस बाजार में अपनी हिस्सेदारी बनाने में आधी सदी लगाई थी, जो अपने चरम पर 35% तक पहुंच गई थी।
हालांकि, 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से, यूरोपीय संघ ने रूसी गैस पर अपनी निर्भरता घटाने की दिशा में कदम उठाए। इस अवधि में नॉर्वे, संयुक्त राज्य अमेरिका और कतर जैसे देशों ने रूस की जगह लेकर अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई।
यूरोप में गैस कीमतों में हुई बढ़ोतरी
2022 में रूसी गैस आपूर्ति में कमी के बाद यूरोपीय संघ में गैस की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। सोवियत काल की उरेंगॉय-पोमरी-उज़गोरोड पाइपलाइन साइबेरिया से रूस के कुर्स्क क्षेत्र के सुद्ज़ा शहर के माध्यम से गैस लाती है। यह क्षेत्र अब यूक्रेनी सैन्य बलों के नियंत्रण में है। पाइपलाइन यूक्रेन से होते हुए स्लोवाकिया तक जाती है और वहां से चेक गणराज्य और ऑस्ट्रिया तक शाखाओं में बंट जाती हैं।
ऑस्ट्रिया अपनी अधिकांश गैस यूक्रेन के इस मार्ग के माध्यम से प्राप्त करता है, जबकि रूस हंगरी की गैस आयात का लगभग दो-तिहाई हिस्सा आपूर्ति करता है। स्लोवाकिया भी रूसी ऊर्जा दिग्गज गज़प्रॉम से हर साल लगभग 3 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) गैस प्राप्त करता है, जो उसकी कुल जरूरतों का करीब दो-तिहाई हिस्सा है। इस आपूर्ति मार्ग की बंद होने की संभावना यूरोप के ऊर्जा क्षेत्र के लिए गंभीर प्रभाव डाल सकती है, विशेष रूप से उन देशों के लिए जो अभी भी रूसी गैस पर निर्भर हैं।