Success Story: मजदूरी कर पढ़ाई, फिर बना डॉक्टर बनने का हकदार: सरफराज की अनोखी सफलता की कहानी

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सपने देखने का अधिकार हर किसी को है, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है। पश्चिम बंगाल के 21 वर्षीय सरफराज ने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से इस बात को सच साबित कर दिखाया। दिनभर मजदूरी कर अपने घर का खर्च चलाने वाला यह युवक कभी हार नहीं मानता था। उसने अपनी सीमित परिस्थितियों में भी डॉक्टर बनने का सपना संजोया और उसे साकार करने के लिए NEET परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया।

ईंटें उठाकर किया संघर्ष, फिर NEET में पाई सफलता

सरफराज का जीवन हमेशा संघर्षों से भरा रहा। हर दिन सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक वह मजदूरी करता था, जिससे उसे महज 300 रुपये मिलते थे। लेकिन उसने इस कठिनाई को अपनी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया। काम खत्म करने के बाद वह घर लौटता, थोड़ा आराम करता और फिर अपनी पढ़ाई में जुट जाता। बिना किसी महंगी कोचिंग के, केवल ऑनलाइन संसाधनों और अपनी मेहनत के दम पर उसने NEET परीक्षा में 720 में से 677 अंक हासिल किए।

सेना में जाने का सपना टूटा, तो चुनी नई राह

सरफराज शुरू में भारतीय सेना में भर्ती होना चाहता था, लेकिन एक गंभीर दुर्घटना ने उसके इस सपने को तोड़ दिया। इस झटके के बावजूद, उसने हार मानने की बजाय नया लक्ष्य तय किया और मेडिकल फील्ड में जाने का फैसला किया। कोविड-19 महामारी के दौरान उसने एक पुराना स्मार्टफोन खरीदा, जिसे किश्तों में चुकाया, ताकि वह ऑनलाइन कोचिंग कर सके।

पढ़ाई का जुनून और लोगों की मदद करने का जज्बा

सरफराज की सफलता उसकी मेहनत का ही परिणाम है। उसने 'फिजिक्स वाला' जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से पढ़ाई की और हर दिन घंटों मेहनत कर अपनी कमजोरियों को दूर किया। अब जब उसने NEET परीक्षा पास कर ली है, तो उसका सपना डॉक्टर बनकर उन लोगों की मदद करना है, जो महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते।

युवाओं के लिए मिसाल बने सरफराज

सरफराज की कहानी उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के कारण अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं। वह साबित कर चुके हैं कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत पूरी ईमानदारी से की जाए, तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है। उनका यह संघर्ष हर उस युवा के लिए सबक है, जो कठिनाइयों से घबराकर अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।

सरफराज का सपना अब सिर्फ खुद तक सीमित नहीं है, बल्कि वह समाज के जरूरतमंदों की मदद करने के लिए डॉक्टर बनना चाहते हैं। उनकी यह यात्रा दिखाती है कि संघर्ष के बिना सफलता अधूरी है, और सच्ची मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।

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