भारतीय राजनीति में अपने प्रभावशाली नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमताओं के लिए जानी जाने वाली वसुंधरा राजे सिंधिया, 8 मार्च 1953 को ग्वालियर के शाही सिंधिया परिवार में जन्मीं राजे ने राजनीति में अपने मजबूत कद से अपनी अलग पहचान बनाई है। वे राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और दो बार इस पद को संभाला।
शाही परिवार से राजनीति तक का सफर
8 मार्च 1953 को मुंबई में जन्मीं वसुंधरा राजे, ग्वालियर के शाही सिंधिया परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता जीवाजीराव सिंधिया ग्वालियर के अंतिम महाराजा थे, जबकि उनकी मां विजयाराजे सिंधिया भारतीय राजनीति की एक सशक्त नेता थीं। राजे ने मुंबई के सोफिया कॉलेज से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में स्नातक किया।
राजनीति में पदार्पण और संघर्ष
वसुंधरा राजे ने 1984 में भाजपा के साथ अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और जल्द ही पार्टी के एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभरीं। वे 1985 में राजस्थान विधानसभा के लिए चुनी गईं और इसके बाद लोकसभा में भी कई बार प्रतिनिधित्व किया। उनकी प्रशासनिक क्षमताओं और संगठनात्मक कौशल ने उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित कर दिया।
मुख्यमंत्री के रूप में ऐतिहासिक कार्यकाल
2003 में, वे राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, और इस उपलब्धि के साथ उन्होंने राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा। उनके पहले कार्यकाल (2003-2008) में राजस्थान में आधारभूत संरचना, महिला सशक्तिकरण और औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी गई।
2013 में वे दोबारा मुख्यमंत्री बनीं और उनके कार्यकाल में ‘जल स्वावलंबन योजना’ और ‘भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना’ जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएँ लागू की गईं, जिससे लाखों लोगों को लाभ मिला।
सम्मान और उपलब्धियाँ
वसुंधरा राजे को 2007 में संयुक्त राष्ट्र (UNO) द्वारा 'वुमेन टुगेदर अवार्ड' से सम्मानित किया गया। 2018 में उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री’ पुरस्कार भी मिला, जो उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।
राजनीतिक सक्रियता बरकरार
राजस्थान की राजनीति में आज भी वसुंधरा राजे की अहम भूमिका बनी हुई है। 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने झालरापाटन से फिर से जीत हासिल की। राज्य में भाजपा की राजनीति में वे एक महत्वपूर्ण निर्णय निर्माता बनी हुई हैं। वसुंधरा राजे का जीवन संघर्ष, नेतृत्व और सशक्तिकरण की मिसाल है। राजस्थान और भारतीय राजनीति में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके जन्मदिन पर राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक, सभी उन्हें शुभकामनाएँ दे रहे हैं।