प्रदेश में एक राज्य स्तरीय और दो मंडल स्तरीय संग्रहालयों के निर्माण की घोषणा की गई है। इसके साथ ही हर जिले में सभागार बनाए जाएंगे। सरकार ने वृद्ध और अस्वस्थ कलाकारों के लिए बड़ी राहत की घोषणा करते हुए उनकी मासिक पेंशन तीन हजार रुपये से बढ़ाकर छह हजार रुपये करने का फैसला लिया है।
Uttarakhand Silver Jubilee: उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती (Silver Jubilee) के अवसर पर आयोजित निनाद महोत्सव 2025 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के कलाकारों, लेखकों और सांस्कृतिक धरोहरों के हित में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। इस दौरान उन्होंने वृद्ध और आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों तथा लेखकों की मासिक पेंशन में ₹3000 की वृद्धि करते हुए इसे ₹6000 प्रति माह करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति, संगीत और लोककला राज्य की आत्मा है, और कलाकार इस धरोहर के असली संरक्षक हैं। “हमारी सरकार कलाकारों को सम्मान और स्थायित्व दोनों देने के लिए प्रतिबद्ध है,” उन्होंने कहा।
कलाकारों की पेंशन में वृद्धि — सांस्कृतिक सम्मान की नई दिशा
कार्यक्रम के दौरान सीएम धामी ने कहा कि राज्य सरकार ने वृद्ध और अस्वस्थ कलाकारों की पेंशन को ₹3000 से बढ़ाकर ₹6000 कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कई वरिष्ठ लोक कलाकार और साहित्यकार आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह योजना राज्य की सांस्कृतिक नीति के तहत “कलाकार सम्मान योजना (Artist Welfare Scheme)” को और सशक्त बनाएगी। सरकार का मानना है कि कलाकार केवल मनोरंजन नहीं करते, बल्कि वे समाज की आत्मा और पहचान को संरक्षित करते हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि संस्कृति विभाग (Department of Culture, Uttarakhand) में सूचीबद्ध सांस्कृतिक कलाकारों को अब नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर (NZCC) की तर्ज पर मानदेय (honorarium) दिया जाएगा। इसका अर्थ है कि कलाकारों को अब केंद्रीय मानकों के अनुरूप भुगतान और सुविधाएं मिलेंगी।
यह कदम न केवल कलाकारों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में है, बल्कि यह उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन के लिए बेहतर अवसर भी प्रदान करेगा।

राज्य और मंडल स्तरीय संग्रहालयों का निर्माण
मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश में एक राज्य स्तरीय संग्रहालय (State Museum) तथा कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों में एक-एक मंडल स्तरीय संग्रहालय (Regional Museums) स्थापित करने की भी घोषणा की। इन संग्रहालयों में उत्तराखंड की लोककला, शिल्प, वाद्य, वेशभूषा और लोककथाओं से जुड़ी विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा, हर जिले में एक आधुनिक सभागार (Auditorium) बनाया जाएगा, ताकि स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मंच मिल सके।
संस्कृति विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इन परियोजनाओं से न केवल स्थानीय रोजगार सृजन होगा, बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन (Cultural Tourism) को भी बढ़ावा मिलेगा।
निनाद महोत्सव: संस्कृति, संगीत और एकता का संगम
देहरादून के निंबूवाला में आयोजित निनाद महोत्सव में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से आए कलाकारों ने लोक संगीत, नृत्य और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा,
'यह सांस्कृतिक संगम इस बात का प्रमाण है कि भौगोलिक सीमाएं हमें बांट नहीं सकतीं। हम सब एक साझा विरासत और साझा हिमालयी चेतना से जुड़े हैं। हमारी सांस्कृतिक पहचान हमारी असली शक्ति है।'
उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उत्तराखंड की स्थापना लाखों लोगों के बलिदान और जनसमर्पण से हुई है। “उनके संघर्ष को नई पीढ़ी तक पहुंचाना हमारा नैतिक कर्तव्य है,' उन्होंने जोड़ा। मुख्यमंत्री धामी की घोषणाओं को राज्य के कलाकारों ने “सांस्कृतिक पुनर्जागरण (Cultural Renaissance)” की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया है।













