बुधवार, 5 नवंबर को देशभर में कार्तिक पूर्णिमा का पावन पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। काशी में देव दीपावली का भव्य आयोजन होता है, जबकि घरों में तुलसी माता की आरती और दीपदान से सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा: बुधवार, 5 नवंबर को पूरे देश में कार्तिक पूर्णिमा का पवित्र पर्व मनाया जा रहा है, जो हिंदू पंचांग के सबसे शुभ दिनों में शामिल है। इस अवसर पर भक्त भगवान शिव, भगवान विष्णु और माता तुलसी की पूजा करते हैं, दीपदान करते हैं और गंगा स्नान कर पुण्य की कामना करते हैं। काशी में देव दीपावली का आयोजन होता है, जहां हजारों दीये जलाकर घाटों को जगमगाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा और आरती से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता
मैय्या जय तुलसी माता
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता
मैय्या जय तुलसी माता
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता
मैय्या जय तुलसी माता
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता
मैय्या जय तुलसी माता
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपत्ति पाता
मैय्या जय तुलसी माता
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता
मैय्या जय तुलसी माता
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता
मैय्या जय तुलसी माता

कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा क्यों महत्वपूर्ण
धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा और दीपदान करने से सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं और जीवन में शुभता बढ़ती है। हिंदू धर्म में तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन उन्हें विशेष रूप से पूजित किया जाता है। इस दिन तुलसी के सामने दीपक जलाना और आरती करना बेहद शुभ माना गया है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन तुलसी विवाह की परंपरा पूरी होती है और यह दिन विष्णु भक्ति के लिए विशेष फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि जो भक्त आज के दिन तुलसी पूजन पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं, उनके जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पूजा विधि और मंत्र
तुलसी माता की पूजा करते समय साफ-सफाई और पवित्रता का ध्यान रखना जरूरी होता है। पूजा सुबह या शाम के समय की जा सकती है। तुलसी के सामने दीपक जलाकर, फूल चढ़ाकर और मिठाई अर्पित कर पूजा की जाती है। इसके बाद आरती की जाती है और मंत्र बोले जाते हैं।
पूजा के दौरान आप निम्न मंत्रों का जाप कर सकते हैं:
ॐ सुभद्राय नमः
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आदि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
इन मंत्रों का जाप करने से मन शांत होता है और पूजा का फल कई गुना बढ़ता है। पूजा के अंत में तुलसी माता की परिक्रमा की जाती है और अपनी मनोकामना बोलकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
देव दीपावली का विशेष महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। काशी में गंगा घाटों पर हजारों दीपक जलाए जाते हैं और पूरा शहर दिवाली की तरह जगमगा उठता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आकर दीपावली मनाते हैं, इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है। यह आयोजन देश के सबसे भव्य आध्यात्मिक समारोहों में से एक माना जाता है।
काशी में इस अवसर पर गंगा आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं और दीपदान कर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के धार्मिक लाभ
धार्मिक दृष्टि से कार्तिक पूर्णिमा को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए दान, स्नान और पूजा से जीवन में पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। पुराणों में बताया गया है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने और भगवान विष्णु व भगवान शिव की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और जीवन में समृद्धि आती है। तुलसी पूजा और दीपदान को विशेष रूप से सौभाग्य प्रदान करने वाला माना गया है।












