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Bihar Election 2025: जन सुराज पार्टी को झटका, मुंगेर प्रत्याशी ने थामा भाजपा का दामन

Bihar Election 2025: जन सुराज पार्टी को झटका, मुंगेर प्रत्याशी ने थामा भाजपा का दामन

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक एक दिन पहले मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला है। जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी संजय कुमार सिंह ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया।

मुंगेर: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (Jana Suraj Party) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के मुंगेर विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी संजय कुमार सिंह ने अचानक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया। इस कदम से चुनावी समीकरणों में बदलाव की संभावना बढ़ गई है और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

संजय कुमार सिंह ने एनडीए प्रत्याशी कुमार प्रणय की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। उन्होंने अपने कदम की पुष्टि करते हुए कहा कि अब वह भाजपा प्रत्याशी कुमार प्रणय के समर्थन में सक्रिय रूप से काम करेंगे। उनका यह फैसला पहले चरण के मतदान से ठीक पहले होने के कारण पार्टी और क्षेत्रीय राजनीति दोनों के लिए बड़ा संकेत माना जा रहा है।

भाजपा ने किया स्वागत

भाजपा प्रत्याशी कुमार प्रणय ने संजय कुमार सिंह का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा, उनके शामिल होने से भाजपा का संगठन और मजबूत होगा। मुंगेर में एनडीए की जीत तय है। यह कदम स्थानीय राजनीति में स्थायित्व लाने के साथ-साथ भाजपा के समर्थन को और बढ़ाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मतदान से ठीक पहले इस तरह का फेरबदल भाजपा के लिए चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण फायदा साबित हो सकता है। 

मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में जन सुराज पार्टी का वोट बैंक पहले से मजबूत था, और संजय कुमार सिंह के भाजपा में शामिल होने से भाजपा के लिए यह वोट बैंक सहज हो सकता है।

चुनावी समीकरणों में बदलाव

संजय कुमार सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद मुंगेर विधानसभा सीट के चुनावी समीकरणों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। पार्टी ने कहा कि वह क्षेत्र में स्थानीय संगठन और मतदाताओं के संपर्क को मजबूत करने के लिए पूरी कोशिश करेंगे। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार का भाजपा में शामिल होना मतदान को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण कारक हो सकता है, क्योंकि उनके समर्थक और स्थानीय मतदाता अब भाजपा की ओर झुक सकते हैं।

प्रशांत किशोर की पार्टी, जो बिहार में तीसरे मोर्चे के रूप में उभरकर राजनीतिक मंच पर मौजूद है, के लिए यह झटका समय और रणनीति दोनों के लिहाज से चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। चुनाव से ठीक पहले प्रमुख उम्मीदवार का पार्टी छोड़ना जनता के बीच विश्वास और संगठन की मजबूती पर सवाल खड़ा कर सकता है।

 

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