जंगल के शांत कोने में एक नटखट खरगोश रहता था, जिसका नाम था गोलू। वह बहुत चंचल और तेज़-तर्रार था। लेकिन उसकी सबसे बड़ी पहचान उसकी शरारतें थीं। गोलू को हमेशा दूसरों को तंग करने और उनकी मेहनत पर पानी फेरने में मजा आता।
गोलू की मस्ती और जानवरों की परेशानी
गोलू की हरकतें धीरे-धीरे पूरे जंगल में चर्चा का विषय बन गई थीं।
कछुआ दादा जब अपने लिए तालाब के किनारे गड्ढे बनाते, तो गोलू आकर उन्हें मिट्टी से भर देता।
गौरैया चिंकी जब घोंसले में तिनके सजाती, तो गोलू आकर सब बिखेर देता।
भालू बलुआ जब शहद इकट्ठा करता, तो गोलू उसे चुराने की कोशिश करता।
जंगल के जानवरों ने कई बार उसे समझाने की कोशिश की।
कछुआ दादा ने कहा, "गोलू, दूसरों की मेहनत खराब करना अच्छा नहीं होता।"
लेकिन गोलू हंसते हुए जवाब देता, "दादा, आपकी रफ्तार देखकर तो कोई भी परेशान हो जाए। मैं तो बस मस्ती करता हूं।"
शेर राजा की अदालत में शिकायत
गोलू की शरारतें बढ़ती ही जा रही थीं। आखिरकार, परेशान जानवरों ने मिलकर शेर राजा के दरबार में शिकायत की।
कछुआ दादा बोले, "महाराज, गोलू हमारी मेहनत खराब करता है। हमें कुछ करना होगा।"
चिंकी गौरैया ने जोड़ा, "उसकी वजह से मेरे बच्चों को खतरा है।"
शेर राजा ने गोलू को सुधारने का एक मौका देने का फैसला किया। उन्होंने कहा, "गोलू, अगर तुमने अपनी शरारतें बंद नहीं कीं, तो तुम्हें सजा दी जाएगी।"
गोलू की आखिरी गलती
गोलू ने इस चेतावनी को हल्के में लिया।
अगले ही दिन उसने भालू बलुआ के शहद का छत्ता गिरा दिया। गुस्से में भालू ने उसे दौड़ाया, लेकिन तेज़ होने के कारण गोलू फिर बच निकला।
उसने चिंकी के घोंसले को छेड़ने की कोशिश की, जिससे चिंकी बहुत रोई। यह सब देखकर जानवरों ने फिर से शेर राजा से मदद मांगी।
गोलू को मिली सजा
शेर राजा ने गोलू को दरबार में बुलाया।
उन्होंने कहा, "गोलू, तुम्हें सुधरने का मौका दिया गया था, लेकिन तुमने किसी की बात नहीं मानी। अब तुम्हें सजा मिलेगी।"
डरते हुए गोलू ने कहा, "महाराज, मुझे माफ कर दीजिए। मैं आगे से ऐसा नहीं करूंगा।"
शेर राजा ने गंभीरता से कहा, "माफी मांगना काफी नहीं है। अब तुम्हें अपनी गलतियों का प्रायश्चित करना होगा।"
गोलू को जंगल की सफाई करने, कछुए के गड्ढे दोबारा खोदने, और गौरैया के लिए नया घोंसला बनाने का काम सौंपा गया।
गोलू की मेहनत और बदलाव
गोलू ने अपनी सजा को स्वीकार किया। उसने कई दिनों तक बिना रुके मेहनत की। इस दौरान उसे महसूस हुआ कि दूसरों की मेहनत की कद्र करनी चाहिए।
जब गोलू ने अपना काम पूरा कर लिया, तो शेर राजा ने उसे माफ कर दिया।
राजा ने कहा, "गोलू, हमें खुशी है कि तुमने अपनी गलती समझ ली। उम्मीद है कि अब तुम दूसरों की मदद करोगे।"
गोलू ने सभी जानवरों से माफी मांगी और वादा किया कि वह अब किसी को परेशान नहीं करेगा।
कहानी की सीख
दूसरों की मेहनत का सम्मान करना जरूरी है।
मस्ती तभी तक ठीक है, जब तक यह किसी को नुकसान न पहुंचाए।
गलतियां इंसान को सुधारने का मौका देती हैं, बशर्ते हम उनसे सीखने की कोशिश करें।
गोलू की यह कहानी हमें सिखाती है कि असली खुशी दूसरों की मदद और अपनी गलतियों को सुधारने में है।