Pune

एक अधूरी मुलाकात से शुरू हुआ प्यार: आरव और सिया की दिल छू लेने वाली कहानी

एक अधूरी मुलाकात से शुरू हुआ प्यार: आरव और सिया की दिल छू लेने वाली कहानी

सर्दियों की एक हल्की सी धूप वाली दोपहर थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी का कैंपस अपनी चहल-पहल में मग्न था। आरव, जो बीकॉम फाइनल ईयर का छात्र था, लाइब्रेरी की ओर बढ़ रहा था कि तभी सामने से आती सिया उससे टकरा गई। किताबें ज़मीन पर गिरीं और दोनों की नज़रें मिलीं। कुछ पलों का वो ठहराव, दोनों के दिलों में एक हलचल पैदा कर गया।

सिया, मास कम्युनिकेशन की छात्रा थी। पढ़ाई में तेज़ और अपने सपनों को लेकर बेहद जुनूनी। उस टकराव के बाद दोनों ने एक-दूसरे से माफ़ी मांगी, मुस्कराए और आगे बढ़ गए — लेकिन वो मुस्कान दिल में रह गई।

दोस्ती की शुरुआत

एक हफ्ते बाद कैंपस फेस्टिवल में दोनों फिर टकराए — इस बार इत्तेफ़ाक़ नहीं, शायद किस्मत का इशारा था। आरव ने बात शुरू की और दोनों ने मिलकर कुछ स्टॉल्स घूमे, साथ में काफी पी और कॉलेज लाइफ पर खूब बातें कीं। फिर यह मुलाकातें हफ्ते में एक बार की जगह रोज़ होने लगीं।

दोस्ती गहरी होने लगी। आरव को सिया की ईमानदारी और आत्मनिर्भरता बहुत पसंद आई, वहीं सिया को आरव की सादगी और उसके सपनों की सच्चाई ने आकर्षित किया। वो अक्सर घंटों तक कॉलेज के गार्डन में बैठकर बातें करते, हँसते और एक-दूसरे की सोच में खो जाते।

कब दोस्ती प्यार बन गई, पता ही नहीं चला

आरव ने कभी नहीं सोचा था कि वह किसी से इतना जुड़ जाएगा। पर सिया के साथ वक्त बिताना उसे सुकून देता था। धीरे-धीरे उसे एहसास हुआ कि वह सिया से प्यार करने लगा है। एक दिन, यूनिवर्सिटी के पुराने कैफे में बैठकर आरव ने सिया से अपने दिल की बात कह दी — 'सिया, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ… पता नहीं कब, लेकिन अब तुम्हारे बिना कुछ अधूरा लगता है।'

सिया कुछ देर चुप रही, फिर मुस्कराकर बोली — 'मुझे भी यही महसूस होता है आरव, लेकिन मैंने कभी कहा नहीं। शायद मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ।'

उनकी दोस्ती अब एक खूबसूरत रिश्ते में बदल गई थी।

प्यार में आई कुछ मुश्किलें

हर रिश्ता परी-कथा नहीं होता, और आरव-सिया की कहानी भी इससे अलग नहीं थी। सिया को एक अच्छी नौकरी का ऑफर मुंबई से मिला था और आरव दिल्ली में अपने पापा के साथ बिजनेस शुरू करने की तैयारी कर रहा था। एक दिन, सिया ने कहा — 'हमें कुछ समय के लिए एक-दूसरे से दूरी रखनी होगी।'

आरव को लगा जैसे ज़मीन खिसक गई हो। लेकिन वह जानता था कि सिया के सपने उसके लिए कितने जरूरी हैं। उसने सिया को मुस्कराकर कहा — 'जाओ, उड़ो… मैं यहीं रहूंगा, तुम्हारे इंतजार में।'

दूरियां और समझदारी ने मजबूत किया रिश्ता

सिया मुंबई चली गई और उनका रिश्ता अब फोन कॉल्स और वीडियो चैट्स तक सीमित हो गया। लेकिन दोनों ने कभी भरोसा नहीं छोड़ा। वे एक-दूसरे के लक्ष्य में रुकावट नहीं, बल्कि प्रेरणा बने। आरव ने दिल्ली में अपने पिता का बिजनेस संभाल लिया और सिया ने एक न्यूज़ चैनल में एंकर बनकर अपने करियर की शुरुआत की।

दोनों ने मिलकर अपने रिश्ते को संभाला। जब भी वक्त मिला, एक-दूसरे से मिलने की कोशिश की। उनका रिश्ता अब पहले से ज्यादा मजबूत हो चुका था।

आरव और सिया की कहानी सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि विश्वास, समझदारी और सपनों के साथ चलने की मिसाल है। जहां एक ओर अधूरी मुलाकात ने शुरुआत की, वहीं दूरियों ने उनके रिश्ते को परखा और मजबूत बनाया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सच्चा प्यार वही होता है जो एक-दूसरे की उड़ान में रुकावट नहीं, बल्कि उसका आधार बन जाए। आज भी वे अलग-अलग शहरों में रहकर भी एक-दूसरे के दिल में करीब हैं — क्योंकि प्यार दूरी नहीं, दिलों का मेल होता है।

Leave a comment