बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है। नवादा जिले में महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि सीट बंटवारे को लेकर असंतोष बढ़ता दिख रहा है।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। नवादा जिले की वारिसलीगंज सीट पर नया सियासी समीकरण उभरकर सामने आया है। लंबे समय से ‘भूरा बाल साफ करो’ नारे और विवादों में रहे कुख्यात बाहुबली अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनीता को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपना उम्मीदवार बनाया है। यह वही अशोक महतो हैं जिन्हें हाल ही में तेजस्वी यादव ने दरवाजे से लौटाने की बात वायरल हुई थी, लेकिन अब उसी परिवार को टिकट दिए जाने से बिहार की राजनीति में नई चर्चा छिड़ गई है।
तेजस्वी यादव ने खुद दिया टिकट
तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कुमारी अनीता को RJD का सिंबल सौंपा और कहा कि पार्टी “सामाजिक न्याय और जनसरोकार” की राजनीति में विश्वास रखती है। वारिसलीगंज सीट से अनीता महतो अब महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। हालांकि, इसी सीट पर कांग्रेस ने भी सतीश कुमार उर्फ मंटन सिंह को उम्मीदवार बनाकर सीधे मुकाबले की स्थिति बना दी है। यानी, महागठबंधन के दो सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतर गए हैं, जिससे अंदरूनी खींचतान और असंतोष खुलकर सामने आ गया है।
RJD और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर सहमति न बन पाने से नवादा जिले में महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठ रहे हैं। दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि यह “दोस्ताना मुकाबला” है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहानी बयां कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, एक ही सीट पर महागठबंधन के दो उम्मीदवारों का आमना-सामना होना स्पष्ट रूप से वोट बिखराव का कारण बनेगा। खासकर वारिसलीगंज जैसी सीट, जहां जातीय समीकरण और बाहुबली प्रभाव अहम भूमिका निभाते हैं, वहां यह लड़ाई और दिलचस्प हो गई है।
महागठबंधन में टिकट को लेकर मचा घमासान
नवादा जिले की अन्य सीटों पर भी असंतोष चरम पर है। गोविंदपुर सीट से RJD के कौशल यादव अपने और अपनी पत्नी के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं।इसी सीट पर मौजूदा विधायक मो. कामरान, जो मगध प्रमंडल से जीतने वाले अकेले मुस्लिम विधायक हैं, अपनी उम्मीदवारी पर अड़े हुए हैं। वहीं रजौली सीट से मौजूदा विधायक प्रकाशवीर को तेज प्रताप यादव की पार्टी जन शक्ति जनता दल ने टिकट देकर मैदान में उतारा है। यह घटनाक्रम दिखाता है कि महागठबंधन के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर मतभेद लगातार बढ़ रहे हैं।
कौन हैं अशोक महतो?
अशोक महतो का नाम बिहार की राजनीति और अपराध की दुनिया में लंबे समय से जुड़ा रहा है। उन पर कई संगीन मामले दर्ज हैं और वे मगध क्षेत्र के कुख्यात बाहुबलियों में गिने जाते रहे हैं। 1990 के दशक में उन्होंने ‘भूरा बाल साफ करो’ (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला समुदाय को निशाना बनाने वाला विवादास्पद नारा) को लेकर सुर्खियाँ बटोरी थीं।
तेजस्वी यादव द्वारा उनकी पत्नी को टिकट दिया जाना RJD के “सामाजिक समीकरण” को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इससे विपक्ष को हमला करने का नया मौका मिल गया है।