सच्ची दोस्ती की असली पहचान और उसकी अहमियत

सच्ची दोस्ती की असली पहचान और उसकी अहमियत
Last Updated: 09 नवंबर 2024

 

राजू और मोहन, दोनों बेहद अच्छे दोस्त थे। उनकी दोस्ती पूरे मोहल्ले में मशहूर थी। दोनों एक-दूसरे के साथ स्कूल जाते, साथ खेलते और एक साथ पढ़ाई भी करते थे। एक दिन स्कूल में एक महत्वपूर्ण प्रतियोगिता की घोषणा हुई।

राजू और मोहन, दोनों बचपन के दोस्त थे, और उनकी दोस्ती पूरे मोहल्ले में प्रसिद्ध थी। वे हमेशा एक-दूसरे के साथ स्कूल जाते, खेलते और पढ़ाई करते थे। एक दिन, स्कूल में एक बड़ी क्विज़ प्रतियोगिता का ऐलान हुआ। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए सभी छात्र उत्साहित थे, और राजू तथा मोहन भी इस मौके का हिस्सा बनना चाहते थे। लेकिन एक समस्या थीप्रतियोगिता में सिर्फ एक ही छात्र को टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल सकता था, और दोनों का एक साथ टीम बनाना संभव नहीं था।

कठिन निर्णय अब यह तय करना था कि इनमें से कौन प्रतियोगिता में भाग लेगा। टीचर ने इस जिम्मेदारी को राजू और मोहन पर छोड़ दिया कि वे आपस में यह तय करें कि कौन प्रतियोगिता में जाएगा। राजू एक तेज़-तर्रार और बुद्धिमान छात्र था, जबकि मोहन की सामान्य जानकारी भी अच्छी थी। दोनों एक-दूसरे की काबिलियत को अच्छी तरह समझते थे, लेकिन यह फैसला करना बेहद कठिन हो गया कि कौन प्रतियोगिता में भाग ले। एक शाम, राजू अपने घर पर बैठा यह सोच रहा था कि अगर उसने मोहन को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने दिया, तो हो सकता है कि मोहन हार जाए, क्योंकि उसकी तैयारी उतनी मजबूत नहीं थी। लेकिन अगर वह खुद प्रतियोगिता में जाता, तो शायद उसकी दोस्ती पर असर पड़ता। वह इस दुविधा में था कि सही फैसला क्या होगा।

सच्चाई का सामना

अगले दिन, राजू ने मोहन से अपनी चिंताएं साझा की। मोहन ने ध्यान से उसकी बात सुनी और मुस्कुराते हुए कहा, "राजू, हमें जीत से ज्यादा अपनी दोस्ती की अहमियत समझनी चाहिए। अगर तुम सोचते हो कि तुम बेहतर करोगे, तो तुम्हें प्रतियोगिता में भाग लेना चाहिए। मैं तुम्हारे लिए खुश रहूंगा।"

राजू मोहन की बातों से बहुत प्रभावित हुआ। उसने महसूस किया कि सच्ची दोस्ती का मतलब केवल जीत या हार से नहीं है, बल्कि एक-दूसरे की भलाई को प्राथमिकता देना है।

राजू ने प्रतियोगिता में भाग लिया और सफलता प्राप्त की। जब वह जीत के बाद वापस लौटा, तो सबसे पहले उसने मोहन को गले लगाया और कहा, "यह जीत सिर्फ मेरी नहीं, हमारी दोस्ती की जीत है।" दोनों ने उस दिन यह समझा कि सच्ची दोस्ती को कोई भी परीक्षा नहीं हरा सकती।

कहानी की सीख

सच्ची दोस्ती में जीत या हार से अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि हम एक-दूसरे की भावनाओं, जरूरतों और ख्वाहिशों का सम्मान करें। दोस्ती की असली परख तब होती है, जब दोनों साथी एक-दूसरे के भले के लिए सोचें और कठिन समय में एक-दूसरे का साथ दें

 

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