चीटू एक शरारती और नटखट लड़का था, जिसे हमेशा कुछ न कुछ नया करने का शौक था। उसकी पेंटिंग क्लास में हर बार कुछ न कुछ गड़बड़ हो जाता था, और यही वजह थी कि सब उसे हंसी के साथ देखते थे। लेकिन एक दिन चीटू के हाथ लगी एक जादुई पेंसिल, जो उसकी दुनिया को पूरी तरह बदलने वाली थी।
चीटू ने यह पेंसिल एक पुरानी स्टेशनरी की दुकान में देखी, और जैसे ही उसने इसे हाथ में लिया, पेंसिल पर लिखा था: "जो तुम बनाओगे, वह असलियत में आ जाएगा!" यह देखकर चीटू को तो मानो खजाना मिल गया था। अब उसे लगता था कि वह दुनिया का सबसे बड़ा चित्रकार बन सकता है।
पहली गड़बड़: उड़ती हुई चप्पल
चीटू ने अपनी जादुई पेंसिल से सबसे पहले एक चप्पल का चित्र बनाया। जैसे ही वह चित्र पूरा हुआ, चप्पल अचानक हवा में उड़ने लगी। चीटू के पापा कमरे में आए, और चप्पल उनके सिर पर गिर गई। पापा चौंककर बोले, "यह चप्पल उड़ कैसे रही है?" चीटू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "पापा, यह तो जादुई चप्पल है!" पापा तो कुछ समझ नहीं पाए और हैरान हो गए, जबकि चीटू हंसते-हंसते लोटपोट हो गया।
दूसरी गड़बड़: बिस्किट का कुत्ता
चीटू को अचानक भूख लगने लगी, तो उसने पेंसिल से बिस्किट का चित्र बनाया। चमत्कारिक रूप से, वह बिस्किट असल हो गया! लेकिन इससे पहले कि चीटू उसे खा पाता, एक कुत्ता आकर बिस्किट उठा ले गया और भागने लगा। चीटू हैरान होकर बोला, "यह क्या हुआ? वह बिस्किट तो मेरा था!" कुत्ता दूर से भौंकते हुए हंसते हुए बोला, "धन्यवाद चीटू, स्वादिष्ट बिस्किट के लिए!"
तीसरी गड़बड़: मम्मी की जादुई चाय
एक दिन, चीटू की मम्मी ने उसे चाय बनाने को कहा, लेकिन चीटू ने पेंसिल से एक चाय का कप बना दिया। जैसे ही वह कप चित्रित हुआ, वह कप उबलने लगा और चाय पूरे कमरे में फैल गई। मम्मी चीखते हुए बोलीं, "यह क्या हो रहा है?" चीटू ने मुस्कुराते हुए कहा, "मम्मी, यह तो जादुई चाय है, जो खुद ही तैयार हो जाती है!" मम्मी गुस्से से बोलीं, "चीटू, मुझे तुम्हारी ये जादुई शरारतें बिल्कुल पसंद नहीं हैं!"
अंतिम गड़बड़: क्लासरूम का हंगामा
अगले दिन, चीटू अपनी जादुई पेंसिल को स्कूल ले गया। उसकी दोस्त पिंकी ने उससे कहा, "चीटू, मेरे लिए एक सुंदर तितली बनाओ।" चीटू ने तितली का चित्र बनाया, लेकिन वह तितली असल हो गई और पूरे क्लासरूम में उड़ने लगी। बच्चे तितली को पकड़ने की कोशिश करने लगे, और क्लासरूम में हंगामा मच गया। टीचर ने गुस्से से पूछा, "यह क्या हो रहा है?" चीटू ने मासूमियत से कहा, "टीचर जी, यह तितली खुद शरारत कर रही है!"
अच्छाई की जीत
टीचर ने देखा कि यह कोई साधारण पेंसिल नहीं है और उन्होंने चीटू को समझाया, "चीटू, इस जादुई पेंसिल का इस्तेमाल शरारत करने के लिए नहीं, बल्कि कुछ अच्छा बनाने के लिए करो।" चीटू ने सोचा और फिर एक सुंदर पेड़ का चित्र बनाया। पेड़ असली हो गया, और उस पर रंग-बिरंगी चिड़ियाँ बैठने लगीं। सभी बच्चे खुश हो गए और चीटू की तारीफ करने लगे, "तुमने इस बार बहुत अच्छा काम किया।"
कहानी का सबक
चीटू ने यह सीखा कि जादू का सही इस्तेमाल सिर्फ अपनी शरारतों को दिखाने के लिए नहीं, बल्कि दूसरों की खुशी और भलाई के लिए भी किया जा सकता है। अब चीटू अपनी जादुई पेंसिल से केवल अच्छे और सुंदर चित्र बनाता है, जिससे सभी लोग खुश हो जाते हैं और उसकी सराहना करते हैं।
चीटू की जादुई पेंसिल ने उसे यह सिखाया कि किसी भी शक्तिशाली चीज़ का इस्तेमाल केवल अच्छे उद्देश्य के लिए ही करना चाहिए, क्योंकि अच्छाई ही हमेशा जीतती है।