Social Media: सरकार ने बच्चों की उम्र वेरिफाई करने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट खोलने की प्रक्रिया का खुलासा, जानें नए नियम

Social Media: सरकार ने बच्चों की उम्र वेरिफाई करने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट खोलने की प्रक्रिया का खुलासा, जानें नए नियम
Last Updated: 17 घंटा पहले

Social Media: भारत में सोशल मीडिया पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर अब एक नई पहल की जा रही है। सरकार ने बच्चों की उम्र वेरिफाई करने की प्रक्रिया के तहत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अकाउंट खोलने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा है। इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी मसौदा नियमों में यह प्रावधान है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए अपने माता-पिता से सहमति लेनी होगी।

इस नियम के तहत, बच्चों की उम्र वेरिफाई करने के लिए किस तकनीकी प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाएगा, इस पर अब सरकार ने अपनी योजना स्पष्ट कर दी है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है कि इसके लिए वर्चुअल टोकनिज्म का इस्तेमाल किया जाएगा, जो बच्चों की उम्र की सटीक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा, बिना उनके व्यक्तिगत डेटा को उजागर किए।

वर्चुअल टोकनिज्म बच्चों की उम्र वेरिफिकेशन के लिए डिजिटल समाधान

मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बारे में बताते हुए कहा कि भारत में डिजिटल ढांचा पहले से ही बहुत मजबूत है, और यह कई विकसित देशों से बेहतर है। उन्होंने कहा, "सरकार के पास बच्चों की उम्र वेरिफाई करने का समाधान मौजूद है, जो पूरी तरह से सुरक्षित है।" इस प्रक्रिया के तहत वर्चुअल टोकन का इस्तेमाल किया जाएगा, जो यूजर्स की पहचान को सुरक्षित रखते हुए, केवल उनकी उम्र से संबंधित जानकारी साझा करेगा।

यह तकनीक भुगतान प्रणालियों में पहले से इस्तेमाल की जा रही है, जहां क्रेडिट कार्ड की जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए टोकन का उपयोग किया जाता है। वैष्णव ने कहा कि यह तरीका सुनिश्चित करेगा कि वेबसाइटों को यूजर की पूरी पहचान नहीं मिलेगी, बल्कि केवल उनकी उम्र से संबंधित टोकन ही मिलेगा। इससे यूजर का निजी डेटा सुरक्षित रहेगा।

वर्चुअल टोकन सुरक्षा और गोपनीयता की गारंटी

वर्चुअल टोकन एक डिजिटल पहचान प्रमाण है, जिसमें यूजर की जरूरी जानकारी साझा की जाती है, लेकिन निजी विवरण को छिपाकर रखा जाता है। यदि यह टोकन किसी हैकर या स्कैम के हाथों में भी चला जाता है, तो भी असली व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रहेगी। यह तरीका यूजर्स के डेटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है और प्लेटफॉर्म्स को केवल आवश्यक जानकारी प्रदान करता हैं।

इसके जरिए, सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स और ऑनलाइन साइट्स यूजर की उम्र वेरिफाई कर सकेंगे, लेकिन उनकी पूरी पहचान उजागर नहीं होगी। यह डिजिटल सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।

सख्त नियम और जुर्माने का प्रावधान

नए मसौदे में यह भी कहा गया है कि अगर कोई सोशल मीडिया कंपनी 18 साल से कम उम्र के बच्चों का अकाउंट बिना माता-पिता की सहमति के खोलती है, तो इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दोषी पाए जाने पर कंपनी पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता हैं।

यह प्रावधान सोशल मीडिया कंपनियों और प्लेटफार्म्स के लिए एक सख्त चेतावनी है, जिससे बच्चों के व्यक्तिगत डेटा और उनकी सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाएगा। इस नियम के लागू होने से यह सुनिश्चित होगा कि सोशल मीडिया कंपनियां बच्चों के लिए एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण प्रदान करें।

कंपनियों पर निगरानी और नियंत्रण

नए नियमों के तहत, सभी सोशल मीडिया कंपनियों और ऑनलाइन प्लेटफार्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे बच्चों के अकाउंट बनाने से पहले उनकी उम्र की सही वेरिफिकेशन करें। साथ ही, बिना माता-पिता की सहमति के बच्चों के अकाउंट की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह नियम बच्चों की डिजिटल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हैं, और इसके लिए कंपनियों को कड़ी निगरानी और नियमों का पालन करना होगा।

बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता

भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित इन नए नियमों का उद्देश्य बच्चों की डिजिटल पहचान और डेटा को सुरक्षित रखना है। वर्चुअल टोकनिज्म जैसी तकनीक के जरिए बच्चों की उम्र का सत्यापन एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका साबित हो सकता है। सरकार ने अपनी योजना स्पष्ट करते हुए बताया है कि यह प्रक्रिया बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट्स को सुरक्षित बनाए रखने के लिए डिज़ाइन की गई है। अब यह देखना होगा कि कब से यह नियम प्रभावी होते हैं और इनका सोशल मीडिया कंपनियों और यूजर्स पर क्या असर पड़ेगा।

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