Kalpana Chawla: कल्पना चावला की पुण्यतिथि 1 फरवरी को मनाई जाती है। 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, कल्पना चावला और उनके सहयात्री शहीद हो गए थे। इस दिन को हर साल उनकी शहादत की याद में मनाया जाता है, और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। कल्पना चावला का योगदान आज भी दुनिया भर में प्रेरणा का स्रोत बना हुआ हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
कल्पना चावला, एक भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, ने अपने जीवन में अनगिनत उपलब्धियाँ हासिल की और उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं जिन्होंने अपने सपनों को साकार करने का साहस किया। उनका जन्म 17 मार्च 1962 को करनाल, हरियाणा में हुआ था। कल्पना चावला का परिवार उन्हें बहुत प्यार करता था और वह घर में सबसे छोटी थी, जिसे सभी मोंटू के नाम से बुलाते थे।
कल्पना की शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से शुरू हुई। आठवीं कक्षा में पहुँचते ही, उन्होंने इंजीनियर बनने की इच्छा व्यक्त की। उनके पिता उन्हें चिकित्सक या शिक्षिका बनाना चाहते थे, लेकिन कल्पना का सपना कुछ अलग था - वह अंतरिक्ष में यात्रा करना चाहती थीं।
शिक्षा और नासा में प्रवेश
कल्पना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से वैमानिक अभियान्त्रिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, वह अमेरिका चली गईं और टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने नासा के एम्स अनुसंधान केंद्र में भी काम किया, जहाँ उन्होंने वी/एसटीओएल (वर्टिकल/शॉर्ट टेक-ऑफ एंड लैंडिंग) विमानन में शोध किया।
नासा में कदम और पहली अंतरिक्ष यात्रा
1995 में कल्पना चावला को नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल किया गया। 1997 में, उन्होंने अपना पहला अंतरिक्ष मिशन एसटीएस-87 कोलंबिया शटल के साथ शुरू किया। इस मिशन के दौरान, उन्होंने पृथ्वी की 252 परिक्रमाएँ की और 1.04 करोड़ किलोमीटर का सफर तय किया। उनका यह मिशन सफल रहा और उन्होंने स्पार्टन उपग्रह को तैनात किया, जो एक महत्वपूर्ण तकनीकी कार्य था।
कोलंबिया मिशन और दुर्भाग्यपूर्ण घटना
कल्पना चावला का दूसरा अंतरिक्ष मिशन एसटीएस-107 था, जो 16 जनवरी 2003 को शुरू हुआ था। इस मिशन के दौरान कल्पना चावला और उनके सहयात्री अंतरिक्ष में विभिन्न प्रयोगों पर कार्य कर रहे थे। लेकिन 1 फरवरी 2003 को जब कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर रहा था, तो यान में एक भयंकर दुर्घटना हुई। कोलंबिया यान टूटकर बिखर गया और उसमें सवार सातों अंतरिक्ष यात्री, जिनमें कल्पना चावला भी शामिल थीं, शहीद हो गए।
कल्पना चावला का योगदान और मरणोपरांत सम्मान
कल्पना चावला की शहादत ने दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ा दी। लेकिन उनका योगदान आज भी जीवित है। मरणोपरांत उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें "काँग्रेशनल अंतरिक्ष पदक", "नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक" और "नासा विशिष्ट सेवा पदक" शामिल हैं।
भारत सरकार ने उनके सम्मान में कई पहल की हैं। भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों और संस्थानों में उनके नाम पर छात्रवृत्तियाँ और पुरस्कार स्थापित किए गए हैं। टेक्सास विश्वविद्यालय एल पासो में "कल्पना चावला मेधावी छात्रवृत्ति कार्यक्रम" शुरू किया गया, और उनके नाम पर एक छोटा तारा भी रखा गया हैं।
कल्पना चावला की विरासत
कल्पना चावला के योगदान और जीवन की प्रेरक यात्रा को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। उनके शब्द "मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ। प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए ही मरूँगी", उनके समर्पण और लगन को दर्शाते हैं।
कल्पना का जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि आप अपने सपनों के प्रति समर्पित हैं, तो कोई भी बाधा उन्हें पूरा करने में रुकावट नहीं डाल सकती। उन्होंने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में यह संदेश दिया कि महिलाएँ भी किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं।
कल्पना चावला का नाम हमेशा के लिए उन लोगों के दिलों में रहेगा, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपने सपनों को साकार करने में लगा दी। उनका योगदान और उनकी शहादत हमेशा याद रखी जाएगी, और उनकी प्रेरणा हमें हमेशा अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में प्रेरित करेगी।