केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया है कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' संभवत: 2027 की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन भारत के लिए एक बड़ा मुकाम साबित होगा।
Mission Gaganyan: भारत का सपना अब जल्द ही सच होने वाला है। देश का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' 2027 की शुरुआत में लॉन्च होने के करीब पहुंच गया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस मिशन को लेकर ताजा अपडेट देते हुए बताया कि यदि सबकुछ योजना के मुताबिक चलता है, तो भारत भी अमेरिका, रूस और चीन जैसे विश्व के चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने सफलतापूर्वक मानव अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया है।
गगनयान मिशन की वर्तमान स्थिति और लॉन्च की संभावना
गगनयान मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो देश की अंतरिक्ष तकनीक को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि गगनयान के मानवरहित परीक्षण सफलतापूर्वक हो चुके हैं। इस साल की शुरुआत में टीवी-डी1 मिशन और मानवरहित टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन (TV-D1 और TV-Abort) के सफल समापन ने आगे के परीक्षणों के लिए मजबूत आधार तैयार कर दिया है।
इसके बाद अगला महत्वपूर्ण कदम TV-D2 परीक्षण यान मिशन 2025 के अंत तक पूरा किया जाएगा। इसके बाद गगनयान की मानवरहित कक्षीय उड़ानें होंगी, जो इस मिशन की सफलता की दिशा में निर्णायक साबित होंगी। इन सभी परीक्षणों के बाद 2027 के शुरूआती महीनों में भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान होगी, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री (वायुयान चालक) भारतीय धरती से भारतीय रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे।
गगनयान मिशन का महत्व
गगनयान मिशन भारत के लिए केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय गर्व का विषय भी है। इस मिशन की सफलता से भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका, रूस, चीन जैसे वैश्विक महाशक्तियों के साथ बराबरी पर आ जाएगा। भारत के इस मिशन के बाद देश के वैज्ञानिक, तकनीशियन और युवा वर्ग को नई ऊर्जा और प्रेरणा मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2018 के अवसर पर गगनयान मिशन की घोषणा की थी। उस वक्त मिशन के लिए 2022 का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से यह योजना विलंबित हो गई। बाद में इसे 2025 के लिए टारगेट किया गया, लेकिन तकनीकी चुनौतियों के कारण इस लक्ष्य को भी आगे बढ़ाना पड़ा। अब 2027 का नया लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे पूरा करने के लिए देश की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) पूरी तरह से तैयार है।
मानवरहित उड़ानें मिशन की सफलता की कुंजी
गगनयान मिशन की सफलता में मानवरहित उड़ानों का विशेष महत्व है। ये उड़ानें यह सुनिश्चित करेंगी कि सभी तकनीकी और सुरक्षा मानक पूरी तरह जांचे और सफल हों। इससे न केवल रॉकेट की विश्वसनीयता प्रमाणित होगी, बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। इस वर्ष हुए TV-D1 और टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन की सफलता से यह स्पष्ट हुआ कि भारत तकनीकी रूप से मिशन के लिए पूरी तरह सक्षम हो चुका है। TV-D2 परीक्षण के बाद ही मानवयुक्त मिशन के लिए अंतिम मंजूरी दी जाएगी।
गगनयान मिशन की सफलता से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। इससे न केवल भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान को बल मिलेगा, बल्कि रक्षा, संचार, और वैज्ञानिक अनुसंधान में भी अनेक नए आयाम खुलेंगे। इस मिशन के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पहली बार भारतीय धरती से भारतीय रॉकेट के जरिए कक्षा में भेजा जाएगा। यह कदम न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि देश के लिए गौरव का विषय भी होगा।