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Perplexity के सीईओ का बयान: 'अब इंटरनेट को गूगल के भरोसे छोड़ना ठीक नहीं'

Perplexity के सीईओ का बयान: 'अब इंटरनेट को गूगल के भरोसे छोड़ना ठीक नहीं'

Perplexity के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने गूगल के इंटरनेट पर वर्चस्व को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट इतना महत्वपूर्ण है कि इसे किसी एक कंपनी के नियंत्रण में नहीं रहना चाहिए। इसी सोच के तहत उन्होंने नया AI-आधारित ब्राउजर Comet लॉन्च किया है, जो Chrome को टक्कर देने का दावा करता है।

AI Web Browser Comet: परप्लेक्सिटी (Perplexity) के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने गूगल के बढ़ते प्रभाव पर सवाल उठाते हुए कहा कि इंटरनेट अब गूगल के हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने हाल ही में X (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो साझा करते हुए बताया कि उनकी कंपनी का नया AI-फर्स्ट वेब ब्राउजर Comet इंटरनेट को अधिक खुला और स्मार्ट बनाने की दिशा में कदम है। यह ब्राउजर यूजर्स को केवल सर्च रिजल्ट नहीं, बल्कि कॉन्टेक्स्ट के साथ सटीक और पर्सनलाइज्ड जवाब देने का दावा करता है। श्रीनिवास का लक्ष्य है इंटरनेट को गूगल के एकाधिकार से मुक्त कर एक नया, उपयोगकर्ता-केंद्रित डिजिटल अनुभव देना।

इंटरनेट के भविष्य पर उठाए सवाल

Perplexity के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने हाल ही में गूगल के इंटरनेट पर बढ़ते प्रभाव को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि “इंटरनेट इतना महत्वपूर्ण है कि इसे गूगल के हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता।” यह बयान उन्होंने X (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो शेयर करते हुए दिया। श्रीनिवास का मानना है कि गूगल अब इंटरनेट का गेटकीपर बन गया है, जो नई इनोवेशन और प्रतिस्पर्धा को सीमित कर रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि इंटरनेट को ज्यादा खुला और स्मार्ट बनाने की जरूरत है, जहां यूजर्स को केवल सर्च रिजल्ट नहीं, बल्कि सटीक और कॉन्टेक्स्टुअल जवाब मिलें। इसी सोच के साथ उन्होंने अपना नया AI-बेस्ड ब्राउजर Comet लॉन्च किया है, जो Chrome को सीधी चुनौती देता है।

गूगल क्रोम को टक्कर देने वाला AI ब्राउजर

Comet को Perplexity ने एक AI-first web browser के रूप में पेश किया है। इसका मकसद सिर्फ सर्च रिजल्ट दिखाना नहीं, बल्कि सवाल का संदर्भ समझकर जवाब देना है। कंपनी का दावा है कि यह रियल-टाइम और पर्सनलाइज्ड अनुभव देता है, जिससे यूजर्स का वेब सर्च अधिक सहज और उपयोगी हो जाता है।

दिलचस्प बात यह है कि Comet उसी Chromium इंजन पर बना है, जिसे Google ने विकसित किया था। इस पर कई यूजर्स ने सवाल उठाए कि जब इंजन गूगल का है, तो मुकाबला कैसे होगा। हालांकि श्रीनिवास का कहना है कि वे Chromium को एक शुरुआती प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन लक्ष्य है एक पूरी तरह स्वतंत्र AI-ब्राउजर बनाना।

Chrome बनाम Comet

श्रीनिवास ने X पर एक पोल के जरिए यूजर्स से पूछा कि वे Chrome या Comet में से किसे चुनेंगे। नतीजों में Chrome ने मामूली अंतर से बढ़त हासिल की। इस पर उन्होंने कहा कि Comet को बेहतर बनाने के लिए अभी बहुत काम करना है, लेकिन यह शुरुआत सही दिशा में है।
उन्होंने यह भी माना कि YouTube और Maps जैसी गूगल सेवाओं को हराना लगभग असंभव है, लेकिन उनका फोकस एक ऐसे वैकल्पिक ब्राउजर पर है जो यूजर्स को अधिक आजादी और पारदर्शिता दे सके।

श्रीनिवास का मानना है कि Comet का उद्देश्य गूगल की नकल करना नहीं, बल्कि एक AI-native internet अनुभव तैयार करना है, जहां डेटा और विज्ञापन पर निर्भरता कम हो और यूजर अनुभव केंद्र में हो।

गूगल के वर्चस्व को चुनौती देने की नई कोशिश

Perplexity की इस पहल से यह साफ है कि टेक जगत में गूगल के वर्चस्व को चुनौती देने की होड़ तेज हो गई है। सैम ऑल्टमैन की OpenAI और अब Perplexity जैसी कंपनियां इंटरनेट के नए दौर की दिशा तय करने में जुटी हैं। श्रीनिवास का कहना है कि बदलाव एक दिन में नहीं होगा, लेकिन शुरुआत जरूरी है।

वे मानते हैं कि आने वाले वर्षों में इंटरनेट का स्वरूप काफी बदलेगा, जहां यूजर्स केवल सर्च नहीं, बल्कि स्मार्ट और संदर्भ आधारित बातचीत करेंगे। यही Comet का विजन भी है इंटरनेट को गूगल के नियंत्रण से निकालकर लोगों के हाथों में वापस देना।

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