हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। हर महीने दो बार आने वाली एकादशी में से ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी या अचला एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह पुण्य तिथि 23 मई 2025, शुक्रवार को पड़ रही है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन व्रत, पूजन और विशेष उपायों से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।
इस एकादशी को उड़ीसा में जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ यदि कुछ विशेष उपाय श्रद्धा और नियमपूर्वक किए जाएं, तो व्यक्ति को अपार सफलता, धन-धान्य, पारिवारिक सुख और व्यापार में प्रगति मिलती है।
अपरा एकादशी: धार्मिक महत्व और पौराणिक मान्यता
‘अपरा’ का अर्थ है – अपार यानी असीम, जिसका कोई अंत न हो। इसी कारण इस एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। यह तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है और इसे बहुत ही पुण्यदायी माना गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने और दान करने से व्यक्ति को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इससे जीवन में संचित पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
पौराणिक मान्यता है कि अपरा एकादशी पर व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है, जीवन में आई रुकावटें दूर होती हैं और सौभाग्य बढ़ता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल मिलता है और सुख-शांति का मार्ग प्रशस्त होता है। कई लोगों का अनुभव रहा है कि इस दिन किए गए विशेष उपायों से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
जीवन में उन्नति के लिए करें नारियल का उपाय
अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में तरक्की के रास्ते खुलें और बार-बार आने वाली रुकावटें दूर हों, तो अपरा एकादशी के दिन एक खास उपाय जरूर करें। इस दिन सुबह स्नान करके एक जटा वाला नारियल लें और उस पर लाल मौली या कलावा बांध दें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उस नारियल को किसी बहती नदी या साफ जल में प्रवाहित करें। यह बहुत ही सरल लेकिन असरदार उपाय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नारियल को 'श्रीफल' कहा गया है, जो शुभता और समर्पण का प्रतीक होता है। इसे जल में बहाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में उन्नति के नए रास्ते खुलने लगते हैं। यह उपाय खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें करियर या निजी जीवन में लगातार रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है।
धन-संपत्ति में बढ़ोतरी के लिए पीले फूलों की माला
अगर आप अपने जीवन में धन-संपत्ति में वृद्धि चाहते हैं तो अपरा एकादशी का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन एक सफेद रंग का धागा लें और उसमें पीले फूल पिरोकर भगवान विष्णु को अर्पित करें। अर्पण करने के बाद श्रद्धा से हाथ जोड़कर “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें। यह सरल उपाय आपके जीवन में आर्थिक उन्नति का मार्ग खोल सकता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पीला रंग समृद्धि, ज्ञान और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है। भगवान विष्णु को पीले फूल बहुत प्रिय होते हैं और यह उपाय देवी लक्ष्मी की कृपा पाने में सहायक माना गया है। इससे घर में बरकत बढ़ती है और धन से जुड़ी परेशानियां धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।
खुशियों के लिए शहद और दीपदान का उपाय
अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में हमेशा खुशहाली और मिठास बनी रहे, तो अपरा एकादशी के दिन एक विशेष उपाय करें। इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर जाकर शहद की एक शीशी दान करें। इसके बाद भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं और ‘ॐ नमो भगवते नारायणाय’ मंत्र का 11 बार जाप करें। शहद जीवन में मिठास और मधुरता का प्रतीक है, जो हमारे रिश्तों में भी खुशियां बढ़ाता है। दीपक जलाना आत्मा के उजाले और सकारात्मक ऊर्जा का संकेत है। यह उपाय आपके घर और जीवन में सुख, शांति और खुशहाली लाने में मदद करता है। ऐसे करने से आपके जीवन के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव आएगा।
माता-पिता का सहयोग पाने के लिए तुलसी उपाय
अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में माता-पिता का पूर्ण सहयोग और आशीर्वाद हमेशा बना रहे, तो अपरा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें और तुलसी माता को मन से प्रणाम करें। तुलसी माता को भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माना जाता है, इसलिए उनका पूजन करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यह पूजा पारिवारिक रिश्तों को मजबूत बनाती है और बड़ों का आशीर्वाद आसानी से प्राप्त होता है। साथ ही, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जो आपके हर कार्य में सफलता दिलाने में मदद करता है। तुलसी का ये उपाय आपके जीवन को खुशहाल और संपूर्ण बनाता है।
व्यापार में वृद्धि के लिए ब्राह्मण सेवा
यदि आप अपने व्यापार को लगातार बढ़ाना और सफल बनाना चाहते हैं, तो अपरा एकादशी के दिन किसी विद्वान ब्राह्मण को सम्मानपूर्वक अपने घर आमंत्रित करें। उन्हें अच्छे ढंग से भोजन करवाएं और दक्षिणा के रूप में वस्त्र या कोई उपयोगी वस्तु भेंट करें। इस सेवा से न केवल आपका घर पुण्य से भरता है, बल्कि आपके व्यापार में भी शुभता और वृद्धि होती है। सनातन धर्म में ब्राह्मण सेवा को बहुत बड़ा पुण्य माना जाता है, जिससे भगवान लक्ष्मी का वास होता है और आपके कामों में सफलता और तरक्की आती है। यह सरल उपाय आपके व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करता है।
अपरा एकादशी व्रत विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान करें: अपरा एकादशी के दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए। स्नान से शरीर और मन दोनों पवित्र होते हैं, जिससे व्रत का प्रभाव बढ़ता है। साफ कपड़े पहनकर व्रत की शुरुआत करनी चाहिए।
- भगवान विष्णु की पूजा करें: स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करना आवश्यक है। पूजा में तुलसी के पत्ते, चंदन, ताजा फूल, दीपक और धूप अर्पित करें। मन से भगवान का ध्यान लगाएं और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
- दिनभर उपवास या फलाहार करें: पूरे दिन व्रती को व्रत रखना चाहिए। यदि उपवास करना कठिन लगे तो फलाहार किया जा सकता है, लेकिन भोजन करने से बचना चाहिए। उपवास रखने से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं और व्रत का फल अधिक मिलता है।
- रात को जागरण और हरि नाम संकीर्तन: रात्रि को जागरण करके भगवान हरि के नाम का संकीर्तन करना चाहिए। भजन-कीर्तन से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह समय भगवान के प्रति भक्ति प्रगाढ़ करने का होता है।
- द्वादशी को भोजन करवाकर व्रत पूर्ण करें: अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन करवाएं और दक्षिणा दें। इससे व्रत का फल दोगुना होता है। इसके बाद आप अपना व्रत शुद्ध मन से पूर्ण करें और भगवान का आभार व्यक्त करें। इस प्रकार अपरा एकादशी व्रत संपूर्ण होता है।
अपरा एकादशी व्रत की आरती
जय देव जगदीश हरे, स्वामी जय देव जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट हरें, भगवान जय देव जगदीश हरे॥
भव भय हरन हरि शरण आए, दीन दयाल अपने चरण आए।
भव सागर के तरनहार, भगवान जय देव जगदीश हरे॥
विष्णु त्रिभुवन के मालिक, पालनकर्ता जग का भालिक।
दीन भक्तों के संकट हरें, भगवान जय देव जगदीश हरे॥
तुम बिना और न कोई, तुम ही हो सर्वधर्मी सोई।
त्राहि त्राहि जगत के दाता, भगवान जय देव जगदीश हरे॥
शुभ फल देने वाले हो, अपरा एकादशी के दाता।
भक्त जनों के मन सुकून दो, भगवान जय देव जगदीश हरे॥
तुलसी सहित कर जो पूजा, पूर्ण हो जाए मनोकामना।
हे नारायण दयालु सुनो, हम पर सदा कृपा करो॥
जय देव जगदीश हरे, स्वामी जय देव जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट हरें, भगवान जय देव जगदीश हरे॥
अपरा एकादशी व्रत की कथा:
अपरा एकादशी व्रत की कथा अत्यंत प्रसिद्ध और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार एक राजा था जिसका नाम था रत्नराज। वह बहुत ही दयालु और धार्मिक स्वभाव का था। राजा रत्नराज अपने राज्य और प्रजा की भलाई के लिए हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करता था। लेकिन एक दिन उसे अचानक से बहुत बड़ा संकट आया। उसके राज्य में अकाल पड़ गया और जनता के बीच भुखमरी फैल गई। राजा ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे उसकी मदद करें और राज्य को संकट से उबारें।
तब भगवान विष्णु ने राजा को अपरा एकादशी व्रत रखने का उपदेश दिया। उन्होंने बताया कि यदि राजा और उसके प्रजा इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो उनका संकट दूर हो जाएगा और राज्य में समृद्धि लौटेगी। राजा ने अपने पूरे राज्यवासियों के साथ अपरा एकादशी का व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से अकाल समाप्त हुआ, बारिश हुई और खेतों में फिर से हरियाली छा गई। लोगों के जीवन में खुशहाली आई और सभी को सुख-समृद्धि मिली। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि अपरा एकादशी व्रत करने से न केवल पापों का नाश होता है बल्कि जीवन में संकट दूर होकर खुशहाली आती है।
इसके अलावा इस दिन व्रत रखने से पितरों को भी शांति मिलती है और व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं। कहा जाता है कि अपरा एकादशी का व्रत मोक्ष दिलाने वाला होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इसलिए भक्तजन इस व्रत को बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं। अपरा एकादशी की यह कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान विष्णु की भक्ति और सही तरीके से व्रत करने से हर प्रकार के संकट से मुक्ति संभव है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
अपरा एकादशी केवल व्रत का दिन नहीं है, यह एक ऐसा आध्यात्मिक अवसर है जब हम भगवान विष्णु की कृपा से अपने जीवन की बाधाओं को दूर कर सकते हैं। यदि श्रद्धा और विश्वास से बताए गए उपायों को करें, तो निश्चित ही जीवन में उन्नति, धन-संपत्ति, पारिवारिक सुख और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।