अगस्त 2025 में भारत की थोक महंगाई दर (WPI) 0.52% पर पहुंच गई, जबकि रिटेल महंगाई 2.07% रही। खाद्य वस्तुएं, मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स, गैर-खाद्य और खनिज उत्पाद महंगे हुए, लेकिन बिजली, ईंधन और कुछ मेटल व इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद सस्ते हुए। कुल मिलाकर थोक और रिटेल दोनों बाजारों में महंगाई बढ़ी।
August WPI Inflation: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने अगस्त 2025 के लिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) जारी किया, जिसमें महंगाई जुलाई के -0.58% से बढ़कर 0.52% हो गई। खाद्य, मैन्युफैक्चरिंग, गैर-खाद्य, खनिज और परिवहन उपकरणों की कीमतें बढ़ीं, जबकि ईंधन, बिजली और कुछ मेटल, इलेक्ट्रॉनिक और फर्नीचर उत्पादों की कीमतें घटीं। रिटेल महंगाई भी 2.07% पर बढ़ी, जिससे पता चलता है कि कुल मिलाकर दोनों बाजारों में महंगाई का दबाव बढ़ गया है।
थोक बाजार में बढ़ोतरी के प्रमुख कारण
अगस्त में थोक महंगाई दर बढ़ने के पीछे कई कारक हैं। खाने-पीने की चीजों, मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों, गैर-खाद्य वस्तुओं, गैर-धातु खनिज उत्पादों और परिवहन उपकरणों की कीमतों में वृद्धि ने महंगाई को बढ़ावा दिया।
प्राथमिक वस्तुओं के सूचकांक में 1.60 प्रतिशत का उछाल आया। जुलाई 2025 में यह 188.0 था, जो अगस्त में 191.0 पर पहुंच गया। गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 2.92 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं, खनिजों की कीमतों में 2.66 प्रतिशत और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 1.45 प्रतिशत की बढ़त हुई।
मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की कीमतें भी बढ़ीं। यह WPI बास्केट का सबसे बड़ा सेगमेंट है। विनिर्मित उत्पादों की कीमतें जुलाई के मुकाबले अगस्त में 0.21 प्रतिशत बढ़ गईं। इससे यह साफ होता है कि फैक्ट्रियों में बनने वाले सामानों के दामों में बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा फूड प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल, विद्युत उपकरण, अन्य परिवहन उपकरण और मशीनरी की कीमतों में भी इजाफा देखा गया।
कुछ वस्तुएं हुईं सस्ती
हालांकि सभी चीजों के दाम बढ़े नहीं। ईंधन और बिजली की महंगाई अगस्त में घटकर 0.69 प्रतिशत रही। जुलाई में यह 144.6 थी, जो अगस्त में 143.6 हो गई। बिजली की कीमतों में 2.91 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि खनिज तेल की कीमत में मामूली 0.07 प्रतिशत की कमी देखी गई। कोयले की कीमतें जुलाई के मुकाबले स्थिर रहीं। कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की महंगाई दर अगस्त में 0.43 प्रतिशत रही।
इसके अलावा बेस मेटल्स, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल उत्पाद, कपड़े, लकड़ी के उत्पाद और फर्नीचर की कीमतें भी कम हुईं। इसका असर थोक महंगाई दर पर सकारात्मक रहा, लेकिन खाद्य और मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों के दाम बढ़ने से कुल मिलाकर WPI बढ़ा।
रिटेल महंगाई का हाल
रिटेल महंगाई दर (CPI) भी इस महीने बढ़ी। अगस्त में यह 2.07 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि जुलाई में यह 1.55 प्रतिशत थी। इसका मतलब यह है कि उपभोक्ता स्तर पर भी महंगाई का दबाव बढ़ा है।
महंगाई में यह बढ़ोतरी उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों के लिए चिंता का विषय बन सकती है। उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता प्रभावित हो सकती है, जबकि मैन्युफैक्चरिंग और थोक व्यापारी भी उत्पादन और बिक्री के फैसलों में सतर्क हो सकते हैं।