भारतीय ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्री 2025 में वैश्विक सप्लायर हब के रूप में उभरी है। इंडस्ट्री का लगभग 27% प्रोडक्शन यूरोप, ASEAN, मध्य पूर्व और नॉर्थ अमेरिका में जाता है। बढ़ती मांग, Make in India और 100% FDI नीतियों ने निवेश और तकनीकी सुधारों को बढ़ावा दिया है। FY25 में टर्नओवर $80.2 बिलियन रहा और अगले पांच साल में अतिरिक्त $10 बिलियन निवेश की उम्मीद है।
Auto Industry: भारतीय ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्री 2025 में सिर्फ वाहन सपोर्टिंग सेक्टर नहीं रहकर वैश्विक ऑटो उद्योग में रणनीतिक साझेदार बन गई है। ACMA के आंकड़ों के मुताबिक FY25 में इंडस्ट्री का टर्नओवर $80.2 बिलियन रहा, जिसमें 9.6% सालाना बढ़ोतरी हुई। Make in India, 100% FDI और वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव ने भारतीय निर्माताओं को वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रोडक्शन और निवेश तक पहुंच प्रदान की है। ABS, एयरबैग और उन्नत इंफोटेनमेंट सिस्टम जैसी तकनीकों की मांग बढ़ी है, और FY26 तक इंडस्ट्री का प्रोडक्शन USD 3235 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
भारतीय ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्री का वैश्विक विस्तार
ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में इंडस्ट्री का टर्नओवर 80.2 बिलियन डॉलर रहा। यह साल-दर-साल 9.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दर्शाता है। पिछले पांच सालों में इंडस्ट्री का आकार दोगुना हो चुका है और CAGR 14 प्रतिशत बना हुआ है। भविष्य में Automotive Mission Plan के तहत इंडस्ट्री का जीडीपी में योगदान 5-7 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। दीर्घकालिक मूल्यांकन के अनुसार, इंडस्ट्री का आकार 220 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
भारत का लगभग 27 प्रतिशत ऑटो एंसिलरी प्रोडक्शन यूरोप, ASEAN, मध्य पूर्व और नॉर्थ अमेरिका में जाता है। चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति (China+1) भारतीय निर्माताओं के लिए अवसर लेकर आई है।
नई तकनीक और बढ़ती मांग
देश में तेजी से बढ़ती शहरी मध्यवर्गीय आबादी और बढ़ते डिस्पोजेबल इनकम ने वाहन स्वामित्व को बढ़ाया है। अब लोग उच्च गुणवत्ता वाले वाहन और उन्नत तकनीकी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। ABS, एयरबैग और उन्नत इंफोटेनमेंट सिस्टम जैसी तकनीकों की मांग लगातार बढ़ रही है।
Make in India और 100 प्रतिशत FDI की नीतियों ने भारतीय वाहन निर्माता कंपनियों को बड़े निवेश तक की पहुंच दी है। वैश्विक ऑटोमेकर्स ने 2000 के बाद से भारत में 37.21 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इससे घरेलू निर्माता वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रोडक्शन करने में सक्षम हुए हैं।
भविष्य के निवेश और उत्पादन की संभावनाएं
भारतीय ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्री FY26 तक 3,235 बिलियन डॉलर के उत्पादन स्तर तक पहुंचने का अनुमान है। PLI योजना के माध्यम से अगले पांच साल में अतिरिक्त 10 बिलियन डॉलर का निवेश होने की संभावना है। इस निवेश से तकनीकी नवाचार और उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी।
वैश्विक निवेश और रणनीतिक साझेदारी के चलते भारत ऑटो कंपोनेंट सेक्टर में वैश्विक हब बन रहा है।
सप्लाई चेन चुनौतियां और अवसर
जियोपॉलिटिकल अनिश्चितताएं, टैरिफ वार और सप्लाई चेन में व्यवधान जैसी चुनौतियां हैं। ऐसे में जिन कंपनियों की संचालन क्षमता मजबूत होगी और जो वैश्विक बाजार में सक्रिय रहेंगी, वे ही भविष्य में सफलता हासिल करेंगी।
भारतीय ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्री अब सिर्फ सप्लायर नहीं रह गई है। यह वैश्विक ऑटो उद्योग में रणनीतिक और नवाचारकारी साझेदार के रूप में उभर रही है। इससे भारत की ऑटोमेटिव पहचान मजबूत हो रही है और भविष्य में यह सेक्टर देश के आर्थिक और औद्योगिक विकास में अहम भूमिका निभाएगा।