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Axiom-4 मिशन: क्या सुनीता विलियम्स की तरह अंतरिक्ष में फंस सकते हैं शुभांशु शुक्ला? जानें क्यों टली वापसी

Axiom-4 मिशन: क्या सुनीता विलियम्स की तरह अंतरिक्ष में फंस सकते हैं शुभांशु शुक्ला? जानें क्यों टली वापसी

Axiom-4 मिशन के क्रू को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर निर्धारित 14 दिनों से अधिक समय तक रुकना पड़ेगा, क्योंकि उनकी धरती पर वापसी टल गई है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने पुष्टि की है कि तकनीकी और मिशन शेड्यूलिंग कारणों के चलते, अब क्रू की वापसी 14 जुलाई से पहले संभव नहीं है।

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सहित Axiom-4 मिशन के चार अंतरिक्ष यात्रियों की धरती पर वापसी एक बार फिर टाल दी गई है। अब यह मिशन दल कम से कम 14 जुलाई तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर ही रहेगा। इस निर्णय के पीछे दो प्रमुख कारण सामने आए हैं: मौसम की खराबी और ISS में तकनीकी खामी।

Axiom-4 के क्रू में शुभांशु शुक्ला के अलावा अमेरिका की पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन (कमांडर), यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के स्लावोश उज्नांस्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु शामिल हैं। ये चारों अंतरिक्ष यात्री 27 जून को स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल ‘ग्रेस’ में सवार होकर ISS पहुंचे थे और वहां वैज्ञानिक प्रयोगों में जुटे हैं।

10 जुलाई को होनी थी वापसी, लेकिन...

Axiom-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिन के प्रवास के बाद 10 जुलाई को लौटने की योजना थी। लेकिन अटलांटिक महासागर और मैक्सिको की खाड़ी में खराब मौसम ने वापसी के दरवाजे फिलहाल बंद कर दिए हैं। ESA और नासा दोनों ने पुष्टि की है कि 14 जुलाई से पहले वापसी संभव नहीं है।स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल की वापसी समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग के जरिए होती है, जिसे ‘स्प्लैशडाउन’ कहा जाता है। 

यह तभी संभव है जब समुद्र शांत हो, लहरें नियंत्रित हों, और हवाओं की गति भी सुरक्षित सीमा के भीतर हो। लेकिन फिलहाल फ्लोरिडा तट के पास मौसम अनुकूल नहीं है। तेज हवाएं, समुद्री तूफान और ऊंची लहरें इस मिशन के लिए खतरा बन सकती हैं।

ISS की तकनीकी खराबी भी बनी देरी की वजह

केवल मौसम ही नहीं, बल्कि ISS में तकनीकी दिक्कत भी इस देरी का बड़ा कारण है। रूस के ज़व्ज़ेदा मॉड्यूल में हवा के रिसाव (प्रेशर लीकेज) की समस्या सामने आई थी। भले ही NASA और Roscosmos (रूसी अंतरिक्ष एजेंसी) ने इसकी मरम्मत कर दी, लेकिन बाद में एक नया रिसाव संकेत मिला है जिसकी जांच अभी जारी है।

चूंकि ISS एक पूर्ण रूप से बंद वातावरण है, इसलिए किसी भी तरह की हवा का रिसाव वहां मौजूद सभी अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। जब तक पूरी तरह से सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित नहीं हो जाता, तब तक किसी भी अंतरिक्ष कैप्सूल को अनडॉक नहीं किया जा सकता।

क्या शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में फंस सकते हैं?

इस सवाल ने कई लोगों को सुनीता विलियम्स की उस स्थिति की याद दिला दी जब वे अंतरिक्ष में अन्य तकनीकी कारणों से नियत समय से अधिक दिन रहीं थीं। हालांकि, वर्तमान स्थिति में शुभांशु शुक्ला और उनके साथी ‘फंसे’ नहीं हैं, बल्कि नियोजित एहतियातों के तहत सुरक्षित रूप से रुके हुए हैं। नासा और स्पेसएक्स इस पूरे मिशन को बहुत सावधानीपूर्वक मॉनिटर कर रहे हैं और जैसे ही मौसम और तकनीकी स्थिति अनुकूल होगी, रिटर्न विंडो खोली जाएगी।

ड्रैगन कैप्सूल की धरती पर वापसी सिर्फ स्पेसक्राफ्ट की क्षमता पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह पूरी तरह सटीक रीयल-टाइम कैल्कुलेशन और मौसम पूर्वानुमान पर आधारित होती है। रिटर्न के समय हीट शील्ड हजारों डिग्री तापमान झेलती है और फिर कैप्सूल को पैराशूट के जरिए समुद्र में सॉफ्ट लैंड कराना होता है।

यदि इस प्रक्रिया के दौरान मौसम खराब हो या आईएसएस और कैप्सूल के बीच ऑर्बिटल तालमेल न बने, तो मिशन में खतरा हो सकता है। इसलिए ‘लॉन्च विंडो’ का सही समय मिलना अनिवार्य होता है। जहां NASA और ESA ने स्पष्ट कर दिया है कि Axiom-4 की वापसी में देरी होगी, वहीं भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि जैसे ही वापसी की नई तारीख तय होगी, ISRO इसकी पुष्टि करेगा।

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