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भाद्रपद महीने में कब पड़ रही है मासिक शिवरात्रि, जानिए पूजा का समय और व्रत का महत्व

भाद्रपद महीने में कब पड़ रही है मासिक शिवरात्रि, जानिए पूजा का समय और व्रत का महत्व

हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि इस बार भाद्रपद मास में आने वाली है. पंचांग के अनुसार, अगस्त 2025 में मासिक शिवरात्रि का व्रत गुरुवार, 21 अगस्त को रखा जाएगा.

इस दिन चतुर्दशी तिथि दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 22 अगस्त की सुबह 11 बजकर 55 मिनट तक चलेगी. शिवभक्त इस दिन रात्रि के समय यानी निशा काल में भगवान शिव का व्रत, अभिषेक और विशेष पूजा करते हैं.

रात्रि में होगा शिव पूजन का शुभ समय

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि पर रात्रिकाल में की गई पूजा का विशेष महत्व होता है. अगस्त महीने की इस मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 2 मिनट से लेकर 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.

इस समय को शिव पूजा, जलाभिषेक, दूध से स्नान, धूप-दीप अर्पण और मंत्र जाप के लिए बेहद पावन माना जाता है. भक्त इस दौरान अपने घरों या मंदिरों में विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं.

क्यों खास होती है मासिक शिवरात्रि की पूजा

मासिक शिवरात्रि हर महीने आने वाली वह तिथि होती है जिसे शिवभक्त पूरे श्रद्धा भाव से मानते हैं. इसे भगवान शिव की कृपा पाने का उत्तम अवसर माना जाता है. शास्त्रों में वर्णन है कि जो भी भक्त इस दिन सच्चे मन से शिव का व्रत और पूजन करता है, उसके सारे पाप क्षमा हो जाते हैं और उसे जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है.

इस दिन भगवान शिव का जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से रुद्राभिषेक किया जाता है. बेलपत्र, आक, धतूरा, भस्म और सफेद फूल चढ़ाने की भी परंपरा है.

विवाह में रुकावट हो तो रखें मासिक शिवरात्रि का व्रत

मान्यता है कि जिन लोगों की शादी में बार-बार अड़चनें आती हैं, उनके लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत करना बेहद लाभकारी होता है. यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं और युवकों द्वारा योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए रखा जाता है. माता पार्वती और शिवजी की पूजा से वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है.

इसके अलावा विवाहित लोग भी इस व्रत को संतान सुख, दांपत्य जीवन की खुशहाली और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखते हैं.

आर्थिक समस्याओं के लिए भी फलदायक होता है ये व्रत

धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से केवल अध्यात्मिक लाभ ही नहीं मिलता बल्कि यह जीवन की आर्थिक परेशानियों को भी कम करता है. कई लोग इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव से रोजगार, व्यापार में सफलता और धन-धान्य की प्रार्थना करते हैं.

ऐसी भी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर शिव चालीसा, रुद्राष्टक या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है तो उसे मानसिक शांति के साथ-साथ भौतिक जीवन में भी संतुलन प्राप्त होता है.

क्या होती है मासिक शिवरात्रि की विधि

मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने वाले भक्त प्रातः स्नान करके संकल्प लेते हैं. दिनभर उपवास रखते हैं और रात्रि में शिवजी की पूजा करते हैं.

इस दिन चार प्रहर की पूजा का महत्व बताया गया है. हर प्रहर में शिवलिंग का अलग-अलग द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है. पहले प्रहर में जल, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक किया जाता है.

पूरे दिन फलाहार या जल के सहारे व्रत रखने की परंपरा है. रात्रि में जागरण और शिव की आरती के बाद अगले दिन सुबह पारण कर व्रत पूरा किया जाता है.

मासिक शिवरात्रि का पौराणिक महत्व

पुराणों में मासिक शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. स्कंद पुराण और शिव पुराण में इसका विशेष उल्लेख मिलता है. कहा जाता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था और इस तिथि पर भक्तों की तपस्या से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं.

माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से एक मास में जितने भी पाप हुए होते हैं, वे समाप्त हो जाते हैं. इसलिए इसे मोक्षदायी व्रत के रूप में भी देखा जाता है.

सावन की शिवरात्रि के बाद अब मासिक पर्व

सावन महीने की शिवरात्रि के बाद अगली प्रमुख तिथि मासिक शिवरात्रि होती है. सावन के पवित्र माह में शिवभक्तों ने व्रत, अभिषेक और जलाभिषेक करके भगवान की कृपा प्राप्त की थी.

अब भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि एक बार फिर भक्तों को पूजा-पाठ, उपवास और आराधना का अवसर देने जा रही है.

यह दिन उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है जो नियमित रूप से शिव उपासना करते हैं और हर महीने इस विशेष दिन का इंतजार करते हैं.

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