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भारत को मिला सस्ता रूस तेल, ब्रेंट क्रूड से कम कीमत पर, जानिए पूरी डिटेल्स

भारत को मिला सस्ता रूस तेल, ब्रेंट क्रूड से कम कीमत पर, जानिए पूरी डिटेल्स

रूस का उराल्स क्रूड तेल भारत के लिए ब्रेंट क्रूड से 3-4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता हो गया है। अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारतीय रिफाइनरियां रूसी तेल खरीद रही हैं। अगस्त में कुछ समय के लिए खरीद रुकी थी, लेकिन सितंबर-अक्टूबर में तेल फिर से आकर्षक कीमत पर उपलब्ध है, जिससे वैश्विक तेल की कीमतों पर भी असर पड़ा।

Urals Crude Oil: भारत रूस का बड़ा तेल खरीदार बन गया है, खासकर उराल्स क्रूड में, जो अब ब्रेंट क्रूड से 3-4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता मिल रहा है। अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारतीय रिफाइनरियां रूसी तेल खरीद रही हैं। अगस्त की शुरुआत में कुछ समय के लिए खरीद रुकी थी, लेकिन अब यह फिर से आकर्षक हो गया है। जुलाई में यह छूट 1 डॉलर थी, जबकि पिछले हफ्ते 2.50 डॉलर प्रति बैरल थी। 27 अगस्त से 1 सितंबर तक भारत ने 1.14 करोड़ बैरल रूसी तेल खरीदा, जिसमें कुछ टैंकर शिप-टू-शिप ट्रांसफर के जरिए आया।

भारत और रूस का खास रिश्ता

चीन में हुए शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और रूस का रिश्ता विशेष है। इस सम्मेलन में उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की और आपसी संबंधों को मजबूत करने का संकल्प लिया। इस बीच, अमेरिका के व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने भारत की रूस से तेल खरीदने पर आलोचना की। इसके जवाब में भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि रूसी तेल की खरीद ने वैश्विक तेल की कीमतों को बढ़ने से रोका है।

ब्रेंट के मुकाबले 2.50 डॉलर सस्ता उराल्स तेल

भारतीय रिफाइनरियां नियमित रूप से रूसी तेल खरीद रही हैं। अगस्त की शुरुआत में कुछ समय के लिए खरीदारी रुकी थी। लेकिन अब उराल्स क्रूड की सस्ती कीमत ने इसे फिर से आकर्षक बना दिया है। पिछले हफ्ते यह तेल ब्रेंट क्रूड की तुलना में 2.50 डॉलर प्रति बैरल सस्ता था। जुलाई में यह छूट सिर्फ 1 डॉलर प्रति बैरल थी। दूसरी ओर, कुछ रिफाइनरियों ने अमेरिकी तेल को प्रीमियम कीमत पर खरीदा, जो 3 डॉलर प्रति बैरल अधिक था।

शिपमेंट और सप्लाई चैन

27 अगस्त से 1 सितंबर के बीच भारतीय रिफाइनरियों ने लगभग 1.14 करोड़ बैरल रूसी तेल खरीदा। इसमें एक कार्गो अमेरिकी प्रतिबंधित जहाज विक्टर कोनेत्स्की से शिप-टू-शिप ट्रांसफर के जरिए आया। उराल्स तेल रूस का प्रमुख तेल है, जिसे इसके पश्चिमी बंदरगाहों से भारत और अन्य देशों को भेजा जाता है।

चीन और रूस का तेल व्यापार

चीन रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है। चीन उराल्स तेल को मुख्य रूप से पाइपलाइन और टैंकरों के माध्यम से खरीदता है। रूस की यह रणनीति वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता बनाए रखने और विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करने की दिशा में है।

वैश्विक तेल बाजार में बदलाव

भारत के लिए रूस का सस्ता तेल ऊर्जा लागत को कम करने और रिफाइनरियों के संचालन को अधिक लाभदायक बनाने में मदद कर रहा है। इससे भारत को वैश्विक तेल बाजार की अस्थिरता से निपटने का अवसर मिल रहा है। साथ ही, अमेरिकी टैरिफ और प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने अपने ऊर्जा सुरक्षा हितों को बनाए रखा है।

रूस का सस्ता उराल्स क्रूड वैश्विक तेल बाजार में भी ध्यान खींच रहा है। ब्रेंट क्रूड और अमेरिकी क्रूड की तुलना में यह तेल सस्ता होने के कारण विभिन्न देशों के लिए आकर्षक विकल्प बन गया है। इसने भारत को तेल की खरीद में लचीलापन प्रदान किया है।

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