महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले पर जारी विवाद के बीच शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। ठाकरे ने भाषा थोपने की नीति को मराठी अस्मिता पर हमला बताया और पीएम मोदी, अमेरिका-भारत व्यापार विवाद और राज ठाकरे को लेकर भी तल्ख टिप्पणियां कीं।
Maharashtra: महाराष्ट्र में भाषा विवाद एक बार फिर राजनीतिक तूल पकड़ता नजर आ रहा है। हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने के निर्णय पर सरकार को घेरते हुए शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि भाषा थोपने की कोई भी कोशिश मंजूर नहीं की जाएगी। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वे गुजरात से होकर भी हिंदी बोल सकते हैं तो मराठी भाषा पढ़ाना अपराध कैसे हो गया? ठाकरे ने इस मुद्दे को मराठी अस्मिता से जोड़ते हुए चेताया कि इस तरह की नीतियों से सामाजिक सौहार्द प्रभावित हो सकता है।
भाषा पर बोले उद्धव
उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जबरदस्ती कोई भाषा थोपना गलत है। उन्होंने सवाल उठाया कि हिंदी भाषी राज्यों में क्या मराठी, तमिल या तेलुगू को जबरन पढ़ाया जा सकता है? ठाकरे ने कहा कि हर व्यक्ति वही भाषा सीखता है जिसकी उसे जरूरत होती है, न कि जो उस पर थोपी जाए। उन्होंने फडणवीस सरकार के उस फैसले की आलोचना की, जिसमें पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया था। विरोध के बाद सरकार को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।
अमेरिका-भारत ट्रेड विवाद पर सरकार को घेरा
अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने के मामले पर भी उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर सीधा प्रहार किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान को निशाने पर लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसानों, मछुआरों और डेयरी सेक्टर के हितों से कोई समझौता नहीं होगा। ठाकरे ने पलटवार करते हुए कहा कि जब किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे थे, तब सरकार ने उनके लिए कीलें और दीवारें लगाई थीं। अब जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार प्रभावित हो रहा है, तब सरकार किसानों की दुहाई दे रही है।
राज ठाकरे और विदेश नीति पर भी कटाक्ष
उद्धव ठाकरे ने अपने भाई राज ठाकरे के साथ संबंधों और इंडिया गठबंधन की रणनीति को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, हम दोनों भाई जानते हैं कि क्या करना है और हम करेंगे। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति पर भी सवाल उठाते हुए ठाकरे ने पूछा कि जब देश संकट में होता है, तो प्रधानमंत्री कहां होते हैं? उन्होंने चीन और पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर केंद्र सरकार की स्थिरता पर सवाल उठाते हुए कहा कि कभी उन्हें दुश्मन बताया जाता है, फिर उन्हीं से व्यापार और क्रिकेट मैच क्यों होते हैं?