चीन ने रेयर अर्थ मेटल्स पर नए एक्सपोर्ट कंट्रोल नियम लागू किए हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों और ग्लोबल टेक सप्लाई चेन पर असर पड़ा है। अब Chinese-sourced rare earths को एक्सपोर्ट करने के लिए बीजिंग से लाइसेंस लेना होगा। यह कदम अमेरिका के लिए स्ट्रैटेजिक चुनौती और निवेशकों के लिए अवसर दोनों बन सकता है।
China News: चीन ने गुरुवार को घोषणा की कि अब रेयर अर्थ मेटल्स का उपयोग करने वाली कंपनियों को एक्सपोर्ट से पहले बीजिंग से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। विदेशी सैन्य संगठनों से जुड़े या export-control list में शामिल कंपनियों को अनुमति नहीं दी जाएगी। इस फैसले का सीधा असर अमेरिकी टेक कंपनियों और ग्लोबल सप्लाई चेन पर पड़ा, जिससे अमेरिकी बाजारों में rare earths स्टॉक्स तेजी से उछले। यह कदम Trump-Xi संभावित मुलाकात से पहले अमेरिका के लिए स्ट्रैटेजिक संदेश भी माना जा रहा है।
रेयर अर्थ मेटल्स का महत्व
रेयर अर्थ मेटल्स आधुनिक तकनीक की रीढ़ माने जाते हैं। स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल, AI उपकरण और डिफेंस सिस्टम में इनका इस्तेमाल अनिवार्य है। इन मेटल्स के बिना 5G नेटवर्क, EV और हाईटेक डिफेंस तकनीकें ठप हो सकती हैं। विशेषज्ञ इसे “स्पाइस” से जोड़ते हैं, जैसा कि 1984 की फिल्म Dune में कहा गया था – “He who controls the spice, controls the universe।” आज यही स्थिति चीन के मामले में देखने को मिल रही है।
चीन ने क्या नया नियम लागू किया
गुरुवार को चीन ने घोषणा की कि अब किसी भी कंपनी को Chinese-sourced rare earths का इस्तेमाल करके एक्सपोर्ट करने से पहले बीजिंग से लाइसेंस लेना होगा। जिन कंपनियों का विदेशी सैन्य संगठनों से संबंध है या जो export-control list में हैं, उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही चीनी नागरिकों को बिना मंजूरी विदेश में खनन करने से भी रोका गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम सिर्फ नीति नहीं बल्कि चीन की ताकत का संदेश है। चीन का कहना है कि तकनीक की रेस में अगर रेयर अर्थ मेटल्स हमारे पास हैं, तो वैश्विक ताकत भी हमारी है।
अमेरिका पर असर
यह फैसला संभावित Trump-Xi मुलाकात से पहले अमेरिका को एक स्ट्रैटेजिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। चीन यह दिखा रहा है कि रेयर अर्थ मेटल्स को “बाजार का हथियार” के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस खबर के बाद अमेरिकी रेयर अर्थ माइनिंग कंपनियों के शेयरों में तेजी आई। निवेशक मान रहे हैं कि अमेरिकी प्रशासन घरेलू माइनिंग और प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाएगा। CNBC के मुताबिक, अमेरिकी बाजारों में rare earths स्टॉक्स कई फीसदी उछले क्योंकि निवेशक इसे चीन डॉमिनेंस का जवाब देने का मौका मान रहे हैं।
अन्य मेटल्स और सेफ हेवन एसेट्स पर असर
इस geopolitical तनाव का असर कीमती धातुओं की मांग और प्राइसिंग पर भी पड़ सकता है। हाल ही में सोने की कीमत $4,000 प्रति औंस के पार चली गई थी। यदि अमेरिका-चीन तनाव बढ़ता है, तो गोल्ड और सिल्वर जैसी सेफ हेवन एसेट्स में निवेश और बढ़ सकता है।
चीन की घरेलू अर्थव्यवस्था
हालांकि चीन की आर्थिक स्थिति में मिश्रित संकेत मिल रहे हैं। Golden Week Holidays (1–8 अक्टूबर) के दौरान चीन में 888 मिलियन घरेलू ट्रिप्स हुईं और करीब 809 अरब युआन की आमदनी हुई। लेकिन प्रति व्यक्ति खर्च 2019 की तुलना में 3% कम रहा। इसका मतलब है कि पर्यटन बढ़ा, लेकिन घरेलू खपत अभी भी कमजोर है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकेत देता है कि चीन की आर्थिक रिकवरी पूरी तरह से मजबूत नहीं हुई है।
चीन का कदम बढ़ा रहा उद्योगों की लागत
नई नीति के बाद कई वैश्विक कंपनियों ने उत्पादन बंद करने का एलान किया है। अमेरिकी टेक कंपनियां, ऑटोमोबाइल निर्माता और AI उपकरण बनाने वाली कंपनियां प्रभावित हुई हैं। यह कदम सप्लाई चेन को बाधित कर सकता है और कई उद्योगों में लागत बढ़ा सकता है।
चीन का यह कदम वैश्विक बाजार में नई अस्थिरता और अनिश्चितता पैदा कर रहा है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आने वाले महीनों में अमेरिका और यूरोप के कंपनियों को वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ेगी।